संतोख चौधरी को चंदन ग्रेवाल ने दलित मुद्दों व विकास को लेकर खुली बहस की दी चुनौती

Edited By swetha,Updated: 08 May, 2019 10:45 AM

chandan grewal

आम आदमी पार्टी से करतारपुर विधानसभा से चुनाव, फिर कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं और आज एकाएक पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की उपस्थिति में अकाली दल में शामिल हुए दलित नेता चंदन ग्रेवाल ने सभी को हतप्रभ कर दिया है।

जालंधरः आम आदमी पार्टी से करतारपुर विधानसभा से चुनाव, फिर कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं और आज एकाएक पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की उपस्थिति में अकाली दल में शामिल हुए दलित नेता चंदन ग्रेवाल ने सभी को हतप्रभ कर दिया है। सुखबीर ने चंदन को अकाली दल के प्रदेश उपप्रधान का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा है। लोकसभा चुनावों के मतदान को लेकर केवल 12 दिन शेष बचे हैं।  उन्हें खासतौर पर जालंधर लोकसभा हलके में कांग्रेस के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने व अकाली प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार की कमान सौंपी है। इस संदर्भ में चंदन ग्रेवाल ने पंजाब केसरी टी.वी. पर दिए विशेष इंटरव्यू के दौरान दलित मुद्दों सहित अपनी अगली रणनीति पर बेबाक बातचीत की जिसका विवरण इस प्रकार है-

प्र : किन बातों से प्रभावित होकर अकाली दल में शामिल हुए? 
उ: संविधान निर्माता डा. भीमराव अंबेदकर ने कहा था कि राजनीति ऐसी कुंजी है जिससे हरेक ताले को खोला जा सकता है। राजनीतिज्ञ होना बुरा नहीं है, बशर्ते आपकी टम्र्स एंड कंडीशन्स  व वैल्यूज पहले की भांति होनी चाहिएं जैसे राजनीति में आने से पहले थीं। राजनीतिज्ञ होने के बाद भी इंसान का किरदार नहीं बदलना चाहिए। अकाली दल प्रधान सुखबीर बादल की पेशकश के बाद वह आज पार्टी में शामिल हुए हैं क्योंकि अकाली दल में ही दलितों के हित सुरक्षित हैं। अकाली दल ने बहुत बड़ी जिम्मेदारी मुझे सौंपी है जिसे मैं पूरी ईमानदारी से निभाऊंगा। मुझे पार्टी जहां और जिस विधानसभा हलके में प्रचार करने को भेजेगी मैं वहां जाकर अटवाल की जीत के लिए काम करूंगा। 

प्र.: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र से मुलाकात के बाद भी कांग्रेस ज्वाइन करके इंकार क्यों किया? 
उ.: मैंने कभी भी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन नहीं की। लोकसभा चुनावों में टिकट बंटवारे में वाल्मीकि/मजहबी सिख समुदाय की कांग्रेस में हुई अनदेखी व दलित मुद्दों को लेकर मैं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से मिला था और उन्हें अपना विरोध जताया था। बैठक से बाहर आकर मैंने मौके पर ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर मैं कांग्रेस में शामिल हुआ तो अपने लोगों की राय व उनके साथ ही ज्वाइन करूंगा। इस बात का कै. अमरेन्द्र को भी भली-भांति पता था, मैं उन्हें जवाब दे चुका था। प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ लेट पंहुचे थे और वह हमारी हुई बातचीत से अभिज्ञ थे जिस कारण कांग्रेस की तरफ से गलत संदेश मीडिया को दे दिया गया। 

 प्र.: कांग्रेस नेताओं में आपको पार्टी ज्वाइन करवाने का उतावलापन क्यों था? 
उ.: पूर्व सांसद मोहिन्द्र सिंह के.पी. अपनी टिकट कटने के बाद कांग्रेस द्वारा उनके राजनीतिक कत्ल करने के बयान दे रहे थे और चर्चाएं थीं कि वह किसी अन्य पार्टी में शामिल होकर अथवा आजाद तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। मेरे ख्याल से कांग्रेस ने के.पी. को एक आईना दिखाने की कोशिश थी कि अगर वह नहीं हों तो हमारे पास दलित नेता चंदन ग्रेवाल हैं जिन्हें आदमपुर विधानसभा हलका की कमान सौंपी जाएगी। मैं समझता हूं कि यह कांग्रेस नेताओं की सोची-समझी साजिश थी। मुझे वहां लेकर जाना और फिर बात करवानी थी, जहां अपने कैमरामैन रखे थे, जल्दबाजी में फोटो खींची और वायरल कर दी जबकि आप फोटो में देखें तो मैंने कहीं भी गले में कांग्रेस का सिरोपा नहीं डाला था। कै. अमरेन्द्र का मेरा कांग्रेस में शामिल होने का कोई बयान नहीं था जैसे आज सुखबीर बयान देकर गए हैं।

