Edited By Kalash,Updated: 09 Jul, 2022 10:15 AM
केन्द्र सरकर की नीतियों के चलते न केवल ईंट भट्ठा कारोबार प्रभावित हो रहा है
नवांशहर (त्रिपाठी): केन्द्र सरकर की नीतियों के चलते न केवल ईंट भट्ठा कारोबार प्रभावित हो रहा है बल्कि एक तिहाई से अधिक भट्ठे बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। यदि केन्द्र सरकार ने हजारों लाखों मजदूरों को रोजगार देने वाले इस व्यवसाय की दिक्कतों को हल करने के लिए जल्द पग नहीं उठाए तो न केवल भट्ठा मालिक अपने इस कारोबार को बंद करने को मजबूर होंगे बल्कि विकास कार्य भी बुरी तरह से प्रभावित होंगे।
वर्ष भर कोयले की कीमतों में हुआ 19 हजार प्रति क्विंटल का इजाफा
कोयले की बढ़ती कीमतों की समस्या से जूझ रहे भट्ठा मालिकों की समस्याओं संबंधी जानकारी देते हुए भट्ठा यूनियन के जिला प्रधान अशोक लडोईया, राजीव गुलाटी जनरल सचिव, पवन भल्ला तथा अमृत नफरी ने बताया कि करीब 1 वर्ष पहले कोयले की कीमतें प्रति टन करीब 8 हजार थीं, जो अब तेजी से बढ़ कर 27 हजार पहुंच गई हैं। केन्द्र सरकार जहां कोयले के बढ़ते रेटों को रोकने में पूरी तरह असफल हुई है वहीं जी.एस.टी. की दरें भी 5 प्रतिशत से बढा कर 12 प्रतिशत कर दी गई हैं।
कॉरपोरेट घरानों का कब्जा बन रहा कोयले की बढती कीमतों का कारण
ईट भट्ठा मालिकों ने बताया कि भारत विश्व भर में कोयले का उत्पादन करने वाले देशों में दूसरे नंबर पर है। भारत का अधिकांश कोयला आसाम स्थित खदानों से निकल कर देश भर में सप्लाई होता था परन्तु पिछले कुछ वर्षों से उक्त कोयले की सप्लाई पूरी तरह से ठप्प है तथा कोयला सप्लाई केवल विदेशों से आने वाले कोयले पर निर्भर है। इसके अतिरिक्त कुछ एक कार्पोरेट घरानों का ही कोयले की मार्कीट पर कब्जा है यही कारण है कि उक्त घराने मनमाने ढंग से कोयले के रोटों में बढ़ौतरी कर रहे हैं।
बाजार में बिकने वाली ईंटों का भाव प्रति हजार 8 हजार रुपए, सरकार को डिलीवर होने वाली ईंटों का भाव 6784 रुपए
एक ईंट भट्ठा मालिक ने बताया कि कोयले की तेजी से बढती कीमतों के चलते बाजार में ईंटों का भाव करीब 8 हजार रुपए प्रति हजार पहुंच गया है। इस भाव से नीचे ईंटों की बिक्री ईंट भट्ठा मालिकों की ओर से कर पाना संभव नहीं है। परन्तु सरकार द्वारा किए जाने वाले विकास कार्यों में सप्लाई होने वाली ईंटों की कीमत केवल 6784 रुपए प्रति हजार मिल रही है। जिस संबंध में सरकारी अधिकारियों का कहना है कि एक दम अधिक मूल्य पर ईटों की खरीद संभव नहीं है।
कोयला न मिलने के चलते भट्ठों पर लग रहे कच्ची ईंटों के ढेर
कोयले के बढते दाम तथा कोयले की सप्लाई न मिलने के चलते ईंट भट्ठा मालिकों को आ रही दिक्कतों से अवगत करवाते हुए अमृत नफरी ने बताया कि कई ईंट भट्ठों पर निर्मित कच्ची ईंटों को पकाने के लिए कोयला न मिल पाने के चलते कच्ची ईंटों के ढेर लग गए हैं।
मिट्टी की उपलब्धता की समसया संबंधी अवगत करवाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से केवल 3 फुट तक मिट्टी खोदने की अनुमति है तथा वह केवल हाथों से खोदी जा सकती है। जबकि एक ईंट भट्ठे के लिए सैंकडों ट्रालियां मिट्टी की जरूरत होती है जो जे.सी.बी.मशीन के बिना संभव नहीं है।
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