निगम को भैणी साहिब से मिल रही सफाई सेवा नहीं आई रास, बुड्ढे नाले की सफाई हुई बंद

Edited By swetha,Updated: 25 Mar, 2019 08:32 AM

budha nala

जब तक भ्रष्ट अधिकारी कुर्सियों पर बैठे हैं तब तक लाख कोशिशों के बाद भी बुड्ढा नाला साफ नहीं हो सकता। भैणी साहिब की संगत ने करीब अढ़ाई माह पहले ताजपुर रोड से बुड्ढे नाले की सफाई शुरू की थी।

लुधियाना(धीमान): जब तक भ्रष्ट अधिकारी कुर्सियों पर बैठे हैं तब तक लाख कोशिशों के बाद भी बुड्ढा नाला साफ नहीं हो सकता। भैणी साहिब की संगत ने करीब अढ़ाई माह पहले ताजपुर रोड से बुड्ढे नाले की सफाई शुरू की थी। पर अब मायूस होकर सारी संगत ने हाथ खड़े कर दिए हैं। उन्होंने बुड्ढे नाले से गंदगी निकालने के लिए जितने एरिया से सफाई की शुरूआत की थी आज भी गंदगी वैसी की वैसी हैं।संगत दिनभर जे.सी.बी. मशीनों से सफाई करती है और रात को डेयरी मालिक और डाइंग इंडस्ट्री वाले चोरी-छुपे नाले में पानी छोड़ देते हैं। इससे सफाई वाले स्थान पर फिर से गंदगी जमा होती जा रही है।अढ़ाई माह की कड़ी मशक्कत के बाद संगत ने भैणी साहिब द्वारा सफाई के लिए खर्च किए गए करीब 15 लाख रुपए के बावजूद काम बंद कर दिया है। भैणी साहिब के प्रमुख वक्ता सुखविंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को इसकी रिपोर्ट देने के लिए योजना बनाई है। यानी सरकार के विभाग मुफ्त में मिल रही सेवा से भी बुड्ढे नाले को साफ करवाने को राजी नहीं हैं।

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सहयोग न मिलने से योजना हुई फेल,अधिकारियों को सिर्फ अपनी जेबें भरने तक मतलब

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने बुड्ढे नाले की सफाई के लिए टास्क फोर्स बनाई थी जिसका जिम्मा भैणी साहिब के श्री सद्गुरु उदय सिंह जी को दिया गया। उन्होंने भी मुख्यमंत्री को भरोसा दिया कि वह अपनी संगत के सहयोग से बुड्ढे नाले को साफ कर देंगे लेकिन नगर निगम और प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों से कोई सहयोग न मिल पाने के कारण सारी योजना फेल हो गई। किसी भी अधिकारी ने सिवाय शुरूआत के दिन को छोड़कर कभी भी संगत के पास आकर पूछना मुनासिब नहीं समझा कि सफाई अभियान कैसा चल रहा है या किसी तरह की मदद की जरूरत तो नहीं। संगत ने बुड्ढे नाले से सैंकड़ों टन गार निकाली लेकिन नगर निगम डेयरियों से निकलने वाले गोबर युक्त पानी को रोकने में नाकाम रहा। वहीं डाइंग इंडस्ट्रियां भी बिना ट्रीट किया पानी बुड्ढे नाले में देर रात को छोड़ देती हैं जिससे नाला फिर प्रदूषित होता है।  इससे साफ हो गया है कि अधिकारियों को सिर्फ अपनी जेबें भरने तक मतलब है, लोगों की जिंदगियों से कोई लेना-देना नहीं। 

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डाइंग यूनिटों के जहरीले पानी से सबसे ज्यादा खतरा 

महानगर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास 271 डाइंग यूनिटें रजिस्टर्ड हैं जबकि इनकी संख्या 400 के आसपास है। डाइंग यूनिटों को नियम अनुसार पानी को ट्रीट यानी साफ कर सीवरेज में छोड़ना होता है। अधिकतर डाइंग इंडस्ट्रियां बिना ट्रीट किए ही पानी को सीवरेज के जरिए बुड्ढे नाले में छोड़ रही हैं जिससे लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इस पानी बाबत डाक्टर भी कह चुके हैं कि यदि जल्द हालात न सुधरे तो आने वाली पीढ़ी बिना औलाद रहेगी। इतनी खतरनाक चेतावनी के बावजूद न तो डाइंग कारोबारी जहरीला पानी फैंकने से बाज आ रहे हैं और न ही डेयरी मालिक बुड्ढे नाले को जाम करने से गुरेज कर रहे हैं और खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

