कांग्रेस हाईकमान की राह से अलग चल रही हैं कई प्रदेश इकाइयां

Edited By Anjna,Updated: 29 Jun, 2018 08:57 AM

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एक तरफ 2019 में मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस देशभर में गठबंधन की तरफ बढ़ती दिखाई दे रही है और सभी प्रदेशिक पार्टियों के साथ गठबंधन की संभावना तलाश रही है, मगर कई राज्यों में प्रदेश कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ जा रही है।

जालंधर (रविंदर): एक तरफ 2019 में मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस देशभर में गठबंधन की तरफ बढ़ती दिखाई दे रही है और सभी प्रदेशिक पार्टियों के साथ गठबंधन की संभावना तलाश रही है, मगर कई राज्यों में प्रदेश कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ जा रही है। इनमें सबसे आगे है केरल। केरल कांग्रेस हाईकमान से अलग राह पर चल रही है। वह नहीं चाहती कि प्रदेश में किसी दूसरी पार्टी से गठबंधन किया जाए और ‘एकला चलो’ की नीति पर आगे बढ़ा जाए।

पार्टी के भीतर नई पीढ़ी व पुरानी पीढ़ी को लेकर भी टकराव देखने को मिल रहा है। इस महीने की शुरूआत में के.एम. मनी के पुत्र जोस के. मनी को समर्थन देने के मुद्दे पर ही अन्य पार्टियों के साथ टकराव देखने को मिल रहा था। प्रदेश इकाई के युवा नेताओं ने सीधे तौर पर इसका विरोध किया था। यही नहीं, केरल इकाई प्रदेश में कम्युनिस्ट पार्टी के साथ भी गठबंधन के पक्ष में नहीं है। केरल इकाई का मानना है कि कम्युनिस्टों के साथ गठबंधन करने से पार्टी को प्रदेश में माइलेज नहीं मिल पा रही। गौर हो कि केरल में लोकसभा में 20 सीटें हैं जो कांग्रेस हाईकमान के लिए काफी महत्व रखती हैं। 2014 में केरल से कांग्रेस को 8, कम्युनिस्ट पार्टी (एम) को 5, मुस्लिम लीग को 2, सी.पी.आई. को 1, आर.एस.पी. को 1, केरल कांग्रेस (एम) को 1 और 2 सीटें आजाद प्रत्याशियों को मिली थीं। भाजपा लंबे समय से यहां अपना खाता भी नहीं खोल सकी।

कांग्रेस हमेशा यहां गठबंधन की राह पर चली है, चाहे वह सी.पी.आई. हो या फिर मुस्लिम लीग। अब भाजपा ने भी यहां अपनी जड़ें फैलानी शुरू कर दी हैं। कांग्रेस हाईकमान को एक तरफ डर है कि कहीं केरल में भाजपा मजबूती से अपने पांव न जमा ले और इस कारण वह सभी पार्टियों के साथ गठबंधन की राह देख रही है, मगर दूसरी तरफ प्रदेश इकाई नहीं चाहती कि यहां सी.पी.आई. या मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन किया जाए। उनका मानना है कि गठबंधन से पार्टी की नींव कमजोर हो रही है और पार्टी को अकेले ही अपने रास्ते पर चलना चाहिए। खास तौर पर युवा विधायक नहीं चाहते कि प्रदेश में अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन किया जाए।

पंजाब में भी ‘आप’ के साथ गठबंधन के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस
कांग्रेस हाईकमान पंजाब में भी लोकसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना देख रही है, क्योंकि 2014 में आम आदमी पार्टी ने यहां 4 सीटें जीती थी और विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया था। कांग्रेस हाईकमान को लगता है कि ‘आप’ के साथ गठबंधन से 2019 में अकाली-भाजपा का सफाया किया जा सकता है, मगर प्रदेश इकाई और प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं चाहते कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया जाए। 

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