Edited By Vatika,Updated: 08 Jan, 2019 11:44 AM
लोकसभा चुनाव से पहले अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की राहें अलग-अलग दिखाई दे रही हैं। भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाई लडऩे के लिए जहां राहुल गांधी अन्य पार्टियों के साथ...
जालंधर(रविंदर): लोकसभा चुनाव से पहले अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन को लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की राहें अलग-अलग दिखाई दे रही हैं। भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्तर पर लड़ाई लडऩे के लिए जहां राहुल गांधी अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन की राह देख रहे हैं, वहीं कैप्टन पंजाब में सिर्फ अपने बारे में ही सोच रहे हैं।
राहुल गांधी पंजाब व दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन चाहते हैं तो वहीं कैप्टन पंजाब में आप के साथ गठबंधन की राह में कांटे बिछा रहे हैं। अब आने वाले समय में देखना होगा कि कैप्टन की गठबंधन को लेकर की जा रही न पर हाईकमान क्या रुख अपनाती है। गौर हो कि ‘पंजाब केसरी’ ने 2 दिन पहले ही इस बात का खुलासा किया था कि दिल्ली व पंजाब में कांग्रेस व आम आदमी पार्टी गठबंधन की राह पर बढ़ रहे हैं। पंजाब में एच.एस. फूलका का आम आदमी पार्टी को अलविदा कहना और दिल्ली में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन का इस्तीफा देना इसी कड़ी का एक हिस्सा देखा जा रहा था, क्योंकि ये दोनों नेता पंजाब व दिल्ली में गठबंधन की राह में रोड़ा बने हुए हैं।
इन दोनों के हटते ही दोनों पार्टियों के शीर्ष नेता गठबंधन के रास्ते तलाशने में जुट गए थे। ‘पंजाब केसरी’ में खबर छपते ही मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह सोमवार को गठबंधन के मामले में दिल्ली दरबार पहुंच गए। राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से बात करते हुए कैप्टन ने साफ कह दिया कि पंजाब में ‘आप’ से गठबंधन की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आप का पंजाब में ग्राफ खत्म हो चुका है।
दरअसल इसके पीछे कैप्टन राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का हित देखने की बजाय पंजाब में अपना हित देख रहे थे, क्योंकि गठबंधन होने की सूरत में पंजाब में कांग्रेस को ‘आप’ के लिए 2 से 3 सीटें छोडऩी पड़ेंगी। ऐसे में पंजाब की राजनीति में कैप्टन का अपना दबदबा कम होने के आसार हैं और पंजाब की कैबिनेट में भी आने वाले समय में आप को प्रतिनिधितत्व देना पड़ सकता है। खुद के राजनीतिक संकट को देखते हुए तुरंत कैप्टन ने पार्टी के राष्ट्रीय हित को देखने की बजाय आप से गठबंधन को न कहना ही उचित समझा। मगर आने वाले दिनों में हाईकमान इसे किस नजरिए से देखता है, यह कैप्टन का राजनीतिक भविष्य व पंजाब में गठबंधन का रास्ता तय करेगा।