Edited By Sunita sarangal,Updated: 30 Apr, 2020 10:13 AM
कोरोना वायरस जहां जिंदा लोगों के लिए कहर बना हुआ है, वहीं मरे हुए लोगों की मुक्ति में भी रुकावट बना हुआ है। शहर के अलग-अलग शमशानघाटों के असथियां रखने वाले लॉकर भर.....
लुधियाना(राज): कोरोना वायरस जहां जिंदा लोगों के लिए कहर बना हुआ है, वहीं मरे हुए लोगों की मुक्ति में भी रुकावट बना हुआ है। शहर के अलग-अलग शमशानघाटों के असथियां रखने वाले लॉकर भर गए हैं, जहां सैंकड़ों मृत लोगों की असथियां अपनी मुक्ति के इंतजार में फंसी हुई हैं। शमशानघाट में लॉकर फुल हो जाने से कई असथियों को बॉक्स मंगवाकर उनमें रखा जा रहा है और कईयों को बांध कर बाहर नाम और पते की पर्ची लगा कर। ऐसे में शमशानघाट प्रबंधक भी डरे हुए हैं कि कहीं गलती से अस्थियों की अदला-बदली हो गई तो बड़ा विवाद खड़ा हो सकता है।
आज के दौर में कुदरती या किसी अन्य कारणों के कारण मर गए लोगों का संस्कार तो हो रहा है लेकिन उनके मुक्ति के दरवाजे पर भी लॉकडाउन लग गया है। हिंदु धर्म के मुताबिक संस्कार के बाद मृत व्यक्ति की असथियां गंगा में जल परवाह कर रीति-रिवाज़ों के अंतर्गत अंतिम रस्में पूरी की जातीं हैं। इसके बाद मृतक की आत्मा को शांति मिलती है और उसके लिए मुक्ति के दरवाजे खुलते हैं परंतु लॉकडाउन के कारण मृतकों के मुक्ति द्वार ही बंद पड़े हैं। लॉकडाउन और कर्फ्यू के दौरान अपनों को गंवा देने वाले उनकी असथियां जल परवाह करने के लिए प्रशासनीय राहत या कर्फ्यू में ढील का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि 3 मई तक थोड़ी-बहुत राहत मिलेगी और वह रस्मों को पूरा कर सकेंगे।
असथियां प्रवाहत करने के लिए विशेष पास जारी करे प्रशासन
पता चला है कि शिवपुरी शमशानघाट में लॉकर फुल हो जाने के कारण 70 से 80, सुनेम शमशानघाट में 25, मॉडल टाउन शमशानघाट में 50, गौघाट शमशानघाट में 50 और बस अड्डा शमशानघाट में 45 असथियां पड़ीं हैं। सुनेम शमशानघाट के जनरल सैक्ट्री पलविन्दर सिंह का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में असथियां संभाल कर रखना प्रबंधकों के लिए बड़ी चुनौती है। अपनों को गंवा चुके परिवारों के लिए प्रशासन को विशेष पास जारी करने चाहिए जिससे वह अपनों की असथियां जल परवाह करने ले जा सकें।