कैबिनेट मंत्रियों का अपने ही विधायक, नेता व वर्कर खुलेआम करने लगे विरोध

Edited By swetha,Updated: 09 Jan, 2020 09:53 AM

cabinet ministers openly opposed their own mlas leaders and workers

पंजाब कांग्रेस में तूफान के पहले की शांति की स्थिति बनी हुई है।

जालंधर(चोपड़ा): पंजाब कांग्रेस में तूफान के पहले की शांति की स्थिति बनी हुई है। मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह, उनकी कैबिनेट के मंत्रियों के रवैये से न तो विधायक खुश हैं, न वरिष्ठ कांग्रेसी और न ही आम कार्यकर्ता 3 वर्षों में संतुष्ट हो पाया है, परंतु अब हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि अब वर्कर कैबिनेट मंत्रियों व नेताओं से खुलेआम सीधे सवाल-जवाब करने लगे हैं।  

कार्यकर्ताओं को सरेआम जलील करने में कोई कसर नहीं छोड़ते कैबिनेट मंत्री
वहीं कैबिनेट मंत्री भी ऐसे कार्यकर्ताओं को सरेआम जलील करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते। पिछले दिनों जालंधर दौरे के दौरान वर्करों से रू-ब-रू होने पहुंचे प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ के समक्ष जिला कांग्रेस शहरी व देहाती की अलग-अलग मीटिंगों में कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। कांग्रेस पदाधिकारियों ने जाखड़ के सामने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की कार्यशैली, उनकी अनदेखी व विकास कार्यों के गिरते स्तर को लेकर भड़ास निकाली। मंच पर बैठे कांग्रेसी नेता कुछ नहीं कर सके, परंतु गुरदासपुर में कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिन्द्र सिंह बाजवा ने दो कदम आगे निकलते हुए वर्कर मीटिंग में मसीही भाईचारे से संबंधित एक कार्यकत्र्ता को उस समय जमकर जलील किया जब वह गुरदासपुर में वर्करों के साथ मीटिंग करने व उनकी समस्याओं को सुनने पहुंचे थे। 

कोई मंत्री दूसरे के इलाके में दखल नहीं देता : फतेह जंग बाजवा 
बटाला विधानसभा हलका के इंचार्ज अश्विनी सेखड़ी ने कहा कि तृप्त बाजवा ने मसीह भाईचारे के एक व्यक्ति की गरीबी का मजाक उड़ाते बुरी तरह जलील किया। सेखड़ी ने कहा कि क्या उसे केवल इसलिए जलील करो कि वह गरीब और अल्पसंख्यक है। ऐसा कांग्रेस पार्टी में नहीं चलना। इसके पीछे बड़ा कुछ है। अगली प्रैस क्रांफैंस में बताऊंगा कि कहां-कहां इनकी मीटिंगें होती हैं और क्या-क्या होता रहा है। इनका एजैंडा है कि टकसाली कांग्रेसियों को मार दो और अपनी तालिबानी सोच लेकर आ जाओ। यह नहीं चलने देना। हमारी आवाज को कोई दबा नहीं सकता। आज 2 विधायक आए हैं, परंतु मुझे 25-26 के फोन आए हैं। वे लोग भी दुखी हैं और चाहते हैं कि कांग्रेस  कैप्टन अमरेन्द्र की सोच पर न चले। वहीं फतेह जंग बाजवा ने तृप्त बाजवा को कौसते हुए कहा था कि तालीबानी सोच को लेकर, पार्टी एक तरफ रखकर किसे अपने साथी को कुचलना चाहता है। वह अपने साथी की बाह पकड़ कर यहां से निकालना चाहता है, पार्टी की लीडरशिप इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री की सोच ही ऐसी हो गई है जिसका दिमाग चढ़ चुका है, बड़े-बड़े मंत्री देखे हैं और भी मंत्री हैं कोई मंत्री दूसरे के इलाके में दखल नहीं देता। 

वायरल वीडियो ने मचाई हलचल 
सोशल मीडिया पर पूरे घटनाक्रम की सोशल मीडिया में वायरल हो रही वीडियो ने खासी हलचल मचा रखी है। मीटिंग में मसीही भाईचारे से संबंधित एक वर्कर अपने ऊपर धारा-326 के तहत दर्ज हुए केस की फरियाद तृप्त बाजवा के समक्ष करता दिख रहा है। वर्कर ने बार-बार बाजवा से सवाल किए कि उनकी सरकार में उनके ऊपर 26 के नाजायज पर्चे हो रहे हैं, परंतु उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही। इस पर बाजवा ने गुस्से में कह डाला कि ‘तुसीं केहडा मैंनू वोटां पाईयां हन’ जिससे माहौल काफी गर्म हो गया। उसके चुप न होने पर गुस्साए कैबिनेट मंत्री ने उक्त कार्यकर्ता को जमकर लताड़ लगाते हुए उसे झूठा बंदा तक कह डाला। मौजूद लोगों ने किसी तरह वर्कर को शांत करवाया। हलांकि तृप्त बाजवा ने बाद में कहा कि वर्करों के गिले शिकवे वाजिब हैं, कमियां रह जाती हैं, जिन्हें पूरा किया जाएगा। तृप्त बाजवा के रवैये से गुस्साए पूर्व मंत्री अश्विनी सेखड़ी व विधायक फतेह जंग बाजवा ने कैबिनेट मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्हें आड़े हाथों लिया। दोनों नेताओं ने तृप्त बाजवा व कांग्रेस में तालीबानी सोच आने तक के आरोप जड़ दिए।

कै. अमरेन्द्र के गृह जिले के 4 कांग्रेसी विधायक भी दिखा चुके हैं अपने तेवर 
जिक्रयोग्य है कि पिछले ही महीनों मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह के गृह जिले पटियाला से संबंधित 4 कांग्रेसी विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। किसी प्रकार इन विधायकों का गुस्सा कुछ समय के लिए शांत किया गया है। इसके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू के मामले में कांग्रेस पूरी तरह से दोफाड़ दिखाई देती है। पार्टी में पनपी गुटबाजी व अनुशासनहीनता के चलते हालात बेहद बदतर बने हुए हैं। ऐसे प्रकरणों से मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों के रवैये से दुखी विधायकों व अन्य नेताओं की भौंहे तन गई हैं और अब वह भी खुलेआम अपनी बात रखने से गुरेज नहीं करेंगे। ऐसे बनते हालातों को अगर समय रहते काबू न किया गया तो पहले ही वित्तीय संकट में फंसी कैप्टन सरकार व कांग्रेस की लुटिया को डूबने से शायद कोई नहीं बचा पाएगा।

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