कांग्रेस सरकार कर रही मातृभाषा का हनन: चीमा

Edited By Vatika,Updated: 02 Jul, 2020 11:08 AM

congress government is abusing mother tongue cheema

पूर्व शिक्षा मंत्री तथा शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि अकाली दल-भाजपा गठबंधन सरकार के समय

लुधियाना (विक्की) : पूर्व शिक्षा मंत्री तथा शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि अकाली दल-भाजपा गठबंधन सरकार के समय मातृभाषा पंजाबी को प्रोत्साहित करने के लिए अध्यापकों को सालाना गुप्त रिपोर्ट (ए.सी.आर.) में 8 अंक दिए जाते थे पर वर्तमान कांग्रेस सरकार में इन्हें बंद करके इसके विपरीत अंग्रेजी को बढ़ावा देने वालों को 5 अंक देने का निर्णय किया गया है, जोकि हैरानीजनक है क्योंकि राज्य की मातृभाषा पंजाबी है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ऐसे फैसले लेकर मातृभाषा का हनन कर रही है। डॉ. चीमा ने उच्च शिक्षा और भाषा विभाग के मंत्री तृप्त राजिंद्र सिंह बाजवा को पत्र लिखकर इससे अवगत करवाया है। उन्होंने लिखा है कि इससे पहले भी शिक्षा विभाग द्वारा मां-बोली पंजाबी के साथ हो रही बेइंसाफी बारे उन्होंने एक पत्र मुख्यमंत्री को लिखा था।डॉ. चीमा ने कहा कि अकाली-भाजपा सरकार के समय अपनी कक्षा के 10 प्रतिशत ब‘चों को अंग्रेजी पढ़ाने वाले अध्यापकों को 5 अंक देने की परंपरा चलाई गई थी। अब नए फैसले से पंजाबी को बढ़ावा देने वाले, उससे प्यार तथा उसका प्रचार करने वाले अध्यापकों को 13 अंक का खमियाजा भुगतना पड़ेगा। इसका अर्थ यह है कि अध्यापकों को स्पष्ट कर दिया गया है कि पंजाबी को बढ़ावा देने की आवश्यकता नहीं है।

दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की उठाई मांग
चीमा ने कहा कि शिक्षा विभाग की अफसरशाही द्वारा मां बोली पंजाबी का अपमान किया जा रहा है। गुरुओं व पीरों की इस अमीर बोली को पीछे रखने की ऐसी कोशिशें पंजाब राजभाषा एक्ट-1967 का उल्लंघन है। उन्होंने मंत्री से अपील की कि सारे मामले की जांच करवाकर इन निर्णयों को तत्काल रद्द करवाकर फिर से पुराना ए.सी.आर. प्रोफार्मा लागू करवाया जाए तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।


गुरु की बाणी से जोड़ती है मां बोली पंजाबी 
डॉ. चीमा ने कहा कि मां बोली पंजाबी हमारी नई पीढ़ी को अपनी अमीर विरासत, शानदार इतिहास एवं गुरु की बाणी से जोड़ती है। इस मामले की जांच होनी चाहिए कि शिक्षा विभाग में इस तरह के निर्णय किसकी इजाजत से लिए जा रहे हैं। पूरी जांच के बाद इन पंजाबी विरोधी फैसलों को रद्द किया जाना चाहिए।

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