अति सुरक्षित सिविल सचिवालय में बायोमैट्रिक मशीनें हैक, अर्द्ध सैनिक बल करेंगे निगरानी

Edited By Sunita sarangal,Updated: 09 Feb, 2020 08:59 AM

biometric machines hacked paramilitary forces will monitor

उच्च सुरक्षा जोन में माने जाते चंडीगढ़ स्थित पंजाब सचिवालय की अटैंडैंस मशीनों को ही हैक कर लिया गया है।

जालंधर(नरेंद्र मोहन): उच्च सुरक्षा जोन में माने जाते चंडीगढ़ स्थित पंजाब सचिवालय की अटैंडैंस मशीनों को ही हैक कर लिया गया है। पंजाब सरकार ने पंजाब के मुख्य सचिव से लेकर सचिवालय में तैनात सभी वेतनभोगियों की कार्यालय में उपस्थिति यकीनी बनाने के लिए बायोमैट्रिक मशीनों की शुरूआत प्रथम फरवरी से की थी। अनेक मशीनों को शातिर कर्मचारियों ने हैक कर दिया, परिणामस्वरूप अधिकारियों /कर्मचारियों को फिर से अटैंडैंस लगाने के लिए वही पुराने रजिस्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है और सरकार भी यह जानने में अक्षम है कि कौन अधिकारी/कर्मचारी काम पर है और कौन फरलो पर है। 

इधर कुछ मशीनों की स्क्रीन लॉक करने के साथ-साथ कुछ के स्कैनर खराब कर दिए गए और कुछ के चार्जर भी तोड़ दिए गए। पंजाब सरकार ने इसका गंभीर नोटिस लेते हुए इसकी जांच के लिए तो कहा ही है, साथ ही सचिवालय के सभी तलों पर लगी मशीनों की निगरानी के लिए अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती के निर्देश दिए हैं।

बायोमैट्रिक मशीनें लगाने का हुआ था विरोध
पंजाब सिविल सचिवालय में करीब ढाई हजार अधिकारी और कर्मचारी कार्य करते हैं, जिनमें मुख्य सचिव से लेकर दर्जा चार तक के कर्मचारी शामिल हैं। सिविल सचिवालय और मिनी सचिवालय में कुल 55 मशीनें लगाई जानी थीं, जिनमें से 20 मशीनें मिनी सचिवालय में लगनी थीं। इसके अतिरिक्त चंडीगढ़ में पंजाब सरकार के अन्य कार्यालयों वित्त भवन सैक्टर 33, स्थानीय निकाय विभाग सैक्टर 35, सैक्टर-17 स्थित उद्योग भवन और मोहाली स्थित एस.एस. बोर्ड के कार्यालय में भी बायोमैट्रिक अटैंडैंस मशीनें लगाए जाने के निर्देश हुए थे। पहले की तरह इस बार भी कर्मचारियों की तरफ से बायोमैट्रिक अटैंडैंस मशीनें लगाने को लेकर विरोध हुआ। कर्मचारियों का गिला था कि जो कर्मचारी समय से अधिक काम करते हैं या बड़े अधिकारियों के निर्देशों पर बाहर जाकर ड्यूटी करते हैं, जब तक उनके बारे में सरकार कोई नीति तय नहीं कर लेगी, मशीनें नहीं लगाने दी जाएंगी। पंजाब सरकार और कर्मचारियों के मध्य बातचीत के बाद मशीनें लगाने का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया था। 

मशीनों की गुणवत्ता को लेकर उठने लगे सवाल 
इधर बायोमैट्रिक मशीनों की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। कुछ तकनीकी माहिरों का मानना था कि मशीनें पुराने वक्त की हैं और स्वयं ही हैंग हो रही हैं और इनमें नैटवर्क प्रॉब्लम भी आ रही है, जबकि आजकल इससे कहीं बेहतर, सस्ते मूल्यों की मशीनें मार्कीट में उपलब्ध हैं जिनमें उंगली, नेत्रों के और कार्ड के द्वारा किसी भी माध्यम से उपस्थिति दर्ज करवाने की सुविधा है। यहां यह भी गौरतलब है कि चंडीगढ़ स्थित पंजाब के वित्त भवन, उद्योग भवन में, कुछ जिला उपायुक्तों के कार्यालय में, मोहाली स्थित पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के बड़े कार्यालय में पहले से भी आधुनिक किस्म की बायोमैट्रिक अटैंडैंस मशीनें लगी हुई हैं।

