Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 09:48 AM
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने जहां प्रदेश की पंचायती कृषि भूमि के एक-तिहाई हिस्से पर पौधारोपण की पॉलिसी बनाई थी, वहीं अब इस पॉलिसी में नया पेंच फंस गया है।
चंडीगढ़ (अश्वनी): पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने जहां प्रदेश की पंचायती कृषि भूमि के एक-तिहाई हिस्से पर पौधारोपण की पॉलिसी बनाई थी, वहीं अब इस पॉलिसी में नया पेंच फंस गया है। अब कैप्टन सरकार कृषि भूमि की बजाय ग्राम पंचायतों की खाली व बंजर पड़ी जमीन तक ही पौधारोपण को सीमित करना चाहती है। ऐसे में पौधारोपण का पूरा मामला अभी तक कागजी औपचारिकताओं में उलझा हुआ है। बादल सरकार की ओर से फरवरी 2017 में लागू पॉलिसी को करीब एक साल होने वाला है लेकिन अभी तक मुहिम का आगाज नहीं हो पाया है।
वहीं अब नई सरकार की मंशा को ध्यान में रखते हुए हाल ही में पंचायत विभाग के उच्चाधिकारियों ने बैठक में इस मुद्दे पर मंथन भी किया। बैठक में कहा गया कि पहले चरण में पौधारोपण को केवल पंचायतों की खाली व बंजर जमीन तक ही सीमित रखा जाए। इसके बाद अगर पौधारोपण हो भी तो उसके लिए ऐसी जमीन चिन्हित की जाए जो ग्राम पंचायतों को सबसे कम रैवेन्यू देती है।
2017 में ग्रीनरी पर दिया था जोर
पूर्व सरकार ने 2017 में पौधारोपण की पॉलिसी जारी कर प्रदेश की हरियाली बढ़ाने का ऐलान किया था। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने घोषणा करते हुए कहा था कि उनकी सरकार प्रदेश की हरियाली को 15 फीसदी तक लाने के लिए प्रयासरत है व ग्राम पंचायतों की भूमि पर पौधारोपण का फैसला उसी हरियाली के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में बढ़ाया गया कदम है। पॉलिसी तहत ग्राम पंचायत के अधीन 5 एकड़ से ज्यादा कृषि योग्य भूमि के एक-तिहाई हिस्से पर पौधारोपण की बात कही गई। साथ ही कहा गया कि यह एक-तिहाई भूमि राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित भूमि छोडऩे के बाद प्रयोग में लाई जा सकेगी। हालांकि कई ग्राम पंचायतों ने इस पॉलिसी का विरोध किया था।