संगरूर में 100 करोड़ की लागत से स्थापित होगा बायो-गैस प्लांट

Edited By Vatika,Updated: 12 Jul, 2018 12:26 PM

bio gas plant

तीन वर्ष से ठंडे बस्ते में पड़े बायो-गैस पर आधारित सी.एन.जी. प्लांट स्थापित करने के प्रोजैक्ट को मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दे दी। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि चाहे पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने वर्ष 2015 में जर्मन की वरबीयो कंपनी के साथ इस संबंधी समझौता...

चंडीगढ़ (अश्वनी) : तीन वर्ष से ठंडे बस्ते में पड़े बायो-गैस पर आधारित सी.एन.जी. प्लांट स्थापित करने के प्रोजैक्ट को मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दे दी। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि चाहे पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने वर्ष 2015 में जर्मन की वरबीयो कंपनी के साथ इस संबंधी समझौता किया था परंतु अपेक्षित स्वीकृतियां नहीं दी थी। यह मामला गत शाम मुख्यमंत्री के ध्यान में लाया गया, जिस पर उन्होंने इसका तत्काल नोटिस लेते हुए इसको अमलीजामा पहनाने का फैसला लिया। बुधवार को यहां कंपनी के अधिकारियों से मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री ने वरबीयो के डायरैक्टर ओलिवर लियूटडके को स्वीकृति पत्र सौंपा।

900 करोड़ से 9 ऐसे प्लांट स्थापित करने को भी हरी झंडी
मुख्यमंत्री ने 100 करोड़ की लागत से संगरूर जिले के लहरागागा ब्लाक में गांव भुट्टल कलां में प्लांट लगाने की स्वीकृति दी। इसके साथ ही उन्होंने अन्य 900 करोड़ रुपए की लागत से रा’य के विभिन्न हिस्सों में ऐसे 9 प्लांट स्थापित किए जाने को सैद्धांतिक स्वीकृति दी, जिससे सीधे तौर पर 5000 लोगों के लिए रोजगार के मौके पैदा होंगे। मुख्यमंत्री ने निवेश पंजाब ब्यूरो को इन 9 प्रोजैक्टों के लिए भी तत्काल स्वीकृतियां जारी करने की हिदायत दी। यह प्रोजैक्ट भी भुट्टल कलां में स्थापित किए जाने वाले प्रोजैक्ट के आधार पर होंगे। प्रवक्ता ने बताया कि भुट्टल कलां में स्थापित किया जाने वाला प्लांट वार्षिक 33,000 किलो बायो-सी.एन.जी. और 45,000 टन जैविक खाद का उत्पादन करेगा।

इतनी सामथ्र्य वाले बाकी 9 प्रोजैक्ट स्थापित होने से बायो-सी.एन.जी. और जैविक खाद का उत्पादन कई गुना बढ़ जाएगा जिससे हवा प्रदूषण की समस्या से निपटने में सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जाहिर की कि प्रोजैक्ट किसानों को कृषि के अवशेष खासकर पराली का लाभदायक भाव मुहैया करवाने में बहुत सहायक होगा। प्रतिनिधिमंडल की अपील पर मुख्यमंत्री ने अपने मुख्य प्रमुख सचिव को जैविक खाद के लिए स्वीकृति देने के लिए मामला पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी के साथ उठाने की हिदायत की। उन्होंने अपने मुख्य प्रमुख सचिव को पटियाला में बायो-सी.एन.जी. स्टेशन स्थापित करने के लिए कंपनी को स्वीकृति देने के लिए मामला भारत सरकार के समक्ष उठाने के लिए भी कहा। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कंपनी को गन्ने का रस निकालने के बाद बचते फोक के बड़े स्टॉक के प्रयोग की भी संभावनाएं तलाशने के लिए कहा, क्योंकि इस क्षेत्र में कंपनी के पास विशाल अनुभव और परखी हुई तकनीक है।

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