बदलते सुर व पलटते बोल से गिरने लगी कैप्टन की साख

Edited By Vatika,Updated: 23 Apr, 2018 07:33 AM

captain amarinder singh punjab congress

कैप्टन अमरेन्द्र सिंह प्रदेश में अपनी दूसरी पारी के दौरान न केवल प्रदेश की जनता को निराश कर रहे हैं, बल्कि अपने लगातार बदलते सुर और पलटते बोल से पार्टी वर्करों व नेताओं में भी निराशा का आलम पैदा कर रहे हैं। सबसे पहले कैप्टन ने अपने वायदे से मुकरते...

जालंधर(रविंदर) : कैप्टन अमरेन्द्र सिंह प्रदेश में अपनी दूसरी पारी के दौरान न केवल प्रदेश की जनता को निराश कर रहे हैं, बल्कि अपने लगातार बदलते सुर और पलटते बोल से पार्टी वर्करों व नेताओं में भी निराशा का आलम पैदा कर रहे हैं। सबसे पहले कैप्टन ने अपने वायदे से मुकरते हुए यह कहा था वह फिर चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि 2017 चुनावों से पहले कैप्टन ने साफ किया था कि यह उनकी अंतिम पारी है। 
 

यहीं बस नहीं, अब की बार कैप्टन के बदलते बोल ने पार्टी नेताओं में ही घोर निराशा भर दी है। चुनावों से पहले पार्टी नेताओं से किए अपने वायदे से पलटते हुए अब कैप्टन यह कहने लगे कि बचे हुए विधायकों को चैयरमैनी में एडजस्ट किया जाएगा, जबकि चुनावों से पहले उन्होंने साफ कहा था कि जिन नेताओं को टिकट नहीं दी जा रही है, उन्हें बाद में चेयरमैनी दी जाएगी और टिकट पाने वाले किसी भी नेता व उसके परिवार को चैयरमैनी नहीं दी जाएगी। गौर हो कि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने प्रदेश की राजनीति में उस समय अपनी साख बनाई थी, जब आप्रेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कांग्रेस की राजनीति में उनका कद तब बढ़ा था, जब पंजाब के पानी के लिए वह हाईकमान तक से जा भिड़े थे। उस समय कैप्टन की ऐसी छवि थी कि हर कोई उनसे मिलने को आतुर रहता था, मगर अब अपने लगातार पलटते बोल से कैप्टन अमरेन्द्र न केवल जनता में अपनी साख खोने लगे हैं, बल्कि पार्टी के भीतर भी उनका अब खासा विरोध होने लगा है। चुनावों से पहले गुटका साहिब को अपने हाथों में लेकर जिस कैप्टन ने सरकार बनने पर 4 सप्ताह में नशा खत्म करने का वायदा जनता से किया था, उसी वायदे को तोडऩे से कैप्टन की दूसरी पारी की शुरुआत हुई। आज भी प्रदेश भर में नशा अपने पांव पसारे हुए है।

कैप्टन का जनता से वायदा व गुटका साहिब की कसम ठुस्स हो चुकी है। चुनावों से पहले प्रत्येक जिले में पार्टी की रैलियों व प्रैस कांफ्रैंस में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने साफ किया था कि जिन नेताओं को टिकट मिलेगी, उन्हें बाद में किसी भी चैयरमैनी में एडजस्ट नहीं किया जाएगा। जिन-जिन दावेदारों को टिकट नहीं मिलेगी, उन्हें ही बाद में चेयरमैनी देेने का वायदा व ऐलान किया गया था। पिछले 13 महीनों से पार्टी के प्रति वफादारी व कर्मठता दिखाने वाले वे नेता, जिन्हें टिकट नहीं मिली थी, वे चेयरमैनी की राह देख रहे थे, मगर अब कैबिनेट विस्तार के साथ ही जैसे ही पार्टी के भीतर बगावत के सुर उठने लगे तो कैप्टन एक बार फिर अपने वायदे से पलट गए। अब कैप्टन ने ऐलान कर दिया है कि बाकी विधायकों को चेयरमैनी में एडजस्ट किया जाएगा। ऐसे में टिकट न पाने वाले नेताओं के अरमानों पर सीधे तौर पर कैप्टन ने कुठाराघात कर दिया है, इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकते हैं। चेयरमैनी न मिलने पर कई नेता पार्टी को छोड़ भी सकते हैं, जिसका सीधा असर 2019 के लोकसभा चुनावों पर पड़ सकता है। 

बड़े नेता ठुकरा सकते हैं चेयरमैनी, करेंगे कैप्टन का विरोध
कई बड़े नेता, जिन्हें सीनियर होने के बावजूद कैबिनेट से दरकिनार कर दिया गया, वे चेयरमैनी को ठुकरा भी सकते हैं। अगर बात लुधियाना की ही करें तो यहां 2 दिग्गज नेताओं राकेश पांडे व सुनील डाबर को कैप्टन ने दरकिनार कर सैकेंड टाइम भारत भूषण आशु को मंत्री बना दिया है, ऐसे में ये दोनों नेता खुद का कम आंकलन करने पर चेयरमैनी को ठुकरा सकते हैं। वहीं जालंधर की बात करें तो यहां अगर विधायकों को चेयरमैन बनाकर एडजस्ट किया जाता है तो चेयरमैनी की दौड़ में चल रहे तजिन्द्र बिट्टू, राणा रंधावा और काकू आहलूवालिया के हाथ निराशा लग सकती है। 

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