Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 10:20 AM
सब्जियों व फलों की महंगाई की आग थमी नहीं थी कि अब अंडों व चिकन को भी महंगाई का तड़का लग गया है। सर्दी की दस्तक के साथ ही महंगाई के बोझ ने आम लोगों की रसोई का बजट गड़बड़ा दिया है। अंडा व चिकन अभी तक के अपने उच्चतम दाम पर पहुंच गए हैं।
जालंधर (रविंदर शर्मा) : सब्जियों व फलों की महंगाई की आग थमी नहीं थी कि अब अंडों व चिकन को भी महंगाई का तड़का लग गया है। सर्दी की दस्तक के साथ ही महंगाई के बोझ ने आम लोगों की रसोई का बजट गड़बड़ा दिया है। अंडा व चिकन अभी तक के अपने उच्चतम दाम पर पहुंच गए हैं।
डिमांड हो गई कम
अंडों व चिकन का रेट बढऩे के साथ ही इनकी मार्कीट में डिमांड कम हो गई है। एक दौर ऐसा भी था जब दालों के रेटों में खासा इजाफा था तो उस समय चिकन दालों से भी कम दाम पर मिलता था और लोग दालों की बजाय चिकन खाने को ही तरजीह देने लगे थे। मगर अब चिकन के रेटों मे बेतहाशा वृद्धि ने नॉन वैज के शौकीनों को गहरी चोट पहुंचाई है। गौर हो कि फैस्टीवल सीजन खत्म होने के बाद भी मार्कीट में सब्जियों की दरकार बनी हुई है।
टमाटर पहले ही है महंगाई से लाल
एक तरफ टमाटर लगातार मंहगाई से लाल है तो दूसरी तरफ प्याज के रेट भी आसमान छूने लगे हैं। टमाटर व प्याज के रेट बढऩे से अब लोग बिना तड़के के ही सब्जी व दाल पकाने लगे हैं। सरकार इसके लिए खराब फसल को जिम्मेदार ठहरा रही। आम लोगों का मानना है कि सरकार की लापरवाही ही बाजार में कालाबाजारी को शह दे रही है। माफिया की शह पर हर चीज के रेट तय किए जाते हैं और बाजार में सब्जी व दालों का रेट बढ़ाकर माफिया को फायदा पहुंचाया जाता है।