नामधारी समुदाय सफाई में जुटा, डाइंग इंडस्ट्री कैमिकल युक्त पानी डाल रही बुड्ढे नाले में

Edited By Vatika,Updated: 10 Jan, 2019 09:39 AM

budha nala ludhiana

बुड्ढे नाले को प्रदूषित करने के मामले में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) की ओर से 50 करोड़ का जुर्माना लगाने के बावजूद पंजाब सरकार व नगर निगम लुधियाना इसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए गंभीर नहीं दिख रहे। जुर्माना लगने के बाद भी बुड्ढे नाले में...

लुधियाना(धीमान): बुड्ढे नाले को प्रदूषित करने के मामले में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) की ओर से 50 करोड़ का जुर्माना लगाने के बावजूद पंजाब सरकार व नगर निगम लुधियाना इसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए गंभीर नहीं दिख रहे। जुर्माना लगने के बाद भी बुड्ढे नाले में कैमिकल युक्त पानी डालने वाली डाइंग इंडस्ट्री पर कार्रवाई न करना भी नगर निगम व प्रदूषण विभाग की इंडस्ट्री से मिलीभगत की ओर इशारा कर रहा है। 
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नामधारी समुदाय (भैणी साहिब) के सद्गुरु उदय सिंह ने प्रदूषण से लोगों की जान बचाने के लिए बुड्ढे दरिया को साफ  करने का जिम्मा उठाया है, लेकिन जिस डाइंग इंडस्ट्री व डेयरी फार्म की गंदगी को साफ  करने नामधारी संस्था की संगत पिछले कई दिनों से ताजपुर रोड से बुड्ढे दरिया की सफाई कर रही है, वह अभी तक 600 मीटर का दायरा भी साफ  नहीं कर पाई। डाइंग इंडस्ट्री बुड्ढे नाले में जहरीला पानी फैंकने से बाज नहीं आ रही। नामधारी संगत सुबह से शाम तक सफाई करती है और अगले दिन डाइंगों से निकलने वाली राख और जहरीला पानी वहां आकर रुक रहा है। इसके अलावा डेयरी फार्म भी गोबर नाले में फैंक रहे हैं। ताजपुर रोड पर 110 डाइंग यूनिट हैं। इन पर पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अफसर भी हाथ नहीं डालते। आस-पास के रहने वाले लोग भी इन डाइंग यूनिटों के कारण गंभीर बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं। 
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मुख्यमंत्री ने बनाई थी सद्गुरु उदय सिंह की निगरानी में टास्क फोर्स
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने सद्गुरु उदय सिंह की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स बनाई थी। तब कहा गया था कि सरकार की ओर से हरसंभव मदद मिलेगी, लेकिन यहां मदद तो दूर मौके पर कोई अफसर पहुंचने को तैयार नहीं। सवाल है कि डाइंग कारोबारियों के साथ-साथ अफसर और नेता प्रदूषण का कलंक क्यों नहीं मिटाना चाहते। 
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सख्ती के बाद नरम पड़े विधायक संजय तलवाड़
इलाके के विधायक संजय तलवाड़ ने बुड्ढे नाले की सफाई के लिए डाइंग इंडस्ट्री पर सख्ती की, लेकिन कुछ दिनों में वह भी ठंडे होकर बैठ गए। इसके पीछे क्या कारण है यह जानने के लिए जब छानबीन की गई तो पता चला कि विधायक तलवाड़ डाइंग इंडस्ट्री के प्रभाव में आकर उनकी भाषा बोलना शुरू हो गए। पहले जिस तरह विधायक तलवाड़ ने डाइंग इंडस्ट्री के विरुद्ध मोर्चा खोला था, उससे लगता था कि अब इसका हल जल्दी निकलेगा, लेकिन अब ऐसा नहीं दिख रहा। अवैध सीवरेज बंद करने की पावर नामधारी समुदाय के पास नहीं है। यदि विधायक तलवाड़ और मेयर संधू के अलावा पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अफसरों ने नामधारी संस्था का साथ नहीं दिया तो बुड्ढा नाला साफ  नहीं होगा। 

रोजाना 50 टिप्पर भरकर निकाली जा रही गार
नामधारी समुदाय के सेवादारों की ओर से रोजाना 50 से ज्यादा टिप्पर भरकर गाद निकाली जा रही है, लेकिन ताजपुर रोड पर गार निकालने में लगी मशीनेंं वहीं जमकर रह गई हैं। इस एरिया में डेयरी फार्म का गोबर पानी के साथ नाले में गिर रहा है और साथ ही डाइंग इंडस्ट्री की राख व जहरीला पानी भी रुकने का नाम नहीं ले रहा। हर रोज करीब 50 से 60 हजार रुपए का खर्च नामधारी संस्था उठा रही है।

प्रदूषण बोर्ड के अफसरों को दिखाई नहीं दे रहे 8 अवैध प्वाइंट 
‘पंजाब केसरी’ की टीम ने वहां दौरा कर देखा कि जहां नामधारी संगत बुड्ढे दरिया को साफ  कर रही है, वहीं कुछ दूरी पर डाइंग इंडस्ट्री बिना ट्रीट किया हुआ कैमिकल युक्त काले-लाल रंग का पानी अवैध सीवरेज के जरिए बुड्ढे नाले में फैंक रही है। इसे देखकर नामधारी संगत को भी बुड्ढा दरिया साफ  करना मुश्किल लग रहा है। डाइंग इंडस्ट्री सफाई में साथ देना तो दूर उलटा साफ  हो रहे बुड्ढे नाले को फिर से गंदा करने में अहम भूमिका निभा रही है। नामधारी संगत का कहना है कि डाइंग इंडस्ट्री के लिए इंसानी जान की कोई कीमत नहीं है। टीम ने इस बार फिर 8 अवैध प्वाइंटों पर जहरीला पानी आते हुए अपने कैमरे में कैद किया, जबकि यह प्वाइंट आज भी प्रदूषण बोर्ड के अफसरों को दिखाई नहीं दे रहे। 

फोटो खिंचवाने के बाद अफसरों और नेताओं ने नहीं ली सुध
ताजपुर रोड पर जब गत 23 दिसम्बर को नामधारी संस्था ने बुड्ढे नाले की सफाई के काम की शुरूआत की थी, उस दिन सभी राजनीतिक नेता, जिसमें मेयर बलकार सिंह संधू, इलाके के विधायक संजय तलवाड़, डाइंग इंडस्ट्री के बड़े नेता, इलाका पार्षद, नगर निगम के अफसर अपनी फोटो खिंचवाने तो पहुंच गए लेकिन उसके बाद किसी ने नामधारी संगत की मदद करना मुनासिब नहीं समझा। नामधारी संस्था सफाई का जो काम कर रही है, वह काम नगर-निगम, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और सरकार के अन्य संबंधित विभागों को करना चाहिए। इसके बावजूद पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अफसरों ने जायजा लेना मुनासिब नहीं समझा। 

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