कैश क्रैडिट लिमिट का विवाद न निपटने से पंजाब पर पड़ रहा वार्षिक 1900 करोड़ का बोझ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 05:21 PM

burden of 1800 crores on punjab non deal with the cash credit limit dispute

पंजाब में जहां एक तरफ भारी आर्थिक संकट का दौर चल रहा है वहीं पर दूसरी ओर पंजाब सरकार को अनावश्यक तौर पर वार्षिक 1900 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है क्योंकि सी.सी.एल. (कैश क्रैडिट लिमिट) में अंतर को अभी तक केंद्र दूर नहीं कर सका है।

जालन्धर  (धवन):  पंजाब में जहां एक तरफ भारी आर्थिक संकट का दौर चल रहा है वहीं पर दूसरी ओर पंजाब सरकार को अनावश्यक तौर पर वार्षिक 1900 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है क्योंकि सी.सी.एल. (कैश क्रैडिट लिमिट) में अंतर को अभी तक केंद्र दूर नहीं कर सका है। 

 

पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार से विरासत में मिले फूड क्रैडिट लिमिट के मामले को केंद्र अभी तक सुलझा नहीं सका है। सरकारी हलकों ने बताया कि पूर्व सरकार के कार्यकाल में 31000 करोड़ का खाद्यान घोटाला हुआ था। 2002 -03 से लेकर 2014-15 के दौरान खाद्य विभाग में हुई अनियमितताओं का खमियाजा कांग्रेस सरकार को भुगतना पड़ रहा है। सरकारी सूत्रो ने बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली को 2-3 बार मुलाकात करके कहा गया कि सी.सी.एल. को लेकर चल रहे विवाद का निपटारा किया जाए परन्तु अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह चाहते हैं कि विरासत में मिले फूड क्रैडिट लिमिट के विवाद का निपटारा केंद्र से जल्द से जल्द होना चाहिए। 


सरकारी हलकों ने बताया कि पिछले वर्ष कैश क्रैडिट लिमिट में अंतर को दूर करने के लिए पंजाब सरकार के खजाने से 1100 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया जबकि 800 करोड़ रुपए धान से संबंधित सी.सी.एल. को लेकर सैटल करने के लिए दिए गए। इस तरह राज्य सरकार पर अनावश्यक तौर पर 1900 करोड़ रुपए का बोझ पड़ा। सूत्रों ने बताया कि एक तरफ जी.एस.टी. का पूरा हिस्सा केंद्र से नहीं मिल रहा है तथा उसमें लगातार देरी की जा रही है तथा दूसरा खाद्यान घोटाले को लेकर 31000 करोड़ के ऋण की राशि का निपटारा न होने से आॢथक संकट का बोझ और बढ़ गया है। 

 

वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 31000 करोड़ के ऋण के विवाद को निपटाने के लिए केंद्र ने एक सुझाव अवश्य प्रस्तुत किया था जिसके तहत इसका बोझ एफ.सी.आई., केंद्र  सरकार तथा राज्य सरकार समान रूप से सहन करना चाहिए परन्तु मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने केंद्र के इस सुझाव को ठुकरा दिया है। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने यह मामला उठाया था तथा उस समय सुनील जाखड़ ने कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सहमति से इस मामले को सार्वजनिक रूप से पेश करके तत्कालीन अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार पर घोटाला करने का आरोप लगाया था। अभी तक इस विवाद को लेकर निपटारा न होने के कारण विवाद ज्यों का त्यों लटक रहा है। यह भी बताया जाता है कि अगर केंद्र 31000 करोड़ के पुराने ऋण के मामले का निपटारा कर देता है तो उस स्थिति में पंजाब को भारी राहत आर्थिक तौर पर मिल जाएगी।
 

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