प्र.: इस साजिश में कौन-कौन से कांग्रेस नेता शामिल थे? 
उ.: मैं समझता हूं कि इस साजिश में यहां की सारी लोकल लीडरशिप शामिल थी। जिनमें मुख्यत: विधायक राजिन्द्र बेरी, मेयर जगदीश राज राजा व एक-दो अन्य साथी थे जो इस सारे काम को अंजाम देने में लगे हुए थे परंतु वे अपनी साजिश में सफल नहीं हो पाए।

प्र.: चर्चा है कि चंदन की कांग्रेस के साथ डील फाइनल नहीं हुई थी? 
उ.: इसे किस तरह से डील कह सकते हैं। हम राजनीति में अपनी हिस्सेदारी मांगते हैं। राजा (मुख्यमंत्री) ने अपनी जेब में से कुछ नहीं देना था। वाल्मीकि व सिख मजहबी समाज पार्टी से केवल अपना हक मांग रहा था परंतु कांग्रेस ने समुदाय को पूरी तरह से नजरअंदाज किए रखा। कांग्रेस ने पंजाब की 4 रिजर्व लोकसभा सीटों से 2 सीटें वाल्मीकि/ मजहबी समाज को देने का वायदा किया था परंतु वायदे से मुकर कर उन्होंने समाज की पीठ में छुरा घोंपा है जिसे कतई माफ नहीं किया जा सकता। 

प्र.: चरणजीत अटवाल व संतोख चौधरी के मुकाबले को किस नजर से देखते हैं? 
उ.: पहली बात तो यह है कि अकाली दल-भाजपा गठबंधन प्रत्याशी चरणजीत अटवाल व कांग्रेस प्रत्याशी संतोख चौधरी के बीच अगर कोई भी कम्पैरिजन करता है या करने की कोशिश करता है तो वह मेरे लिए बड़ी हंसी की बात है क्योंकि चौधरी के किरदार और अटवाल साहिब के किरदार का सभी लोगों को पता है। अटवाल का जो अक्स है उसे पूरी दुनिया जानती है और किरदार के मामले में मेरे ख्याल में वह चौधरी से बहुत ऊंचे हैं। सादगी व ईमानदारी के मामले में अटवाल जनता में खासे लोकप्रिय हो रहे हैं जबकि  संतोख चौधरी का रोजाना कहीं न कहीं समाज के हरेक वर्ग द्वारा विरोध जताया जा रहा है। 

प्र.: संतोख चौधरी का परिवार कई दशकों से दलित समाज की सेवा कर रहा है? 
उ.: सही है कि संतोख चौधरी परिवार ने दलित समाज की बहुत सेवा की है और शायद दलित समाज उनके घर के बीच ही खत्म हो जाता है, वह बाहर निकल कर देखना भी नहीं चाहते कि दलित समाज कहते किसको हैं। पीढ़ी-दर-पीढ़ी रिजर्वेशन का लाभ लेकर रिजर्वेशन की बात नहीं करते। वर्षों से इन्हीं परिवारों में टिकटें बंटती जा रही हैं, कभी पिता, फिर पुत्र, पत्नी, भतीजा पार्टी को कोई दलित दिखाई नहीं देता। अगर चौधरी परिवार ने दलितों का उत्थान किया होता तो आज दलितों के बच्चे पेट भर कर खाना खा रहे होते। क्या दलित समाज उसे कहते हैं जो 800 रुपए में ठेके पर नौकरियां करें, उनसे 24-24 घंटे काम करवाया जाता है, उनका शारीरिक शोषण किया जाता है और कई तरह की मानसिक यात्नाएं उनको दी जाती हैं। ऐसे लोग इन्हें दलित नहीं लगते। जिन लोगों ने सारी उम्र अपने सिर पर लोगों की गंदगी उठाई वे दलित नहीं हैं, केवल वे दलित हैं जिनकी करोड़ों अरबों रुपए की प्रापॢटयां हैं, जिनके अवैध माइनिंग के काम चलते हैं, जिनके और कई तरह के बिजनैस हैं, स्टिंग में फंसते हैं और अपने आपको महान दलित लीडर मानकर बैठे हुए हैं। समूचा दलित समाज अकाली दल के साथ कन्वर्ट होगा जबकि चौधरी संतोख सिंह व कांग्रेस को वोट नहीं करेगा। 

