लुधियाना की सीट पर भाजपा लड़ सकती है चुनाव

Edited By Anjna,Updated: 01 Jul, 2018 08:37 AM

bjp can fight ludhiana seat

2019 लोकसभा चुनाव से पहले अकाली-भाजपा प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कब्जा जमाने के लिए विशेष रणनीति पर काम कर रही है जिसके तहत दोनों पार्टियां उन सीटों की रद्दोबदल करने जा रही हैं, जहां उनकी जीत नहीं हो पा रही है। जहां सिख वोट बैंक ज्यादा है,...

जालंधर (रविंदर): 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अकाली-भाजपा प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कब्जा जमाने के लिए विशेष रणनीति पर काम कर रही है जिसके तहत दोनों पार्टियां उन सीटों की रद्दोबदल करने जा रही हैं, जहां उनकी जीत नहीं हो पा रही है। जहां सिख वोट बैंक ज्यादा है, उस सीट पर अकाली दल को फोकस करने को कहा जा रहा है तो जहां हिंदू वोट बैंक के साथ प्रवासी वोट बैंक ज्यादा है, वहां भाजपा चुनाव लडऩे पर विचार कर रही है। इसमें सबसे हॉट सीट बनी हुई है अमृतसर की।

भाजपा अमृतसर की सीट अकाली दल को हैंडओवर करना चाहती है, जबकि बदले में लुधियाना या जालंधर की सीट अपने खाते में चाहती है। भाजपा छोटे से अंतराल में 2 बार अमृतसर लोकसभा सीट बड़े मार्जिन से हार चुकी है। 2019 में देश की सत्ता पर दोबारा कब्जा करने की रणनीति के तहत भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंजाब की सभी 13 सीटों को लेकर खासे गंभीर नजर आ रहे हैं। अमृतसर की सीट को आखिरी बार 2009 में नवजोत सिंह सिद्धू ने जीत कर झोली में डाला था मगर 2014 में भाजपा ने सिद्धू को सीट देने की बजाय अपने दिग्गज नेता अरुण जेतली को यहां से उतारा था लेकिन जेतली का करिश्मा काम नहीं कर सका था और कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने जेतली को तकरीबन एक लाख वोटों के अंतर से हराया था।

इसके बाद कैप्टन ने विधानसभा चुनाव के दौरान लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था और यहां से कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने एक बार फिर भाजपा के प्रत्याशी मुखविंद्र सिंह छीना को 2 लाख के भारी मतों से मात दी थी। छोटे से अंतराल में 2 हार के बाद भाजपा ने पूरे मामले में समीक्षा करने पर पाया कि अमृतसर में सिख वोट बैंक ज्यादा है और उनका झुकाव भाजपा की तरफ कम है इसलिए भाजपा चाहती है कि अमृतसर की सीट अकाली दल को हैंडओवर कर दी जाए। इसके बदले में भाजपा लुधियाना और जालंधर में से किसी सीट पर अपने प्रत्याशी को उतारना चाहती है। पिछले दिनों भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जब चंडीगढ़ आए थे तो इस बारे में उन्होंने संकेत भी दिया था और इस मुद्दे पर अकाली दल नेताओं व पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से बातचीत भी हुई थी।

भाजपा का मानना है कि जालंधर में जहां हिंदू वोट बैंक ज्यादा है, वहीं लुधियाना में हिंदू वोट बैंक के साथ-साथ उत्तर प्रदेश व बिहार से आने वाला वोट बैंक भी खासा है, जिसका भाजपा को फायदा मिल सकता है। भाजपा के बड़े नेताओं का भी मानना है कि सीट कोई भी कहीं से भी लड़े, मगर जीतने के बाद सीट तो एन.डी.ए. की झोली में ही जाएगी। भाजपा थिंक टैंक का भी मानना है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के खिलाफ चल रही लहर का फायदा गठबंधन जरूर उठाना चाहेगा और अगर दोनों सीटों पर रद्दोबदल होता है तो इसका फायदा जरूर मिलेगा। 

सिद्धू के बाद भाजपा के पास नहीं है सशक्त चेहरा
नवजोत सिंह सिद्धू के रूप में भाजपा के पास प्रदेश में एक मजबूत सिख चेहरा था। सिद्धू ने ही अमृतसर में भाजपा के पांव मजबूत किए थे और इस सीट को भाजपा की झोली में डाला था। उनके कांग्रेस में जाने के बाद भाजपा के पास अब अमृतसर में कोई खास चेहरा नहीं है, इस कारण भी भाजपा अमृतसर में चुनाव लडऩे से डर रही है। 

भाजपा एक सीट ज्यादा लडऩे पर भी अड़ी
भाजपा धीरे-धीरे पंजाब में अपने पांव मजबूत करना चाहती है। अभी तक गठबंधन के तौर पर पंजाब में भाजपा 3 और अकाली दल 10 सीटों पर चुनाव लड़ता आ रहा है। भाजपा चाहती है कि 2019 चुनाव में 4 सीटों पर चुनाव लड़ा जाए। इसमें खास तौर पर भाजपा की नजर जालंधर सीट पर है क्योंकि अकाली दल लंबे समय से इस सीट को हारता चला आ रहा है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!