Edited By Updated: 11 Jan, 2017 11:02 AM
लोहड़ी व 26 जनवरी के दिन पतंगबाजी के शौकीनों की कातिल डोर की धार न जाने कितने बेजुबान परिंदों की आजादी छीनकर उन्हें मौत का
लुधियाना(खुराना): लोहड़ी व 26 जनवरी के दिन पतंगबाजी के शौकीनों की कातिल डोर की धार न जाने कितने बेजुबान परिंदों की आजादी छीनकर उन्हें मौत का फरमान सुना डालेगी। पतंगबाजों का यह शौक जहां अधिकतर परिंदों को हमेशा के लिए अपाहिज कर देता है, वहीं कई पक्षियों को हमेशा के लिए मौत के घाट उतार देगा। यह सब पहली बार नहीं हो रहा है। त्यौहार के सीजन में न जाने कितने ही पक्षियों की सांसें यह डोर बंद कर देती है।
पक्षियों के बच्चे भी चढ़ जाते हैं मौत की भेंट
पतंगबाजी का शौक अकेले आकाश में उडऩे वाले परिंदों को ही मौत के मुंह में नहीं पहुंचाता है, बल्कि उन परिंदों के घोसलों में पड़े अंडे व छोटे-छोटे बच्चे भी भूख से तड़प-तड़प कर मर जाते हैं या फिर किसी अन्य जीवों का शिकार हो जाते हैं।
250 मामले सामने आए
समाज सेवी संस्था एक्शन अगेंस्ट करप्शन के प्रमुख चन्द्रकांत चड्ढा ने बताया कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (ए.जी.टी.) के आंकड़ों के अनुसार पूरे देश में कातिल डोर के चलते करीब 50 से अधिक इंसानी मौतें हो चुकी हैं और अकेले लुधियाना में ही डोर की चपेट में आए 250 मामलों में लोग हादसों का शिकार होकर अपाहिज या फिर घायल हुए हैं। चड्ढा के अनुसार दिल्ली में चाइना डोर से हुई मात्र 3 इंसानी मौतों के बाद ही सरकार ने सख्त कानून बनाया है कि जो भी डोर का इस्तेमाल करता पाया जाएगा, उसे 5 वर्ष की कैद व 2 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। लुधियाना में इस डोर पर प्रतिबंध होने के बावजूद भी शहर के अधिकतर हिस्सों में धड़ल्ले से बेची जा रही है।
चन्द्र कांत चड्ढा, संस्था प्रमुख एक्शन अगेंस्ट करप्शन।
अपनी व परिंदों की जान के दुश्मन खुद ही बने लोग
पक्षी सेवा समिति के प्रमुख डा. विपन भाटिया ने उक्त मुद्दे पर गहरी ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए बताया कि पिछले वर्ष इन दिनों में उनके पास 56 अपाहिज पक्षी ऐसे आए थे जो कि चाइना डोर की चपेट में आकर घायल हुए थे।उन्होंने बताया कि उनकी संस्था द्वारा चाइनीज डोर के शुरूआती दौर से ही डोर का विरोध किया जाता रहा है, जबकि पुलिस प्रशासन का पूर्ण सहयोग न मिलने के कारण बेजुबान परिंदों की मौत का आंकड़ा वर्ष दर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। शहर के अधिकतर हिस्सों में पक्षियों की कुछ नस्लें देखने को नहीं मिल रही हैं। डा. विपन भाटिया, पक्षी सेवा समिति प्रमुख।