प्र.: कांग्रेस हाईकमान स्टिंग पर चौधरी को क्लीन चिट दे चुकी है? 
उ.: पूरी दुनिया को पता है कि स्टिंग में बैग पकड़ाया गया, संतोख चौधरी ने खुद माना कि मोदी सरकार आने के बाद गलत काम बंद हुए हैं। उन्होंने खुफिया कैमरे के सामने निवेश करने की बात स्वीकारी है। उसी स्टिंग  की वजह से कै. अमरेन्द्र सरकार ने चौधरी को दोबारा टिकट दी है क्योंकि अगर टिकट काट देते तो प्रूफ हो जाना था कि चौधरी साहिब ने पैसे मांगे हैं। 

प्र.: अकाली दल व भाजपा के विरोध न करने के बाद स्टिंग  का मामला ठंडा पड़ चुका है? 
उ.: स्टिंग  का मुद्दा ठंडा नहीं पड़ा है, इश्यू तो सदियों पुराने भी बाहर निकल जाते हैं, मैं समझता हूं कि देश का इतना महत्वपूर्ण चुनाव है, इन चुनावों में अगर कोई इस बात की चर्चा नहीं होती कि हमारा नुमाइंदा कैसा है, उसका किरदार कैसा है और वह कौन से लेन-देन लोगों के साथ करता है, अगर ऐसे स्टिंग देखकर भी लोग न समझे तो लोगों को ऐसे राजनेताओं से भगवान भी नहीं बचा सकता। स्टिंग मामले की पूरी जांच करवाई जानी चाहिए।  

प्र.: संतोख चौधरी कहते हैं कि दोआबा व उनके हलके में जाकर मेरी ईमानदारी का पूछ लो?
उ.: चौधरी साहिब शायद हलका फिल्लौर की ही बात करते हैं कि फिल्लौर से पूछ लो क्योंकि बाकी हलकों को तो इन्होंने कभी अपना हलका माना ही नहीं। पिछले दिनों मीडिय़ा की सुर्खियां ही देख लो कि जिस गन्ना गांव को चौधरी ने गोद लिया हुआ है वहां के 5-7 नौजवान चिट्टा पी कर मर गए। वह किस हलके की बात कर रहे हैं यह सोचने वाली बात है। 

प्र.: सांसद चौधरी दावा करते हैं कि उन्होंने जालंधर के विकास को बहुत काम किए? 
उ.: हम सभी सड़कों पर निकल जाते हैं और पता चल जाएगा कि इन्होंने कितना विकास किया है। सड़कों की बुरी हालत, सीवरेज, स्ट्रीट लाइट व्यवस्था चरमराई हुई है, नगर निगम कर्मचारी वेतन लेने को निगम के दरवाजे पर बैठकर रोष धरने देते थे। ऐसा कोई एक भी प्रोजैक्ट बताएं जो चौधरी संतोख लेकर आए हैं। जालंधर की बेहतरी के लिए प्रोजैक्ट तो क्या लाना चौधरी तो साढ़े 4 साल किसी को नजर भी नहीं आए। लोकसभा चुनावों की मजबूरी के चलते वह केवल पिछले 6 महीनों में तो लोगों के बीच आना शुरू हुए हैं। वर्ना वह तो पुत्र मोह में केवल फिल्लौर हलके तक ही सीमित रह चुके थे। इन्होंने क्या काम किए हैं, वह दूध का दूध और पानी का पानी करके रख देंगे। खुली बहस करें।  

प्र.: कांग्रेस के मुकाबले अकाली दल ने दलितों के लिए क्या किया? 
उ.: जालंधर की ही बात कर लो, कै. अमरेन्द्र की 2002 की सरकार के दौरान कांग्रेस ने मोहल्ला सैनीटेशन कमेटियों का गठन किया। कांग्रेस प्रत्याशी संतोख चौधरी के भाई स्व. चौधरी जगजीत सिंह लोकल बाडी मिनिस्टर थे जिन्होंने निगम में 800-800 रुपए में कच्चे सफाई सेवकों की भर्ती की प्रक्रिया को शुरू करवाया जिससे दलितों का जमकर शोषण हुआ। पंजाब सफाई मजदूर यूनियन के प्रधान के तौर पर उन्होंने साथियों के साथ कैप्टन सरकार के खिलाफ संघर्ष चलाया। 2007 के बाद सत्ता में आई बादल सरकार ने प्रशंसनीय काम किए हैं।

