Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Oct, 2017 05:11 PM
मैट्रिक की वार्षिक परीक्षाओं को अभी 4 महीने का समय शेष है। गत वर्ष की अपेक्षा इस बार बेहतर परिणाम के लिए शिक्षा विभाग ने उन अध्यापकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिनके परिणाम बोर्ड परीक्षाओं में 20 प्रतिशत से कम थे। इस शृंखला में डायरैक्टर...
लुधियाना(विक्की): मैट्रिक की वार्षिक परीक्षाओं को अभी 4 महीने का समय शेष है। गत वर्ष की अपेक्षा इस बार बेहतर परिणाम के लिए शिक्षा विभाग ने उन अध्यापकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिनके परिणाम बोर्ड परीक्षाओं में 20 प्रतिशत से कम थे। इस शृंखला में डायरैक्टर शिक्षा विभाग परमजीत सिंह ने राज्यभर के उक्त अध्यापकों को शोकाज नोटिस जारी करके कम परिणाम आने का कारण पूछा है। जानकारी के मुताबिक लुधियाना में भी विभिन्न सरकारी स्कूलों के 22 अध्यापकों को डी.पी.आई. की ओर से शोकाज नोटिस जारी किए गए हैं। उक्त नोटिस डी.ई.ओ. स्वर्णजीत कौर द्वारा संबंधित अध्यापकों के स्कूलों में भिजवाकर उनसे जवाब मांगा गया है। बता दें कि पी.एस.ई.बी. की ओर से मई में घोषित किए गए 10वीं के परीक्षा परिणाम में इंगलिश, गणित, साइंस व एस.एस.टी. में अधिकतर बच्चे फेल हुए थे।
विधानसभा में भी गूंजा था मामला
बता दें कि स्टूडैंट्स के खराब परिणाम का मुद्दा विधानसभा में भी गूंजा था, जिस पर शिक्षा मंत्री अरुणा चौधरी ने अध्यापकों को नोटिस जारी करने के अलावा अगले वर्ष से परिणाम बेहतर करने का आश्वासन दिया था। माना जा रहा है कि परीक्षाओं से 4 महीने पहले उक्त नोटिस इसलिए जारी किए गए हैं कि अध्यापकों पर समय रहते परिणाम पिछले वर्ष की अपेक्षा बेहतर देने का दबाव बना रहे।
21 दिन के भीतर देना होगा जवाब
डी.पी.आई. द्वारा जारी नोटिस में साफ कहा गया है कि अध्यापकों पर किसी भी तरह की कार्रवाई करने से पहले उनसे कम परिणाम का कारण पूछा जा रहा है। अगर किसी अध्यापक ने 21 दिन के भीतर कोई जवाब न दिया तो उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
बताना पड़ेगा कम परिणाम आने का कारण : डी.ई.ओ.
डी.ई.ओ. स्वर्णजीत कौर ने कहा कि डी.पी.आई. से आए अध्यापकों के नोटिस उनके स्कूलों में भिजवाकर कम परिणाम का कारण बताने के लिए कहा गया है। अध्यापकों द्वारा भेजे जाने वाले नोटिस के जवाब में स्कूल प्रमुखों को भी अपनी टिप्पणी करके यह यकीनी बनाना होगा कि आगामी परीक्षाओं में स्टूडैंट्स के परिणाम बेहतर होंगे। डी.ई.ओ. ने कहा कि अध्यापकों को चाहिए कि स्टूडैंट्स को पढ़ाने के लिए अलग से कोई विशेष प्रयास जारी रखे जाएं, ताकि उनके परिणाम अच्छे हो सकें।