कैप्टन अमरेन्द्र ने दोआबा को किया नजरअंदाज, ऐतिहासिक जीत दिला कार्यकर्ताओं ने दिखाया दमखम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jun, 2018 11:17 AM

capt amarinder ignored doaba

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने जिस दोआबा को नजरअंदाज किए रखा, उसी के कार्यकत्र्ताओं ने कैप्टन की साख बचाते हुए शाहकोट उपचुनाव में कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत दिलवा कर अपना दमखम दिखा दिया है।

जालंधर  (चोपड़ा): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने जिस दोआबा को नजरअंदाज किए रखा, उसी के कार्यकत्र्ताओं ने कैप्टन की साख बचाते हुए शाहकोट उपचुनाव में कांग्रेस को ऐतिहासिक जीत दिलवा कर अपना दमखम दिखा दिया है।  कांग्रेस प्रत्याशी लाडी शेरोवालिया की 38,802 मतों के रिकार्ड अंतर से 26 वर्षों के बाद इस सीट को अकालियों के शिकंजे से निकालने की खातिर कार्यकत्र्ताओं ने दिन-रात एक कर दिया। 


2017 के विधानसभा चुनावों, गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव, नगर निगम चुनावों के उपरांत अब कांग्रेस को मिली जीत के बाद पंजाब के कांग्रेस विधायकों व वर्करों को बनता मान-सम्मान देना मुख्यमंत्री के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगा। 
वर्णनीय है कि वित्तीय संकट में फंसी कैप्टन सरकार अपने चुनावी वायदों को पूरा करने में असफल साबित हुई है। 


सरकार में विधायकों व वर्करों की सुनवाई न होने के अकाली दल (ब) का गढ़ माने जा रहे शाहकोट का उपचुनाव कै. अमरेन्द्र के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था। चूंकि कै. अमरेन्द्र सिंह द्वारा 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश की जनता के साथ-साथ सैकेंड लाइन के कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं को भी अनेकों सब्जबाग दिखाए गए थे। कै. अमरेन्द्र ने टिकट के दावेदारों को पार्टी हित में कार्य करने और प्रत्याशी की जीत का मार्ग प्रशस्त करने वाले नेताओं को कांग्रेस की सरकार बनने पर बोर्डों व निगमों की चेयरमैनियों सहित उन्हें विभिन्न सरकारी विभागों में एडजस्टमैंट दिलाने के आश्वासन दिए थे परंतु सरकार बनते ही कैप्टन ने पुन: अपना राजसी रवैया अपना लिया और कार्यकत्र्ताओं के साथ दूरी बना ली। 


विधायकों व कांग्रेस नेताओं की अंदरखाते चलती आ रही नाराजगी को लेकर शाहकोट उपचुनाव प्रचार के दौरान चुनाव नतीजे को लेकर भी अनेकों चर्चाएं बलवती रहीं कि कहीं भीतरघात के चलते कांग्रेस के लिए जीत की राह मुश्किल ही न हो जाए, परंतु आखिरकार नतीजों ने साबित कर दिया कि कार्यकत्र्ता ही पार्टी की रीढ़ होती है। अब इस रीढ़ को सहेजना और आने वाले दिनों में चेयरमैनियों तथा अन्य पदों की बांट में जहां कैप्टन अमरेन्द्र को फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा, वहीं अगर सरकारी पदों में बंदरबांट हुई तो उन पार्टी नेताओं का मनोबल टूट जाएगा जोकि अभी तक अपनी एडजस्टमैंट होने की आस लगाए बैठे हैं। अगर ऐसा हुआ तो कांग्रेस के लिए 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए डगर मुश्किलों से भरी हो सकती है। 

 

दोआबा को भी उचित प्रतिनिधित्व देने का बढ़ेगा दबाव जालंधर जिले में कांग्रेस विधायकों की संख्या 5 से बढ़कर हुई 6 
शाहकोट उपचुनाव के नतीजों के बाद मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र के लिए दोआबा को भी उचित प्रतिनिधित्व देने का दबाव बढ़ेगा। चूंकि कै. अमरेन्द्र ने अपनी किचन कैबिनेट में दोआबा को पूरी तरह से नजरअंदाज किए रखा है।  पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत पर लगे खनन मामले के आरोपों पर इस्तीफा दिए जाने के बाद केवल होशियारपुर से सुंदर शाम अरोड़ा को ही मंत्री बनाया गया, जबकि पिछले 2-3 दशकों में केवल जालंधर जिले ने कभी पंजाब को 4-4 मुख्यमंत्री और अनेकों दिग्गज मंत्री दिए थे परंतु आज कै. अमरेन्द्र कैबिनेट में जालंधर से एक भी मंत्री नहीं है। शाहकोट में कांग्रेस के फहराए परचम के बाद जिले से सबंधित 9 विधानसभा हलकों में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 5 से बढ़कर 6 हो गई है। अब आने वाले दिनों में कै. अमरेन्द्र दोआबा खास तौर पर जालंधर जिले से सबंधित विधायकों को अधिक से अधिक प्रस्तावित लैजिस्लेटिव असिस्टैंट्स बना कर एडजस्ट करने का दबाव भी हावी होगा।

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