Edited By Updated: 03 Feb, 2017 04:31 PM
केन्द्र बजट में देश के अन्नदाता को खुश करने के लिए घोषित की गई सहूलियतों में किसानों के लिए कोई उम्मीद की किरण
जीरा/फिरोजपुर(अकालियां वाला): केन्द्र बजट में देश के अन्नदाता को खुश करने के लिए घोषित की गई सहूलियतों में किसानों के लिए कोई उम्मीद की किरण नहीं दिख रही क्योंकि देश की किसानी की डांवाडोल हो रही स्थिति को सहारा देने की जरूरत नहीं, बल्कि इस स्थिति से निपटने के लिए किसानी को एक बार कर्जामुक्त किया जाना जरूरी है, क्योंकि किसानी अन्य कर्जों की मांग नहीं करती, बल्कि पहले लिए कर्जों से मुक्त होना चाहती है। अगर सहायक धंधों की बात की जाए तो सहायक धंधे भी किसानी के लिए कोई मददगार नहीं बन सके, बल्कि इस धंधे के लिए ली सबसिडी वाले कर्जे और बोझ बन गए हैं। इस संबंधी विभिन्न सहायक धंधों से जुड़े किसानों व अन्य वर्गों से बात की जिन्होंने बजट को किसानी का मददगार नहीं माना।
किसान अपनी डूबती आर्थिकता को बचाने के लिए ऐसा नहीं कि प्रयास नहीं करता, लेकिन लागत खर्चे इस कदर बढ़ गए हैं कि उसका प्रयास पूरा नहीं होता। वर्ष 2012-13 में खेतीबाड़ी से जुड़े परिवार 52 प्रतिशत कर्जे की मार में थे, जबकि दो दशक पहले यह आंकड़ा 26 प्रतिशत था। किसान ज्यादातर अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए साहूकारों से उच्च ब्याज दर वाला कर्जा लेते हैं, जबकि अंदाजन 20 प्रतिशत किसान ही बैंकों तक कर्जे की पहुंच रखते हैं, जिस कारण किसानी की कमाई ब्याज की दर की भेंट चढ़ रही है।-गुरदीप सिंह, किसान
सरकार द्वारा बजट दौरान छोटे स्तर पर सिंचाई व डेयरी प्रोसैसिंग को उत्साहित करने के लिए 13 हजार करोड़ रुपए के अलग फंड घोषित किए हैं। जितनी देर ऐसे कार्यों से किसानी को कोई लाभ नहीं होता उतनी देर ऐसे प्रोजैक्ट लंबा समय किसानी के आर्थिक साथी नहीं बनेंगे।-धर्म सिंह, किसान
जब भी किसान ने किसी सहायक धंधे को अपनाया वह उसके लिए मददगार नहीं बना, बल्कि उसकी परेशानियां बढ़ीं। सरकार सहायक धंधे प्रति उत्साहित करने के लिए सबसिडी की सहूलियत भी देती है, लेकिन जब मंडीकरण पर बात आती है तो सब कुछ किसानी के लिए घाटे वाला बन जाता है, जबतक सहायक धंधे के मंडीकरण की व्यवस्था तथा उसके भाव तय नहीं होते उतनी देर किसानों के लिए यह धंधा लाभ वाला नहीं होता। - अमनदीप सिंह,किसान