Edited By Vatika,Updated: 11 Sep, 2018 05:23 PM
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने ऐतिहासिक सारागढ़ी जंग के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए युवाओं का आहवान किया कि वे अपने जीवन में बहादुरी और साहस और मूल्य को कम न होने दें ।
चंडीगढ़ः पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने ऐतिहासिक सारागढ़ी जंग के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए युवाओं का आहवान किया कि वे अपने जीवन में बहादुरी और साहस और मूल्य को कम न होने दें ।
ज्ञातव्य कि पिछले वर्ष इस जंग की 120वीं वर्षगांठ के मौके पर अपनी किताब ‘द 36 सिख इन द तिराह कंपेन 1897-98 - सारागढ़ी एंड द डिफेंस ऑफ द समाना फोरटस’जारी की थी । मुख्यमंत्री ने कहा कि 36वीं सिख के फौजियों का बलिदान भारतीय सेना की इस इंफैंटरी रेजीमेंट के इतिहास में यादगार रहेगा । उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने पहले ही फौजियों की याद में कुछ पहलकदमियों का ऐलान किया हुआ है और स्कूल की इतिहास की किताबों में इस जंग को शामिल किया है । उन्होंने कहा कि सारागढ़ी की इस ऐतिहासिक घटना के बारे में नौजवानों को जागरूक तथा उत्साहित करना कारूरी है जिसमें 22 सैनिकों ने युद्ध में आत्मसमर्पण करने की बजाय मौत को गले लगाया था ।
कैप्टन सिंह ने बताया कि सारागढ़ी की जंग में हिस्सा लेने वाले हवलदार ईशर सिंह की याद में रायकोट के झोरड़ां गाँव में 10 बिस्तरों का मिनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने का फ़ैसला लिया है ।इस जंग का नेतृत्व करने वाले हवलदार ईशर सिंह की याद में बड़ा यादगार भी बनाया जा रहा है। दूसरे फौजियों के भी उनके गाँवों में यादगार बनाये जा रहे हैं । उन्होंने दोहराया कि उनकी सरकार राज्य में सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है। सिख भाईचारे ने इतिहास में हौंसला और साहस का डंका बजाया है और उनकी भूमिका हमेशा यादों में बनी रहेगी । मुख्यमंत्री ने नौजवानों से इन जांबाज सैनिकों के बलिदान से प्रेरणा लेकर सेना में शामिल होने की अपील की । उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि अब सेना में सिखों के प्रतिनिधित्व में कमी आई है । उन्होंने उम्मीद जताई कि नई पीढ़ी में आत्मसम्मान की भावना पैदा होगी और सिख, सेना में अपना सम्मानपूर्वक स्थान लगातार बनाये रखेंगे ।