प्र.:  सांसद चौधरी का निगम यूनियन के बैनर तले आप पहले भी विरोध करते रहे हैं? 
उ.: नगर निगम के वार्डों की संख्या को 65 से बढ़ाकर 80 किया गया। 15 वार्ड तो बढ़ गए परंतु सफाई कर्मचारियों की नई भर्ती नहीं की गई जिस कारण शहरवासियों को कूड़े के ढेरों, सीवरेज व्यवस्था सहित अन्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। सांसद संतोख चौधरी ने अपने चुनावों को देखते हुए नगर निगम में 50 सफाई कर्मचारी ठेके पर रखे ताकि उनके चुनाव प्रभावित न हों। हमने विरोध किया क्योंकि ठेकेदारी प्रथा इसी चौधरी परिवार ने दलितों पर थोपी थी। एक बार फिर से ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा देने के सांसद चौधरी के प्रयासों का निगम यूनियन ने डटकर विरोध किया था। अगर आप शहरवासियों व दलितों के इतने ही हितैषी हैं तो जरूरत के अनुसार कर्मचारी पक्के तौर पर रखने चाहिए थे।  

प्र.: पोस्टमैट्रिक स्कॉलरशिप का पैसा मोदी सरकार ने रोका, सांसद चौधरी ने लोकसभा में उठाया मामला? 
उ.: सांसद संतोख चौधरी को कालेजों में जाकर सर्वे करना चाहिए। अपनी कोठी से गनमैनों व बड़े तामझाम के साथ निकलने की बजाय कालेजों में जाकर उन दलित स्टूडैंट्स से मिलते जिन्हें प्राइवेट कालेजों में न तो दाखिला दिया जा रहा है और न ही फीस जमा होने तक रोल नम्बर मिल पा रहा है। चौधरी कालेजों व शिक्षण संस्थाओं के पिं्रसीपलों और प्रबंधकों से मिलें तो इन्हें ज्ञात हो कि वे किस कदर सरकार को स्कीम का पैसा जारी करने को लेकर मांग पत्र दे रहे हैं। चौधरी ने तो ऐसा चश्मा पहना हुआ है जिससे उन्हें चारों तरफ सुख ही सुख नजर आता है और हर तरफ हरियाली नजर आती है। इन्हें लगता है कि जब से कांग्रेस की सरकार आई है तब से पंजाब में कोई दुख नहीं है। उनके मंत्री द्वारा संस्थानों को स्कॉलरशिप का पैसा रिलीज करने को लेकर तय की गई कमीशनों का मामला आखिर क्यों दिखाई नहीं दिया। 

प्र.: कै. अमरेन्द्र सरकार का दावा, चुनावी वायदों को पहनाया अमलीजामा? 
उ.: 2017 के विधानसभा चुनावों में कै. अमरेन्द्र सिंह ने गुटका साहिब को हाथ में पकड़ कर कसमें उठाई थीं कि वह 4 सप्ताह में पंजाब से नशों को खत्म करेंगे। आज सवा 2 साल हो चुके हैं, नशा धड़ल्ले से बिक रहा है, किसानों के पूरे कर्ज माफ नहीं हुए, घर-घर नौकरी देने का दावा परंतु न तो नौजवानों को नौकरी मिली और न ही बेरोजगारी भत्ता मिला। शगुन स्कीम, पैंशन स्कीम, आटा-दाल के साथ चाय पत्ती देने, नौजवानों को स्मार्टफोन देने जैसे सैंकड़ों वायदे हैं जो झूठे साबित हुए हैं। मेरा मानना है कि किसी भी राजनीतिक पार्टी की सरकार हो वह लारेबाजी करने की बजाय लोगों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करे। पंजाब भर में सरकारी कर्मचारी आज सड़कों पर हैं, अध्यापकों पर कैप्टन सरकार ने लाठियां बरसाईं व पानी की बौछारें कर दीं, आंगनबाड़ी वर्कर रोज प्रदर्शन कर रहे हैं।  कर्मचारियों को ठेके पर लगाकर कांग्रेस सरकार पता नहीं कौन से पंजाब का विकास करवा रही है। इतनी झूठी बातें करने वाले लोग बख्शे नहीं जाएंगे।

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