Edited By Sunita sarangal,Updated: 15 Mar, 2020 12:10 PM
पैंशन को 500 रुपए से बढ़ाकर 750 रुपए करके 23 लाख लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया
जालंधर(सुनील धवन): पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने सत्ता में आने से पहले राज्य की जनता से 2 महत्वपूर्ण वायदे किए थे जिनमें पैंशनधारकों को मासिक पैंशन को बढ़ाना तथा अनुसूचित जाति और आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों की लड़कियों को मिलने वाली आशीर्वाद स्कीम की राशि को 15,000 रुपए से बढ़ा कर 21,000 रुपए करना शामिल था।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में पिछले समय में हुई कैबिनेट की बैठक में पैंशनधारकों तथा अनुसूचित जाति के परिवारों के हितों की रक्षा को यकीनी बनाने के लिए 1500 करोड़ रुपए की लागत से सामाजिक सुरक्षा कोष का गठन किया गया। इसके लिए बाकायदा सरकार ने पंजाब समाज सुरक्षा अधिनियम 2018 को पारित भी किया था।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की हमेशा से ही सामाजिक सुरक्षा को लेकर प्रगतिशील सोच रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री का पदभार संभालते ही सबसे पहले अधिकारियों को निर्देश जारी किए थे कि बुढ़ापा, विधवा, विकलांग व अन्य सभी प्रकार की पैंशनों का भुगतान समय पर पैंशन धारकों को होना चाहिए क्योंकि वह वृद्ध व असहाय लोगों की तकलीफ को अच्छी तरह से समझते थे। सामाजिक सुरक्षा का एजैंडा कैप्टन सरकार के 3 वर्ष बीत जाने पर भी पहले वाला ही है तथा मुख्यमंत्री द्वारा समय-समय पर अपने अधिकारियों के साथ बैठक करके मासिक पैंशन की राशि को क्लीयर करने के लिए फंड रिलीज करवाते रहते हैं। सामाजिक सुरक्षा का दायित्व मुख्यमंत्री ने स्वयं अपने कंधों पर उठा रखा है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पैंशन की राशि को 500 रुपए से बढ़ाकर 750 रुपए मासिक करने का महत्वपूर्ण फैसला लिया जिससे राज्य के लगभग 23 लाख लाभार्थियों को लाभ मिला है। मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए हुए हैं कि सामाजिक सुरक्षा के मामले में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि सत्ता में आने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हर मंच पर यही आवाज बुलंद की थी कि पैंशनधारकों को कोई तकलीफ नहीं होने दी जाएगी क्योंकि पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के समय बुजुर्गों, विधवाओं व विकलांगों में यही शिकायत रही थी कि उन्हें समय पर पैंशन नहीं मिलती है तथा इसके लिए उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रयासों से ही आशीर्वाद स्कीम के तहत मिलने वाली वित्तीय सहायता राशि को भी बढ़ा दिया गया। यह राशि पूर्व सरकार के समय अनुसूचित जाति और आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों की बच्चियों की शादी पर मात्र 15,000 रुपए के रूप में दी जाती थी जिसे कैप्टन सरकार ने बढ़ा कर 21,000 रुपए कर दिया। इससे सरकारी खजाने पर चाहे भारी बोझ पड़ा परन्तु मुख्यमंत्री ने अनुसूचित जाति और गरीब परिवारों से किए अपने वादे को पूरा किया। कैप्टन सरकार बनने के बाद से आशीर्वाद स्कीम के तहत अब तक लाखों गरीब परिवारों से संबंधित लाभार्थियों को लाभ पहुंचाया जा चुका है।
पंजाब सरकार ने अनुसूचित जातियों और पिछड़ी श्रेणियों के कर्जदारों को राहत देकर उन्हें कर्ज के जंजाल से बाहर निकाल कर बेहतर जीवन जीने के लिए उत्साहित किया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने कर्ज माफी स्कीम के तहत जहां किसानों के 2 लाख रुपए तक के कर्ज को माफ करके राहत दी है वहीं अनुसूचित जाति और पिछड़ी श्रेणियों के कर्जदारों को भी बड़ी राहत दी है।
सरकार ने अनुसूचित जातियों के 14260 कर्जदारों के 45.41 करोड़ रुपए और पिछड़ी श्रेणियों के 1630 कर्जदारों के 6.59 करोड़ रुपए माफ किए हैं। इन दोनों वर्गों से संबंधित कर्जदारों का 50-50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ किया गया है जो तकरीबन 52 करोड़ रुपए बनता है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनाव पूर्व किए वादे को पूर्ण करते हुए अनुसूचित परिवारों के द्वारा लिए गए 50-50 हजार रुपए के ऋणों को माफ किया चाहे इससे सरकारी खजाने पर कितना ही ज्यादा बोझ क्यों न पड़ा हो।
मुख्यमंत्री ने इसी तरह से अनुसूचित जातियों के लिए शिक्षा संस्थाओं में मिलने वाले आरक्षण को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया। इसी तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने सभी सरकारी स्कीमों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की सुविधा को 15 से बढ़ा कर 30 प्रतिशत कर दिया। इससे भी दलित परिवारों को काफी राहत मिली है।
इसी तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने पंजाब सिविल सर्विसेज रूल्स में संशोधन करते हुए विकलांग अधिकारियों को यात्रा व प्रशिक्षण के दौरान अपने साथ सहायक ले जाने की भी अनुमति दे दी ताकि ऐसे अधिकारियों को सुविधा मिल सके। इसी तरह कैप्टन सरकार ने एक अन्य महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए अन्य पिछड़े वर्ग तथा पिछड़े वर्ग के लिए शुद्ध वार्षिक आय की सीमा को 6 लाख रुपए से बढ़ा कर 8 लाख रुपए कर दिया ताकि इन परिवारों से संबंध रखने वाले अधिक से अधिक लोगों को आरक्षण व अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके।