Edited By swetha,Updated: 14 Jan, 2019 08:33 AM
पंजाब सरकार और खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेद्र सिंह आजकल बेहद दुविधा भरी स्थिति में हैं। पार्टी के भीतर आने वाले तूफान का एक गंभीर संकेत देखने को मिल रहा है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन के पर कतरने...
जालंधर(रविंदर): पंजाब सरकार और खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेद्र सिंह आजकल बेहद दुविधा भरी स्थिति में हैं। पार्टी के भीतर आने वाले तूफान का एक गंभीर संकेत देखने को मिल रहा है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन के पर कतरने शुरू कर दिए हैं। यहां तक कि बोर्ड व कार्पोरेशन के पदों पर लगने वाले चेयरमैन के नाम भी वह अपने बल पर फाइनल नहीं कर पाएंगे। राहुल गांधी ने कैप्टन की पावर पर लगाम लगाते हुए चेयरमैनियों के नाम तय करने के लिए पी.सी.सी. प्रधान सुनील जाखड़, प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी व सह-प्रभारी हरीश चौधरी को सह-पावर दे दी है। इस निर्णय के बाद अब चेयरमैन की लिस्ट में कौन होगा और कौन नहीं, यह तो आने वाला वक्त तय करेगा। मगर एक बात तय है कि हर एक नियुक्ति के पीछे प्रदेश में कांग्रेस को 10 से 20 बड़े नेताओं की नाराजगी जरूर झेलनी पड़ेगी।
दुविधा में कैप्टन
दरअसल राहुल गांधी चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के कर्मठ नेताओं व वर्करों को बोर्ड और कार्पोरेशन की चेयरमैनियों पर नियुक्त किया जाए, ताकि वे पूरे जोशो-खरोश से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। कैप्टन खुद चाहते हैं कि इन चेयरमैनियों को लोकसभा चुनाव तक लटका दिया जाए लेकिन हाईकमान के दबाव के बाद अब चेयरमैनियों पर एडजस्ट करने वाले नेताओं की लिस्ट तैयार की जाने लगी है। इस लिस्ट को लेकर कैप्टन सरकार के लिए आगे कुआं पीछे खाई वाली बात साबित हो रही है।
140 के करीब चेयरमैनियों के पद
मौजूदा समय में पंजाब में 140 के करीब बोर्ड व कार्पोरेशन की चेयरमैनियां खाली पड़ी हुई हैं। सबसे दिक्कत वाली बात यह है कि राज्य का खजाना खाली है और नई नियुक्तियों से सरकार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा। दूसरा मौजूदा समय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी में 100 के करीब तो जनरल सैक्रेटरी ही हैं। यह सभी जनरल सैक्रेटरी खुद के लिए एक रूतबे वाली पोजीशन चाहते हैं। यानी कम-से-कम स्टेट लैवल की चेयरमैनी। अब स्टेट लैवल की चेयरमैनी की बात करें तो इसके पद 12 से लेकर 15 ही हैं। इन पदों पर अब कैप्टन के लिए दुविधा यह है कि जनरल सैक्रेटरी को या सीनियर नेताओं, विधायकों या फिर जिन नेताओं की टिकट काटी गई थी, उन्हें एडजस्ट किया जाए। इसके अलावा जिला स्तर पर तो हालात और भी बुरे हैं।
12 साल से नेता लगाए बैठे हैं चेयरमैनी की आस
पिछले 12 साल से चेयरमैनी की आस लगाए बैठे नेता खुलकर कैप्टन की अभी सपोर्ट में खड़े हैं, मगर चेयरमैनी न मिलने पर ये बगावत का झंडा बुलंद कर सकते हैं और ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी व कैप्टन के लिए बड़ी दिक्कत खड़ी हो सकती है। इन नेताओं के अलावा जातीय समीकरण के बीच भी कई नेता खुद को फिट बैठाने की जुगाड़ में हैं। कोई हिंदू नेता के बल पर चेयरमैनी की मांग कर रहा है, कोई दलित नेता के तौर पर चेयरमैनी की मांग तो कोई सिख व अन्य समुदाय के बल पर खुद की दावेदारी मजबूत कर रहा है।
कैप्टन ने थमाया था चेयरमैनियों का लालीपॉप
कांग्रेस के भीतर पद की लालसा जगाने के पीछे कैप्टन की ही गंदी राजनीति रही है। सबसे पहले विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्येक जिले से सैंकड़ों की तादाद में नेताओं को दावेदारी के लिए तैयार किया गया, जबकि टिकट किसे देनी थी, यह पहले ही तय था। दावेदारों को बाद में साइड लाइन करने के लिए उन्हें चेयरमैनियों का लालीपॉप थमा दिया गया। पिछले 2 साल से ये नेता चेयरमैन बनने की लालसा व आस लगाए बैठे हैं, मगर कैप्टन सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं ले रही थी।
कैप्टन पर पड़ सकता है पासा उलट
‘पंजाब केसरी’ में खबर छपने के बाद राहुल गांधी ने तुरंत प्रभाव से कैप्टन को चेयरमैनी के पद अलॉट करने के निर्देश दिए ताकि लोकसभा चुनाव से पहले वर्करों का गुस्सा ठंडा किया जा सके लेकिन हाईकमान का यह पासा कैप्टन के लिए उलटा भी पड़ सकता है, क्योंकि दावेदारों की फौज में जिसे चेयरमैनी पद नहीं मिला तो वह खुलकर कैप्टन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर सकता है।