एक साल, पंजाब में आधी सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Mar, 2018 05:17 PM

captain government in punjab

कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार के गठन के एक साल बाद भी पंजाब में ‘आधी सरकार’ काम कर रही है। संविधान के मुताबिक राज्य विधानसभा की सीटों के 15 फीसदी सदस्यों को मंत्री बनाया जा सकता है, इस लिहाज से पंजाब में 18 मंत्री बन सकते हैं, लेकिन फिलहाल सरकार 9...

जालन्धर (नरेश): कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार के गठन के एक साल बाद भी पंजाब में ‘आधी सरकार’ काम कर रही है। संविधान के मुताबिक राज्य विधानसभा की सीटों के 15 फीसदी सदस्यों को मंत्री बनाया जा सकता है, इस लिहाज से पंजाब में 18 मंत्री बन सकते हैं, लेकिन फिलहाल सरकार 9 मंत्रियों के सहारे ही चल रही है।

 

यह मंत्री पद अप्रैल माह में भरे जाने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन इसे लेकर फिलहाल कोई निश्चित तिथि निर्धारित नहीं की गई है। पिछले 6 माह  से कैप्टन सरकार का विस्तार विभिन्न कारणों से टलता रहा है। इसका सीधा असर रोजमर्रा के काम पर पड़ रहा है। पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है । फिर भी कृषि मंत्री नहीं है। दूसरा सबसे बड़ा मंत्रालय उद्योग का है, जहां अभी मंत्री के आने का इंतजार किया जा रहा है। इसके अलावा सिंचाई मंत्रालय भी फिलहाल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पास ही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह मात्र 8 मंत्रियों के सहारे राज्य को सुचारू प्रशासन कैसे दे सकते हैं।

 

पंजाब में कृषि

कुल रकबा

करीब 40 लाख हैक्टेयर

कृषि वर्कर

करीब 35.55 लाख

कृषि पर आश्रित आबादी

करीब 62.5 प्रतिशत

इंडस्ट्री की तस्वीर

कुल एम.एस.एम.ई. यूनिट
1,62,559

बड़े इंडस्ट्रीयल यूनिट
446

कुल रोजगार
11,88,061

सिंचाई की तस्वीर

पंजाब में ट्यूबवैल की संख्या
करीब 14 लाख

सिंचाई के अधीन रकबा
करीब 97 प्रतिशत

बादल सरकार में थे 18 मंत्री
पंजाब की पूर्व अकाली-भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल के अलावा 16 मंत्री थे। जबकि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की कैबिनेट में मुख्यमंत्री के अलावा 8 मंत्री हैं जबकि एक मंत्री राणा गुरजीत सिंह इस्तीफा दे चुके हैं। उनके अधीन रहा बिजली मंत्रालय फिलहाल खाली है और इसका काम मुख्यमंत्री खुद देख रहे हैं।

77 विधायक, 9 के हाथ में सत्ता

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को जबरदस्त बहुमत मिला और पार्टी के 77 उम्मीदवार जीत कर विधानसभा में पहुंच गए। जीत के बाद विधायकों को उम्मीद थी कि उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी मिलेगी और विधायकों को मंत्री पद अथवा संसदीय सचिव बनाने के रास्ते खोजे जाएंगे, लेकिन पिछले एक साल में संसदीय सचिव बनाने का रास्ता खोजने की बात तो दूर, मंत्री परिषद ही पूरी नहीं की गई है, जिसके कारण सत्ता कुछ ही हाथों में सिमट कर रह गई है। विधायकों की बजाय सारा काम अफसरशाही कर रही है, जिस कारण विधायकों में भी नाराजगी का आलम है। 

लोगों के काम रुके

सरकार के बड़े मंत्रालय खाली होने के कारण लोगों को यह समझ नहीं आता कि वे अपने काम के लिए किसके पास जाएं? आम जनता से जुड़े बिजली, सिंचाई, कृषि जैसे मंत्रालय सीधे मुख्यमंत्री के पास हैं और मुख्यमंत्री तक जनता की सीधी पहुंच नहीं है। आम तौर पर देखा जाता है कि यदि कोई मंत्री चंडीगढ़ स्थित अपने कार्यालय में नहीं मिल सकता तो वह अपने विधानसभा हलके में लोगों के साथ मुलाकात कर लेता है और लोगों के काम हो जाते हैं, लेकिन मंत्रालयों के मंत्री विहीन होने के कारण लोगों को अपने काम करवाने का रास्ता नजर नहीं आ रहा।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!