Edited By Updated: 19 May, 2017 09:24 AM
पहलें पार्टी प्रधान फिर पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद आखिरकार कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इस बात को मान ही लिया है कि यदि हाईकमान की तरफ से उन्हें प्रधानगी न दी जाती तो उन्होंने नई पार्टी बनाने का मन बना लिया था।
जालंधरः पहलें पार्टी प्रधान फिर पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बाद आखिरकार कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इस बात को मान ही लिया है कि यदि हाईकमान की तरफ से उन्हें प्रधानगी न दी जाती तो उन्होंने नई पार्टी बनाने का मन बना लिया था।
मुख्यमंत्री ने मीडिया को प्रैस नोट जारी कर यह जानकारी सांझा की जिसमें कैप्टन ने यह भी स्पष्ट किया है इस दौरान उन्होंने कभी भी भारतीय जनता पार्टी में जाने बारे नहीं सोचा था। हालांकि करीब डेढ़ साल पहले से कैप्टन की ऐसी योजना बारे मीडिया रिपोर्ट आनी शुरू हो गई थीं परन्तु कैप्टन इससे इन्कार करते रहे थे।
तत्कालीन सूबा प्रधान प्रताप सिंह बाजवा के साथ उनके सम्बन्ध तो जगजाहिर ही थे परन्तु इस दौरान कैप्टन पार्टी हाईकमान के खिलाफ भी बोलते नजर आए। बाजवा को समर्थन देने वाले राहुल गांधी कई बार कैप्टन के निशाने पर रहे। राहुल को पार्टी प्रधान बनाने के मुद्दे पर कैप्टन ने कई बार उनका सार्वजनिक तौर पर विरोध भी किया था।
पार्टी प्रधान बनने और खुद को सी.एम. उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद कैप्टन के सुर बदले तो उन्होंने राहुल गांधी को पार्टी प्रधान का योग्य उमीदवार बताना शुरू कर दिया। कैपटन का हाईकमान के साथ दूसरी बार पेंच राज्यसभा की उम्मीदवारी को लेकर फंसा। कैप्टन हंस राज हंस और सुनील जाखड़ को राज्यसभा भेजना चाहते थे .पर हाईकमान ने प्रदेश प्रधानगी के बदले प्रताप बाजवा को राज्यसभा में अडजस्ट किया। नतीजन हंस राज हंस पार्टी छोड़ गए। मुख्यमंत्री बनने के बाद कैप्टन का कद एक बार फिर हाईकमान के आगे बढ़ गया। उन्होंने चुनाव हार चुके अपने खासम खास नेता सुनील जाखड़ को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बना कर पार्टी के अंदर आपने विरोधियों को शांत करवाया।