Edited By swetha,Updated: 08 Jan, 2019 08:56 AM
एक समय में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार, पार्टी का दलित चेहरा व वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे संघप्रिय गौतम ने सियासी बम फैंकते हुए कहा कि अगर पार्टी को सत्ता में वापसी करनी है तो सरकार और संगठन में बदलाव करना पड़ेगा। 5 राज्यों में विधानसभा...
जालंधर(गुलशन): एक समय में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शुमार, पार्टी का दलित चेहरा व वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे संघप्रिय गौतम ने सियासी बम फैंकते हुए कहा कि अगर पार्टी को सत्ता में वापसी करनी है तो सरकार और संगठन में बदलाव करना पड़ेगा। 5 राज्यों में विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री गौतम ने योगी आदित्यनाथ को हटाकर राजनाथ सिंह को यू.पी. का मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष व नितिन गडकरी को देश का उप-प्रधानमंत्री बनाने का सुझाव दिया है। उनके इस सुझाव से सियासी हलकों में भूचाल आ गया है। 88 वर्षीय गौतम ने कहा कि पार्टी को बचाने के लिए सरकार और संगठन में तुरंत बदलाव की जरूरत है। बदलाव के साथ ही पार्टी के निराश कार्यकर्ताओं के अंदर उत्साह और विश्वास का संचार होगा। अगर यह बदलाव नहीं किया जाता तो नरेंद्र मोदी का दोबारा प्रधानमंत्री बनना आसान नहीं होगा।
वायदे पूरे करने में नाकाम रही केंद्र सरकार
उन्होंने कहा कि भाजपा देश की जनता से काला धन वापस लाने, महंगाई खत्म करने व भ्रष्टाचार दूर करने जैसे वायदे करके सत्ता में आई थी लेकिन वह इन्हें पूरे करने में नाकाम रही है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने भी कहा था कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार उनके विभाग में ही है। गौतम के अनुसार उन्होंने 13 दिसम्बर को पार्टी के नाम एक खुला पत्र लिखा है।
मोदी सरकार ने लोक हित के मुद्दे छोड़कर मंदिर-मस्जिद के मुद्दे उछाले
संघप्रिय गौतम ने कहा कि मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार, महंगाई, काला धन जैसे लोकहित के मुद्दे छोड़कर धर्म, मंदिर-मस्जिद, शहरों के नामकरण जैसे मुद्दे और उछाले हैं जिस कारण सरकार का ग्राफ गिरा है। इन मुद्दों की वजह से लोगों में सरकार के प्रति विश्वास की कमी आई है।
गलत निर्णयों से पार्टी और सरकार का ग्राफ गिरा
गौतम ने कहा कि सरकार के गलत निर्णय जैसे संविधान को बदलने की बातें करना, संविधान से छेड़छाड़ करना, योजना आयोग को नीति आयोग में बदलना, सुप्रीम कोर्ट, आर.बी.आई., सी.बी.आई. जैसे संवैधानिक संस्थानों व आर्थिक क्षेत्रों में दखलअंदाजी के चलते पार्टी और सरकार का ग्राफ गिरा है। इन्हीं फैसलों की वजहों से 5 विधानसभा राज्यों में विपरीत असर देखने को मिला है। मणिपुर और गोवा में जोड़-तोड़ की राजनीति से सरकार बनाने, उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लाने व कर्नाटक में 1 दिन की सरकार बनाना भी गलत निर्णय था।