Edited By swetha,Updated: 23 Jun, 2018 10:19 AM
केंद्र में मोदी सरकार ने अपने 4 साल पूरे कर 5वें वर्ष में प्रवेश पा लिया है, परन्तु जनता से किए आज भी अधर में लटकते हुए नजर आते हैं। वायदों की लिस्ट में नई एजुकेशन पॉलिसी बनाना भी शामिल था। सत्ता में आने के बाद केन्द्र सरकार ने देशवासियों से देश...
जालंधर(सुमित): केंद्र में मोदी सरकार ने अपने 4 साल पूरे कर 5वें वर्ष में प्रवेश पा लिया है, परन्तु जनता से किए आज भी अधर में लटकते हुए नजर आते हैं। वायदों की लिस्ट में नई एजुकेशन पॉलिसी बनाना भी शामिल था। सत्ता में आने के बाद केन्द्र सरकार ने देशवासियों से देश की शिक्षा प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए जल्द ही नई शिक्षा नीति लाए जाने का वायदा किया था और इसकी जिम्मेदारी तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को सौंपी गई थी।
पी.एम. के निर्देशों पर स्मृति ईरानी ने नई एजुकेशन पॉलिसी को तैयार करवाने के लिए तुरंत प्रभाव से काम शुरू करवाया था। समय के साथ-साथ इस नई शिक्षा नीति में कई तरह के विशेष सुधारों को शामिल करने के लिए उन्होंने और अधिक समय मांगा और 2016 शुरू में पॉलिसी लाने की बात कही। इसके लिए कमेटियों का गठन किया गया और पूरे देश के शिक्षा माहिरों और आम लोगों से सुझाव मांगे। परन्तु इसी बीच स्मृति ईरानी का विभाग ही बदल दिया गया।
प्रकाश जावड़ेकर को नया एच.आर.डी. मंत्री बना दिया गया, जिसके बाद नई एजुकेशन पॉलिसी के काम को थोड़ी ब्रेक लग गई। चार्ज संभालने के बाद श्री जावड़ेकर ने नई पॉलिसी पर काम शुरू तो करवाया परंतु उन्होंने पहले हुए काम में कुछ बदलाव करने की बात कही। उन्होंने जनता की राय के बाद इस पर सांसदों से भी रिपोर्ट मांगी । नई एजुकेशन पॉलिसी का फाइनल मसौदा तैयार करने के लिए नया पैनल गठित किया गया। इस कमेटी द्वारा भी 2017 अंत तक अपनी रिपोर्ट तैयार कर दी गई परन्तु सूत्र बताते हैं कि इसमें और सुधार या अन्य पहलुओं को शामिल करने के लिए इसको एक बार नहीं 2 बार एक्सटैंशन दी गई। मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि नई शिक्षा नीति 2018 के अंत तक आएगी। अगर सूत्रों की मानें तो पैनल द्वारा फाइनल मसौदा तैयार कर लिया गया है। उसमें कुछ मामूली सुधारों की ही जरूरत है। अब देखना यह है कि पॉलिसी वर्ष अंत तक आ पाएगी या नहीं?