Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 10:13 PM
साढ़े तीन दशकों से संत जरनैल सिंह भिंडरां वालों के पैरोकारों, परिवार तथा शुभचिंतकों से दूरी बनाकर चल रहे शिअद में अब सबके प्रति एकदम हेज तथा अपणत का दरिया बह उठा है। यहां रखी गई जत्थेदार तीर्थ सिंह माहला की अगुवाई निचली वर्कर तथा आम बैठक में गांव...
बाघापुराना(चुटानी): साढ़े तीन दशकों से संत जरनैल सिंह भिंडरां वालों के पैरोकारों, परिवार तथा शुभचिंतकों से दूरी बनाकर चल रहे शिअद में अब सबके प्रति एकदम हेज तथा अपणत का दरिया बह उठा है। यहां रखी गई जत्थेदार तीर्थ सिंह माहला की अगुवाई निचली वर्कर तथा आम बैठक में गांव रोडे के गुरुद्वारा साहिब के लोकार्पण मौके होने वाले प्रोग्राम के लिए माहला की ओर से पहुंचने की अपील की गई।
संगत के लिए अर्पण किया जा रहा गुरुद्वारा साहिब संत जरनैल सिंह भिंडरांवालों के जन्म स्थान पत्ती रूपा में बनाया गया है, जिसका आरंभ 22 को बड़े धार्मिक समागम दौरान होगा। वर्णनयोग्य है कि राज्य की सत्ता पर काबिज होने के लिए नर्म ख्यालियों की वोटों की प्राप्ति के लिए बादल दल ने अब तक गर्म ख्याली दलों से दूरी बनाकर रखी हुई थी। संत जरनैल सिंह के आदरणीय पिता जोगिन्द्र सिंह खालसा की गांव रोडे में प्रत्येक वर्ष लगातार मनाई जाने वाली बरसी या संत जरनैल सिंह खालसा संबंधी रखे गए किसी भी समागम के लिए अकाली दल की ओर से कभी भी अपने वर्करों को अपील नहीं की गई थी, बल्कि संत भिंडरांवालों के बैनर में अलग-अलग स्थान होने वाली कांफैं्रस के समांतर अकाली दल की ओर से रैलियां करके गर्म ख्यालियों के प्रोग्राम को फीका डालने की कोशिश की जाती रही है।
यहां अकाली दल के जिलाध्यक्ष की ओर से खुलकर की गई अपील से राजनीतिक विश्लेषकों, सिखी के चिंतकों, सिख बुद्धिजीवियों में छिड़ी चर्चा में यह बात सामने आ रही है कि अकाली दल अब अपनी कमजोर होती जा रही राजनीति शक्ति से बेहद चिंतित है, जो अब सहारों की तलाश में भागदौड़ कर रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि संत भिंडरां वालों के परिवार पक्षीय यह झुकाव बादल दल का एक राजनीतिक पैंतड़ा है। कई विश्लेषकों तो यह अंदाजा भी लगा रहे हैं कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की बागडोर भी शायद अब ङ्क्षभडरांवाला परिवार के हाथ में देने का मन बादल दल बनाई बैठा हो।