बायोटैक इंजीनियर couple डेयरी धंधा अपनाकर युवाओं के लिए बने मिसाल

Edited By Anjna,Updated: 19 Jun, 2018 01:00 PM

biotech engineer couple made use of dairy business for youth

दिल्ली के जमपल तथा बायोटैक में बी.टैक की डिग्री लेने वाले मनप्रीत सिंह ने किसी मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी करने के स्थान पर पंजाब में डेयरी धंधे को अपना कर युवाओं के लिए नई मिसाल पेश की है।

नवांशहर(त्रिपाठी): दिल्ली के जमपल तथा बायोटैक में बी.टैक की डिग्री लेने वाले मनप्रीत सिंह ने किसी मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी करने के स्थान पर पंजाब में डेयरी धंधे को अपना कर युवाओं के लिए नई मिसाल पेश की है।

अमिटी यूनिवर्सिटी से बी.टैक बायोटैक में पढ़ाई करने वाले मनप्रीत सिंह ने करीब 6 वर्ष पहले जिले के गांव काठगढ़ के नजदीक जमीन लेकर डेयरी तथा पशु पालन का धंधा शुरू किया था जिसमें बायोटैक में ही एम.टैक उसकी पत्नी अनमजोत भी अपने पति के इस धंधे का हिस्सा बनी हुई है तथा वे वैज्ञानिक ढंग से डेयरी धंधे को चलाकर न केवल अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि जिले ही नहीं बल्कि पंजाब के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रहे हैं। किसी पशु के बीमार होने पर प्राथमिक परीक्षण वह अपने फार्म में निर्मित लैब में करते हैं तथा यदि अगले टैस्ट करवाने की जरूरत पड़ती है तो वह पशु पालन विभाग के अस्पताल की सेवाएं हासिल करते हैं। 

वेतन पर रोजगार करने की बजाय स्वरोजगार को दी प्राथमिकता 
मनप्रीत ने बताया कि पंजाब की धरती के साथ उसका पहले कोई रिश्ता नहीं था। उसके पिता तथा चचेरे भाई पंजाब में रहते थे परन्तु उसका जन्म दिल्ली में होने के चलते उसे पंजाब संबंधी अधिक रुचि नहीं थी। बी.टैक करने के उपरांत रोजगार के चयन की जब दुविधा बनी तो उसने किसी निजी कंपनी में वेतन पर नौकरी करने के स्थान पर स्वयं का रोजगार शुरू करने को प्राथमिकता दी। चंडीगढ़ में रहने वाले दोस्तों का पोल्टरी फार्म का धंधा होने के चलते जब परामर्श लिया तो इसमें अधिक लाभ की गुंजाइश न देखते हुए इस धंधे को अपनाने के स्थान पर डेयरी के धंधे को प्राथमिकता दी। 

काठगढ़ के गांव वना के नजदीक जमीन का प्रबंध करने के उपरान्त उसने नवांशहर में डेयरी विकास विभाग के दफ्तर से सम्पर्क किया जिसके उपरान्त 15 दिनों की ट्रेनिंग हासिल करके उसने सबसिडी स्कीम के तहत 20 दूध देने वाले पशुओं से डेयरी फार्म की शुरूआत की। परन्तु आज उसका डेयरी फार्म 100 से अधिक पशुओं वाला फार्म बन गया है। मौजूदा समय में दूध देने वाले 30 पशु हैं जिनमें से कुछ का दूध वेरका तथा अन्य निजी तौर पर बेचा जा रहा है। दूध दोहने से लेकर ठंडा करने तक आटोमैटिक प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। एक ही समय 12 पशुओं का दूध दोहने वाली मिल्किंग मशीन के अतिरिक्त 2 हजार लीटर का ब्लक मिलक कूलर भी है जो दूध को निर्धारित तापमान पर ठंडा रख कर खराब होने से बचाता है। 


 

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