पंजाब सरकार फिर कटघरे में, चड्ढा शुगर मिल भी निशाने पर

Edited By Anjna,Updated: 28 Feb, 2019 08:20 AM

chadha sugar mill

सतलुज-ब्यास के प्रदूषण पर फाइनल रिपोर्ट तैयार हो गई है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित मॉनीटरिंग कमेटी ने यह रिपोर्ट एन.जी.टी. को सबमिट कर दी है।

चंडीगढ़ (अश्वनी): सतलुज-ब्यास के प्रदूषण पर फाइनल रिपोर्ट तैयार हो गई है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित मॉनीटरिंग कमेटी ने यह रिपोर्ट एन.जी.टी. को सबमिट कर दी है। अब रिपोर्ट पर 28 फरवरी को सुनवाई होगी। अंतरिम रिपोर्ट की तरह फाइनल रिपोर्ट में भी मॉनीटरिंग कमेटी ने पंजाब सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। खासतौर पर पंजाब सरकार द्वारा नदियों के किनारे औद्योगिक इकाइयों को लगाने की मंजूरी देने की नीति पर सवाल खड़े किए गए हैं।

चड्ढा शूगर मिल का हवाला देते हुए मॉनीटरिंग कमेटी ने कहा कि गुरदासपुर जिले के गांव कीड़ी अफगाना में जिस जगह चड्ढा शूगर मिल चल रही है, वह काहनुवान नाले से करीब 50 मीटर की दूरी पर है। उस पर यह मिल ऊंचाई पर स्थित है और नाले की तरफ ढलान है, इसलिए अगर मिल से किसी भी तरह का रिसाव होता है तो वह सीधे नाले में गिरेगा और यह नाला आगे ब्यास दरिया को प्रदूषित करेगा। मॉनीटरिंग कमेटी ने फाइनल रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि जहां तक संभव हो सके, पंजाब सरकार प्रदेश के किसी भी नदी-नाले के किनारे प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाई को चलाने की मंजूरी प्रदान न करे। जल स्रोत और औद्योगिक इकाइयों के बीच इतनी दूरी रखी जाए कि रिसाव से जल स्रोत प्रदूषित न हों।
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सतलुज-ब्यास कैचमैंट एरिया में ग्राऊंड वाटर सप्लाई पर लगे तत्काल प्रतिबंध
मॉनीटरिंग कमेटी ने सतलुज-ब्यास नदी के आसपास इलाके यानी कैचमैंट एरिया में ट्यूबवैल-बोरवैल से पीने योग्य पानी की सप्लाई को सीमित करने या तत्काल प्रतिबंध लगाने की बात कही है। कमेटी ने भूजल के सैम्पल की जांच-पड़ताल में पाया कि कैचमैंट एरिया के ग्राऊंड वाटर में आर्सैनिक, आर्यन जैसे रासायनिक तत्वों की मात्रा निर्धारित मानकों से कहीं ज्यादा है। इसके चलते इलाके में महामारी फैल रही है। कमेटी ने सुझाव दिया कि इस पूरे इलाके में पानी पर विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। इसके साथ मॉनीटरिंग कमेटी ने निकाय विभाग द्वारा घरों में जरूरत से ज्यादा पानी की सप्लाई पर भी सवाल उठाया। कमेटी ने पाया कि रोजाना प्रति व्यक्ति प्रति दिन 300 लीटर पानी की बजाय ज्यादा पानी सप्लाई हो रहा है, जो इलाके में लगाए गए सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की क्षमता से कहीं ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया कि सतलुज नदी के पानी नहाने योग्य भी नहीं है।
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50 करोड़ रुपए जल्द किए जाएंगे खर्च
कमेटी ने नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पंजाब सरकार को लगाए गए 50 करोड़ रुपए के जुर्माने को आने वाले समय में इलाके के पर्यावरण व स्वास्थ्य सुधार पर खर्च की बात कही है। रिपोर्ट में कहा गया कि जैसे-जैसे पंजाब सरकार अध्ययन संबंधी रिपोर्ट देती रहेगी, उसी हिसाब से कमेटी द्वारा जुर्माने की राशि को पर्यावरण और लोगों की बेहतरी पर खर्च किया जाएगा।
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पंजाब सरकार ने सौंपे सतलुज-ब्यास एक्शन प्लान
फाइनल रिपोर्ट में पंजाब सरकार द्वारा सतलुज-ब्यास नदी के कायाकल्प को लेकर तैयार एक्शन प्लान का भी हवाला दिया गया है। इसमें पंजाब सरकार ने सतलुज-ब्यास नदी के सुधार की भावी रणनीति का उल्लेख किया है। हालांकि इन एक्शन प्लान को अमल में लाने के साथ-साथ मॉनीटरिंग कमेटी ने कई अतिरिक्त सुझाव भी दिए हैं। इनमें सतलुज-ब्यास नदी के कैचमैंट एरिया में बायो-डायवॢसटी पार्क स्थापित करने, वाटरशैड मैनेजमैंट, इम्प्रूवमैंट ऑफ वाटर क्वालिटी और नहर के बहाव पर नजर रखने के अलावा रियल टाइम वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टेशन स्थापित करने को कहा गया है। वहीं, दरिया में रेत खनन को लेकर ठोस पॉलिसी बनाने की बात भी कही गई है।

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