Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Sep, 2017 10:39 AM
डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा ने कर्मचारियों में अनुशासनहीनता के बढ़ रहे मामलों पर सख्ती बरतते हुए दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम
जालंधर (अमित): डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा ने कर्मचारियों में अनुशासनहीनता के बढ़ रहे मामलों पर सख्ती बरतते हुए दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाना शुरू कर दिया है।इसी कड़ी में बुधवार को तहसीलदार दफ्तर फिल्लौर में तैनात क्लर्क प्रवीण लता द्वारा उसके खिलाफ जारी चार्जशीट का तय समय-सीमा में जवाब न देने का कड़ा संज्ञान लेते हुए एस.डी.एम. फिल्लौर को मामले की विभागीय जांच-पड़ताल करके एक महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है। जांच के दौरान क्लर्क के दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें इसे मेजर पैनल्टी लगाई जा सकती है जिसके तहत उसकी सालाना तरक्कियां और प्रमोशन पर भी रोक लगाई जा सकती है।
क्या है डी.सी. द्वारा जारी आदेश?
डी.सी. ने बुधवार को जारी आदेश में कहा है कि प्रवीण लता, क्लर्क, दफ्तर तहसीलदार फिल्लौर को पत्र नंबर 2741/ई.ए/ 2036 तिथि 12-06-17 द्वारा दोष-पत्र (चार्ज-शीट) जारी किया गया था। दोष-पत्र का जवाब 30 दिनों के अंदर-अंदर दफ्तर में पेश किया जाना था, मगर उक्त क्लर्क द्वारा जवाब तय समय में नहीं दिया गया। इसलिए उप-मंडल मैजिस्ट्रेट फिल्लौर को कर्मचारी के विरुद्ध लगाए गए दोषों की विभागीय पड़ताल करने के लिए बतौर पड़तालिया अफसर और सुपरिंटैंडैंट ग्रैड-2, दफ्तर उप-मंडल मैजिस्ट्रेट फिल्लौर आशा रानी को पेशकत्र्ता अधिकारी नियुक्त किया गया है। डी.सी. ने पत्र में हिदायतें जारी की हैं कि उक्त केस में पड़ताल करके रिपोर्ट अपनी टिप्पणी सहित एक महीने के अंदर-अंदर भेजी जाए।
क्यों जारी हुई थी चार्जशीट?
तहसीलदार दफ्तर फिल्लौर में कार्यरत क्लर्क प्रवीण लता को डी.सी. पंजाब सिविल सेवाएं (दंड और अपील) रूल्ज 1970 के सब-रूल्ज 8 के अधीन चार्ज-शीट जारी करते हुए कहा था कि जब उक्त क्लर्क फिल्लौर में तैनात थी उस समय एस.एस.पी. विजीलैंस ब्यूरो, पंजाब, चंडीगढ़ की तरफ से तहसील फिल्लौर की तिथि 20-09-2016 को औचक चैकिंग की गई थी। चैकिंग के दौरान क्लर्क दफ्तर से गैर हाजिर पाई गई थी जिससे उसके द्वारा ड्यूटी के प्रति लापरवाही का सबूत दिया गया था। डी.सी. ने कहा कि क्लर्क का उक्त रवैया सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियमावली 1966 के नियम 3 के प्रतिकूल है। ऐसा करके क्लर्क ने अपने आप को सजा का भागीदार बना दिया और यह पंजाब सिविल सेवाएं (दंड और अपील) नियमावली 1970 के नियम 8 के अधीन कार्रवाई करने के लिए योग्य आधार है।