नियमों के उल्लंघन की आदी है चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री

Edited By swetha,Updated: 27 May, 2018 10:08 AM

chadha sugar industry

पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करना चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री की आदत है। इसी कारण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री को बंद करने के आदेश तक जारी कर चुका है। यहां गन्ने की पिराई के अलावा शीरे से  तथा अनाज से शराब बनाने का भी कारखाना...

चंडीगढ़ (अश्वनी): पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करना चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री की आदत है। इसी कारण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री को बंद करने के आदेश तक जारी कर चुका है। यहां गन्ने की पिराई के अलावा शीरे से  तथा अनाज से शराब बनाने का भी कारखाना है। इन कारखानों से बड़ी मात्रा में गंदे पानी की निकासी व वायु प्रदूषण होता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ऐसे उद्योगों को सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले उन कारखानों की सूची में रखा हुआ है जो प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर पर्यावरण में प्रदूषण घोलते हैं। 

बोर्ड ने ऐसे कारखानों के प्रदूषण पर नकेल कसने के लिए 2014 में सभी राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कमेटियों को निर्देश जारी किए थे कि उच्च स्तरीय प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों में ऑनलाइन इमिशन मॉनीटरिंग सिस्टम व ऑनलाइन एफ्लूएंट मॉनीटरिंग को अनिवार्य किया जाए ताकि इससे होने वाले जल व वायु प्रदूषण पर 24 घंटे निगाह रखी जा सके। इसके लिए केंद्रीय बोर्ड ने सभी कारखानों को सिस्टम लगाने के लिए जून, 2015 तक का समय दिया था। इसके बावजूद जुलाई, 2015 तक चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री ने इसका पालन नहीं किया। 

नतीजतन केंद्रीय बोर्ड ने चड्ढा इंडस्ट्री को शो कॉज नोटिस जारी किया लेकिन अप्रैल, 2016 तक चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री ने इस नोटिस की परवाह तक नहीं की। ऐसे में केंद्रीय बोर्ड ने 5 मई, 2016 के दौरान चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री के अनाज व शीरे से शराब बनाने वाले यूनिट को बंद करने के आदेश दे दिए। इसी कड़ी में 22 अगस्त, 2016 को एक बार फिर चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी करते हुए कहा कि इंडस्ट्री अपने सभी ऑप्रेशन बंद कर दे।

बंद करने के आदेश का किया उल्लंघन
पहले तो चड्ढा शूगर इंडस्ट्री ने नोटिस की परवाह नहीं की, उस पर जब केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने इंडस्ट्री को बंद करने के आदेश दिए तब भी इंडस्ट्री ने बोर्ड के आदेशों की परवाह नहीं की। केंद्रीय बोर्ड ने पाया कि 2016-17 के दौरान इंडस्ट्री ने गन्ने की पिराई के मौसम में इंडस्ट्री को चालू रखा जो सीधे तौर पर अगस्त, 2016 में जारी आदेश का उल्लंघन है इसीलिए केंद्रीय बोर्ड ने अगस्त, 2017 चड्ढा शूगर एंड इंडस्ट्री को एन्वायरनमैंट प्रोटैक्शन एक्ट, 1986 के सैक्शन-5 का दोषी करार दिया जिसके खिलाफ केंद्रीय बोर्ड कार्रवाई कर रहा है।

केंद्रीय बोर्ड ने शर्तों के साथ दी इंडस्ट्री चालू करने की अनुमति
केंद्रीय बोर्ड ने अगस्त व नवम्बर, 2017 में चड्ढा इंडस्ट्री को दोबारा से अपना कामकाज चालू करने की अनुमति दी लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें लगाईं। साथ ही आदेश दिया कि इन शर्तों का अनिवार्य तौर पर पालन किया जाए। इंडस्ट्री को यह भी आदेश दिया गया कि अगर इंडस्ट्री ने बोर्ड के आदेशों को दरकिनार किया तो अब बिना किसी नोटिस के सीधे इंडस्ट्री को बंद करवा दिया जाएगा। बोर्ड ने शर्तों में कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ऑनलाइन कॉन्टीन्यूअस एफ्लूएंट/इमिशन मॉनीटरिंग सिस्टम पूरी तरह चालू रहे। साथ ही मॉनीटरिंग सिस्टम का पूरा डाटा बिना किसी छेड़छाड़ के तत्काल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजा जाए। वहीं जीरो लिक्विड डिस्चार्ज की नीति के तहत पूरी मूल्यांकन रिपोर्ट जमा करवाई जाए और मास एंड वाटर बैलेंस के अलावा ग्राऊंड वाटर मॉनीटरिंग रिपोर्ट भी जमा करवाई जाए।

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