PG में रहते विद्यार्थियों के बढ़ रहे सुसाइड केसों से अभिभावकों में बढ़ा खौफ

Edited By Vatika,Updated: 16 Apr, 2018 10:05 AM

commit suicide

पी.जी. में रहते विद्यार्थियों के सुसाइड केस लगातार सामने आ रहे हैं। पांच दिन पहले कमिश्नरेट पुलिस जालंधर के अधीन आते थाना सदर के क्षेत्र पार्क एवेन्यू, दीप नगर में स्थित एक पी.जी. में रहते एल.पी.यू. के चंडीगढ़ निवासी फीजियोथैरेपिस्ट विद्यार्थी...

जालंधर(महेश): पी.जी. में रहते विद्यार्थियों के सुसाइड केस लगातार सामने आ रहे हैं। पांच दिन पहले कमिश्नरेट पुलिस जालंधर के अधीन आते थाना सदर के क्षेत्र पार्क एवेन्यू, दीप नगर में स्थित एक पी.जी. में रहते एल.पी.यू. के चंडीगढ़ निवासी फीजियोथैरेपिस्ट विद्यार्थी असीमजोत सिंह बदेशा द्वारा पंखे से फंदा लगाकर की गई खुदकुशी के कारण का अभी तक न तो उसके अभिभावकों को पता चल सका है और न ही मामले की जांच रही संबंधित पुलिस को। हालांकि असीमजोत सिंह बदेशा ने एक लाइन के लिखे अपने सुसाइड नोट में सिर्फ इतना स्पष्ट किया था कि उसकी मौत का जिम्मेदार वह खुद है। असीमजोत से पहले भी अन्य स्थानों पर पी.जी. में रहते कई विद्यार्थी सुसाइड कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुके हैं। असीम के सुसाइड केस ने पी.जी. में रहने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। उनमें इस बात का खौफ पैदा हो गया है कि वह अपने बच्चे को खुद से दूर रखकर कहीं हमेशा के लिए खो न दें।  
 

दूसरे राज्यों के होते हैं विद्यार्थी
पी.जी. में रहते विद्यार्थी ’यादातर दूसरे राज्यों से संबंधित होते हैं। वह अपने राज्य से उच्च शिक्षा पाने के लिए जालंधर जैसे कई प्रमुख शहरों में आकर पी.जी. का सहारा लेते हैं। काफी-काफी समय तक उन्हें अपने मां-बाप व भाई-बहनों से दूर रहने को मजबूर होना पड़ता है। मां-बाप भी अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए उन्हें घर से जाने से नहीं रोकते हालांकि मां का दिल कभी भी अपने जिगर के टुकड़े को दूर करने को नहीं करता। असीम के साथ रहते 2 अन्य विद्यार्थी राहुल व साहिल भी श्रीगंगानगर तथा शिमला से संबंधित थे। 


परेशानी से बाहर न निकलने पर उठा लेते हैं गलत कदम
पी.जी. में रहते विद्यार्थियों को कई बार अकेलापन भी सताने लगता है और वह पढ़ाई के साथ-साथ अन्य कई परेशानियों से जूझते हुए जल्दबाजी में सुसाइड जैसा गलत कदम उठा लेते हैं। असीम के सुसाइड का भी कोई ऐसा ही कारण हुआ हो सकता है। 
 

बुरी संगत का भी शिकार हो जाते हैं कई विद्यार्थी
घर से दूर रहकर कई बच्चे बुरी संगत का भी शिकार हो जाते हैं जिससे पढ़ाई में उनका मन कम लगता है और नशे इत्यादि की दलदल में फंसकर अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं। बुरी संगत से जब वे निकलने का प्रयास करते हैं तो निकल नहीं पाते और सोचते हैं कि परिवार को बताएंगे तो मां-बाप और परेशान होंगे इसलिए खुद ही दुनिया छोड़ जाएं तो सभी के लिए अच्छा होगा, लेकिन परिवार का उनके बाद क्या हाल होगा वे यह नहीं सोचते। 

पी.जी. में विद्यार्थियों को रखने की पुलिस को नहीं दी जाती जानकारी
लोगों ने पैसा बनाने की लालच में धड़ाधड़ पी.जी. बनाए हुए हैं। पी.जी. की शरण ज्यादातर विद्यार्थी वर्ग ही लेता है। अमीर घरों से संबंधित बच्चे अच्छे पी.जी. के लिए मुंहमांगी रकम पी.जी. मालिक को दे देते हैं। पी.जी. वाले पुलिस को पी.जी. में रखने वाले विद्यार्थियों की जानकारी इसलिए देना उचित नहीं समझतेे क्योंकि उनकी सोच रहती है कि अगर पुलिस को बताया तो पूरी वैरीफिकेशन जरूरी हो जाएगी और जब तक वह नहीं होती तब तक वह किसी को भी पी.जी. में नहीं रख सकेंगे।  

कमिश्नरेट पुलिस को होना होगा गम्भीर
आम जनता की आवाज है कि पी.जी. में रखे जाते विद्यार्थियों को लेकर कमिश्नरेट पुलिस को गम्भीर होना होगा। पी.जी. के मालिकों को विद्यार्थियों के बारे में पुलिस को सूचित करने संबंधी कड़े आदेश दिए जाने चाहिएं और संबंधित पुलिस स्टेशनों को भी कहा जाए कि वह अपने क्षेत्रों में बने पी.जी. पर पूरी नजर रखें। समय-समय पर चैकिंग यकीनी बनाई जाए। 


इकलौते बेटे की मौत के गम में डूबे हुए मां-बाप 
11 अप्रैल को अपने पी.जी. के रूम में सुसाइड करने वाले असीम के पिता हरकीरत सिंह व मां भुपिन्द्र कौर अपने इकलौते बेटे की मौैत के गम में डूबे हुए हैं। असीम के पिता कहते हैं कि वह समय-समय पर अपने बेटे की हर ख्वाइश पूरी करते थे इसके बावजूद उन्होंने उसे खो दिया। अब वह कहते हैं कि उनकी गलती यह रही कि उन्होंने असीम को अपने से दूर जालंधर में पढ़ाई करने के लिए भेेज दिया। ऐसा न करते तो आज उनका लाल उनके पास होता।


 

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