शॉटगन और कॉमेडियन किंग की जोड़ी क्या बदल सकती है सियासी रुख

Edited By swetha,Updated: 07 Apr, 2019 09:04 AM

congress leader shatrughan sinha and navjot singh sidhu

बॉलीवुड स्टार शॉटगन व भाजपा के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के कांग्रेस ज्वाइन करने से पार्टी के पास 2 दमदार स्टार प्रचारक हो गए हैं।

जालंधर(सूरज ठाकुर): बॉलीवुड स्टार शॉटगन व भाजपा के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के कांग्रेस ज्वाइन करने से पार्टी के पास 2 दमदार स्टार प्रचारक हो गए हैं। दूसरे स्टार प्रचारक पंजाब के कैबिनेट मंत्री और कॉमेडियन किंग नवजोत सिंह सिद्धू हैं। दोनों ही भाजपा के खास लोगों की सूची में आते थे। सिद्धू को 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी से बाहर जाने के लिए मजबूर कर दिया था, जबकि शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी हाशिए पर ले आई थी।  उन्होंने भी अपनी राह पकड़ ली। दोनों ही नेता सियासी हवाओं का रुख बदलने का दम रखते हैं।  

जब भी बोले विवाद उत्पन्न हुए
सिन्हा और सिद्धू जब भी बयानबाजी करते रहे हैं तो विवाद उत्पन्न हुए हैं। हालांकि दोनों ही अपनी बात को रखकर आईने की बात जरूर करते हैं। जब सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने गए तो वहां के सेना प्रमुख बाजवा को गले लगाने के बाद देशभर में विवादों से घिर गए। देश के दिग्गज भाजपा नेताओं ने उन्हें गद्दार की संज्ञा दी। यहां तक कि उनके कांग्रेस के अपने ही नेताओं ने भी सिद्धू की टांग खिंचाई करनी शुरू कर दी। 

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भाजपा ने कहा था देशद्रोही, सिन्हा ने कहा था सही
देशभर में उपजे विवाद पर उस वक्त भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने ही उनका बचाव किया था। सिन्हा ने कोलकाता में पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी दोनों ने पड़ोसी देश की यात्रा के दौरान अपने पाकिस्तानी समकक्षों को गले लगाया था। सिन्हा ने कहा कि सिद्धू ने खुद इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दे दिया है और मुझे नहीं लगता है कि किसी भी विवाद के लिए कोई जगह है। इस बयान को लेकर सिन्हा भी अपनी पार्टी के भीतर घिर गए थे।

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भाजपा के लिए खड़ी होंगी मुश्किलें
दोनों ही अच्छे-खासे अनुभवी स्टार प्रचारक हैं। देश में कई चुनावों में प्रचार कर चुके हैं। ऐसे में दोनों ही विरोधी दलों को धूल चटाने में कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर सकते हैं। सिद्धू ने तो लंबे अर्से से मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, जबकि उनके साथ अब सिन्हा भी हैं। भाजपा और अन्य दलों के पास राहुल गांधी के खिलाफ बोलने के लिए कुछ भी नहीं होता है, तो वे सिद्धू को जरूर याद कर लेते हैं। कुल मिलाकर 2019 के चुनावी अखाड़े में सिद्धू कांग्रेस के खिलाफ भाजपा के लिए जीवंत मुद्दा है जबकि अभी तक भाजपा की धुरी नेहरू परिवार के इर्द-गिर्द ही घूमती है। ऐसे में चुनाव प्रचार में सिन्हा और सिद्धू को घेरना भाजपा के लिए कड़ी चुनौती हो सकता है। 

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सिद्धू के 17 दिन और 82 रैलियां...
दिसम्बर में 5 राज्यों में हुए चुनाव में सिद्धू के आगे भाजपा का मोदी मैजिक फीका पड़ गया था। इन राज्यों में उन्होंने 17 दिनों में करीब 82 चुनावी ताबड़तोड़ रैलियां की थीं। कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी के बाद दूसरे नंबर पर नवजोत सिंह सिद्धू स्टार प्रचारकों की लिस्ट में थे। 3 राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया, पर यहां आपको बताना लाजमी यह भी है कि इन राज्यों में जिन विधानसभा क्षेत्रों में नवजोत सिंह सिद्धू ने चुनावी रैलियां कीं वहां कांग्रेस ने जीत हासिल की। 

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मोदी की रैलियों के बावजूद हार गए थे प्रत्याशी...
अगर छत्तीसगढ़ की ही बात की जाए तो जिन एक दर्जन से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में सिद्धू ने चुनाव प्रचार किया था उनमें कांग्रेस की भारी मतों से जीत हुई थी। इसके विपरीत इसी राज्य के जिन 5 विधानसभा क्षेत्रों में पी.एम. नरेंद्र मोदी ने रैलियां की थीं वहां भाजपा के सभी प्रत्याशी हार गए थे। छत्तीसगढ़ में सिद्धू ने जांजगीर चांपा, बिलासपुर, कोरबा, दुर्ग शहर जैसे इलाकों में चुनाव प्रचार किया था। बहरहाल अब कांग्रेस के सियासी समीकरण अचानक करवट बदल गए हैं, देखना यह है कि कांग्रेस की यह रणनीति क्या रंग लाती है।

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