2 वर्ष धूल फांकती रही बायो-मैट्रिक मशीनें
पिछले करीब 5 वर्षों से सचिवालय, मिनी सचिवालय और पंजाब सरकार के चंडीगढ़ और मोहाली स्थित अन्य कार्यालयों में बायो-मैट्रिक मशीनें लगाने के लिए प्रयास चल रहे थे परंतु निर्णय लेने की लेट-लतीफी के चलते इन मशीनों को लगाने में लगातार देरी होती गई। हालांकि 2 वर्ष पूर्व बायो-मैट्रिक मशीनें मंगवा भी ली गई थीं, परंतु सभी मशीनें धूल फांकती रहीं और उन्हें लगाया नहीं जा सका। इसी जनवरी माह में पंजाब सरकार का जनरल एडमिनिस्ट्रेशन सक्रिय हुआ और मशीनों को लगाने के सख्त निर्देश जारी कर दिए।

मशीनों को ब्रांचों में ही लगाने का लिया निर्णय
इधर पंजाब सचिवालय की कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष सुखचैन सिंह खैहरा का कहना था कि मशीनों में तकनीकी मुश्किल आने से और इनकी सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए अब मशीनों को ब्रांचों में ही लगाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें संबंधित ब्रांच के सुपरिंटैंडैंट मशीनों की निगरानी रखेंगे। उन्होंने कहा कि जब अधिकारी अथवा कर्मचारी सरकार का वेतन लेते हैं तो यह उनकी ड्यूटी है कि कार्यालय में समय भी पूरा लगाएं। प्रति मशीन की कीमत करीब 15000 रुपए बताई जा रही है।

पंजाब सरकार ने गुप्त रूप से जांच करवाने के दिए आदेश
सूत्रों के अनुसार सचिवालय में बैठे ऐसे  हैकरों की पहचान करने के लिए पंजाब सरकार ने गुप्त रूप से जांच करवाने को कह दिया है। सचिवालय में इस प्रकार मशीनों को हैक करने का मामला अन्य सीक्रेट मामलों से भी जुड़ा हुआ है। जनरल प्रशासन विभाग ने एक नोटिस जारी करते हुए सचिवालय की सुरक्षा में तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा फोर्स (सी.आई.एस.एफ.) को इन मशीनों की निगरानी करने के लिए कहा है। अपने पत्र में सरकार ने लिखा है कि कुछ शरारती तत्वों ने बायोमैट्रिक मशीनों की स्क्रीन लॉक कर दी है, कुछ के चार्जर भी तोड़ दिए गए हैं और कुछ मशीनों के स्कैनर भी खराब कर दिए गए हैं।

मशीनें लगने के एक-दो दिन बाद शुरू हो गई गड़बड़ी 
इसी प्रथम फरवरी से ही बायोमैट्रिक अटैंडैंस पर सभी अधिकारी और कर्मचारी अपनी उपस्थिति लगाने लगे। बस, 1-2 दिन बाद ही मशीनों में गड़बड़ी शुरू हो गई। कुछ मशीनों के स्कैनर टूटे नजर आने लगे, जबकि कुछ के चार्जर खराब कर दिए गए। इसके साथ-साथ कुछ मशीनें हैक भी हो गईं। जब भी कोई अधिकारी अथवा कर्मचारी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए स्कैनर पर अपनी उंगली अथवा अंगूठा रखता तो मशीन उनसे कोड मांग लेती, जो कि उपलब्ध नहीं था। हालांकि बायोमैट्रिक मशीनों के माध्यम से उपस्थिति लगाने का कार्य ट्रायल पर था और इस ट्रायल को 2 माह चलना था परंतु मशीनों को हैक करने के मामले ने पंजाब सरकार को सकते में ला दिया है।

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