क्या कैप्टन-सिद्धू डैडलॉक तोड़ पाएंगे अहमद पटेल?

Edited By Vatika,Updated: 17 Jun, 2019 09:21 AM

clash between sidhu captain

लोकसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व नवजोत सिद्धू के बीच 36 का आंकड़ा दूर करने के लिए हाईकमान ने अहमद पटेल की ड्यूटी लगाई है परंतु सफलता नहीं मिल रही और न ही दूर तक कोई रास्ता नजर आ रहा है।

पठानकोट (शारदा): लोकसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व नवजोत सिद्धू के बीच 36 का आंकड़ा दूर करने के लिए हाईकमान ने अहमद पटेल की ड्यूटी लगाई है परंतु सफलता नहीं मिल रही और न ही दूर तक कोई रास्ता नजर आ रहा है। वह दोनों और से चल रहे डैडलॉक को तोडऩे का प्रयास कर रहे हैं। दूसरी ओर मुख्यमंत्री कैप्टन की अपनी सरकार पर पूरी पकड़ है और पार्टी में भी वह सर्वेसर्वा हैं। उनकी यही पकड़ उनकी ताकत है। 

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क्या सिद्धू नया विभाग करेंगे ज्वाइन?
अहमद पटेल ने सिद्धू पर दबाव बनाया कि वह अपना नया विभाग ज्वाइन करें जिस पर अभी तक सिद्धू की तरफ से अमल नहीं हो पाया। अब जो नई परिस्थितियां उभरकर सामने आई हैं, उसमें यह बात सामने आ रही है कि कैप्टन साहिब अहमद पटेल को मिलने दिल्ली जाने की बजाय खुद पटेल चंडीगढ़ आ रहे हैं क्योंकि कैप्टन की तबीयत ठीक नहीं है। इन परिस्थितियों में अहमद पटेल कल तभी चंडीगढ़ की ओर प्रस्थान करेंगे यदि उन्हें लगा कि कैप्टन साहिब से उनकी मुलाकात अच्छे माहौल में होगी और उसके कोई सार्थक परिणाम निकलने की संभावना है। अन्यथा वह इसे राहुल गांधी के विदेश से वापस लौटने तक पैडिंग भी कर सकते हैं?
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पंजाब की राजनीति में कैप्टन की पकड़, सिद्धू को हाईकमान का सहारा
कैप्टन ग्रुप की मैनेजमैंट के सामने सिद्धू के पास एकमात्र सहारा हाईकमान था परंतु राष्ट्रीय स्थिति ऐसी हुई कि हाईकमान एकदम बैकफुट पर चला गया परंतु फिर भी हाईकमान ने जरूरत से अधिक सिद्धू को अधिमान दिया। जब राहुल किसी को नहीं मिल रहे थे तो उस समय प्रियंका, राहुल गांधी और अहमद पटेल की सिद्धू के साथ मीटिंग सामने आई परंतु स्थितियां बदल चुकी हैं, पुलों के नीचे से बहुत पानी बह चुका है, इस उज्ज स्तरीय मीटिंग के बाद भी पंजाब में स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही और कैप्टन अपने स्टैंड पर अडिग रहे।
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पटेल के मुंह से निकली बात कांग्रेसियों के  लिए होती थी कानून 
एक समय था कि अहमद पटेल के मुंह से निकली आवाज कांग्रेसियों के लिए एक कानून बन जाती थी और जिस टिकट के आगे अहमद पटेल लिख दिया जाता था उस पर चर्चा तक नहीं होती थी। माना यह जाता था कि यह सर्वोच्च फैसला है जिसमें सोनिया गांधी की स्वीकृति है। हाईकमान की यह भागमभाग इस बात का द्योतक है कि वह सिद्धू को खोना नहीं चाहते लेकिन आला कमान यह भी जानता है कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह दृढ़ निश्चिय के नेता हैं, इसलिए पंजाब की जनता उन्हें इतना प्यार करती है।
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क्या मुख्यमंत्री सिद्धू को देंगे अवसर?
इस बात की बड़ी संभावना है कि पहले अहमद सिद्धु को मनाएं कि वह समय की नजाकत को समझते हुए कुछ समय के लिए झुक जाएं और नया महकमा ज्वाइन कर लें। बाद में जब समय अनुकूल होगा तो देखा जाएगा। क्या हाईकमान का यह लॉलीपाप सिद्धू लेना चाहेंगे? क्योंकि पहले भी दो यां तीन बार पिछले 2 वर्षों में उनसे किए वायदे हाईकमान नहीं पूरा कर पाया। एक ओर हाईकमान ने उसे समस्त भारतवर्ष में स्टॉर प्रचारक बनाकर हैलीकाप्टर में घुमाया तो दूसरी ओर प्रमोशन की बजाए उनकी अपने ही राज्य में ऐसी डिमोशन की कि उनका स्थानीय विभाग महकमा भी खुस गया और पॉवरलैस महकमा थमा दिया गया, सारी बाजी अब कैप्टन साहिब के ऊपर निर्भर है।

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