Edited By Vaneet,Updated: 05 Sep, 2018 09:08 PM
लोकसभा के 2019 में होने वाले आम चुनावों तथा उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा के आम चुनावों को लेकर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस तथा..
जालन्धर(धवन): लोकसभा के 2019 में होने वाले आम चुनावों तथा उसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा के आम चुनावों को लेकर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस तथा एन.सी.पी. ने आपस में बातचीत का दौर शुरू कर दिया है। कांग्रेस चाहती है कि 2014 में दोनों पाॢटयों के मध्य हुए चुनावी समझौते के तहत ही आगे बातचीत बढऩी चाहिए। महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें पड़ती हैं जिसमें से एन.सी.पी. ने 2014 में 21 तथा कांग्रेस ने 26 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र ऐसा दूसरा राज्य है जहां लोकसभा सीटों की गिनती सर्वाधिक है।
कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा व सहयोगी दलों को पराजित करने के लिए यू.पी.ए. के पुराने सहयोगियों से हाथ मिलाने का निर्णय लिया हुआ है। इस संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यू.पी.ए. के पुराने सहयोगियों को आपस में एकत्रित करने में लगे हुए हैं। यद्यपि एन.सी.पी. कुछ अधिक सीटों की मांग कर रही हैं परन्तु माना जा रहा है कि दोनों पाॢटयों के मध्य पुराने फार्मूले के तहत ही समझौता हो जाएगा। अंतिम समझौता उसी समय सिरे चढ़ेगा जब राहुल गांधी तथा एन.सी.पी. के दिग्गज नेता शरद पवार आपस में बैठेंगे। इस समय कांग्रेस तथा एन.सी.पी. के मध्य चल रही बातचीत में एन.सी.पी. के महाराष्ट्र नेता जयंत पाटिल, कांग्रेस के अशोक गहलोत, महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अशोक चौहान तथा एन.सी.पी. के एक अन्य वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल लगे हुए हैं।
राहुल गांधी ने सभी राज्यों में भाजपा को लेकर चुनावी गणित बिठाना शुरू कर दिया है। जिन राज्यों में कांग्रेस मजबूत है वहां पर पार्टी अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी परन्तु जिन राज्यों में पार्टी में कमजोरी है वहां अन्य दलों को साथ मिलाया जा रहा है। कांग्रेस नेता सीटों के समझौते के तहत अपना हिस्सा हटाना नहीं चाहते हैं। वह 2014 के फार्मूले पर ही अडिग हैं। अभी तक इस बातचीत में बसपा को शामिल नहीं किया गया है। कांग्रेस तथा एन.सी.पी. ही आपस में सीटों का तालमेल करने में लगी हुई है। महाराष्ट्र में इस समय भाजपा की सरकार है तथा उसके विरुद्ध सरकार विरोधी लहर जोर पकड़ रही है। इसे देखते हुए भी कांग्रेस व एन.सी.पी. आपस में तालमेल करके धर्मनिरपेक्ष वोटों को एकत्रित करना चाहते हैं।