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बात करने से कतराते रहे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी 

भैणी साहिब की संगत को सहयोग न देने बारे जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन एस.एस. मरवाहा से बात करनी चाही तो उन्होंने लगातार फोन काटना शुरू कर दिया। वहीं मैंबर सैक्रेटरी प्रदीप गुप्ता ने भी हर बार की तरह फोन ही नहीं उठाया। यहां सवाल है कि ऐसे गैर-जिम्मेदार अधिकारियों की वजह से ही पंजाब से प्रदूषण खत्म नहीं हो पा रहा।

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जहरीले पानी को रोकने का एक ही उपाय जैड.एल.डी.

डाइंग यूनिटों के जहरीले पानी को रोकने के लिए केवल एक ही उपाय है जीरो लिक्विड डिस्चार्ज टैक्नोलॉजी (जैड.एल.डी.) इससे पानी की एक बूंद भी बुड्ढे नाले में नहीं आएगी बल्कि ग्राऊंड वाटर की भी बचत होगी लेकिन डाइंग इंडस्ट्री इस टैक्नोलॉजी को अपनाने से घबराती है। कारोबारियों को डर है कि इससे उनके डाइंग करने का खर्चा बढ़ जाएगा जबकि बढ़ा हुआ खर्चा डाइंग मालिकों ने उपभोक्ताओं की जेब से लेना है। असलियत यह है कि अब तक डाइंग इंडस्ट्री अपने निजी एफुलैंट ट्रीटमैंट प्लांट न चलाकर करोड़ों का मुनाफा कमा रही है। इस पर रोक लगने का डर सता रहा है। एन.जी.टी. भी जैड.एल.डी. के लिए यह कह चुकी है। इसके बावजूद शहर में डाइंग यूनिटों के लिए बनने वाले 3 सी.ई.टी.पी. यानी कॉमन एफुलैंट ट्रीटमैंट प्लांट बिना जैड.एल.डी. तकनीक के ही बन रहे हैं।

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डेयरी मालिकों की भी समस्या, गोबर कहां फैंकें

डेयरी मालिकों को सरकार की ओर से कोई ऐसी जगह नहीं उपलब्ध करवाई गई, जहां वे एक जगह पर ही गोबर इकट्ठा कर दें। इसके लिए एक डम्प का होना जरूरी है। उसके बाद सरकार को ऐसा इंतजाम करना चाहिए कि डम्प से गोबर सीधा बिजली पैदा करने वाले प्लांट में जाए। गोबर आज काफी बड़ी समस्या है। सरकार चाहे तो कुछ करोड़ रुपए निवेश कर गोबर से बनने वाली बिजली और गैस प्लांट लगा सकती है। इससे इधर-उधर गोबर फैंकने की समस्या खत्म हो जाएगी।

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भैणी साहिब की संगत ने दिन-रात एक कर बुड्ढे नाले की सफाई का अभियान शुरू किया लेकिन किसी भी सरकारी विभाग का सहयोग न मिलने से काम बंद करना पड़ा। वजह, आगे सफाई होती जा रही थी और पीछे फिर डाइंग व डेयरियों की गंदगी बुड्ढे नाले को गंदा करती जा रही थीं। अढ़ाई महीने में 15 लाख रुपए सफाई पर खर्च हो चुके हैं लेकिन अधिकारियों की नजरअंदाज वाली पॉलिसी के कारण यह सारा पैसा बर्बाद हो गया। दुख की बात है कि सरकार के विभाग को मुफ्त हो रही सफाई भी रास नहीं आ रही। इस बारे सोमवार को मुख्यमंत्री के साथ बैठक करेंगे जहां इस मुद्दे को उठाया जाएगा कि अफसरों का सहयोग न मिलने के कारण काम बंद करना पड़ा।    —सुखविंद्र सिंह, प्रवक्ता भैणी साहिब


भैणी साहिब की ओर से जो सफाई अभियान शुरू किया गया है उसमें नगर निगम की ओर से गाडियों व जे.सी.बी. में इस्तेमाल होने वाला डीजल मुहैया करवाया गया। जहां तक गोबर व जहरीले पानी को रोकने की बात है, उस पर एक रिपोर्ट तैयार कर ली गई है जो कल मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी। अप्रूवल मिलते ही इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा। इस नई योजना तहत पानी व गोबर बुड्ढे नाले में नहीं जाएगा।’’—बलकार सिंह संधू, मेयर लुधियाना

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