Edited By Vatika,Updated: 11 Feb, 2019 12:26 PM
नगर की यूनाइटेड मैजिस्ट्रेट फस्र्ट क्लास (जे.एम.आई.सी.) अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पूर्व डिप्टी सी.एम. सुखबीर सिंह बादल को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ बहबल कलां गोलीकांड को लेकर दायर की गई शिकायत को खारिज कर दिया है। उपरोक्त...
लुधियाना(मेहरा): नगर की यूनाइटेड मैजिस्ट्रेट फस्र्ट क्लास (जे.एम.आई.सी.) अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पूर्व डिप्टी सी.एम. सुखबीर सिंह बादल को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ बहबल कलां गोलीकांड को लेकर दायर की गई शिकायत को खारिज कर दिया है। उपरोक्त दोनों के खिलाफ जगदीप सिंह गिल निवासी गुरदेव नगर लुधियाना की तरफ से फौजदारी धारा-304, 307, 295 व 34 आई.पी.सी. के तहत अदालत में तलब करने के लिए शिकायत दायर की गई थी।
इसमें बाकायदा शिकायतकर्ता ने अपनी गवाही व अन्य 2 गवाहों जगदीश चंद एवं फिरोज की गवाही कलमबद्ध करवाते हुए सीनियर व जूनियर बादल को बहबल कलां गोलीकांड में अदालत में तलब करने का आग्रह किया था। अदालत ने मामले की सुनवाई व बहस सुनने के बाद पाया कि शिकायतकर्ता घटना वाले दिन मौके पर मौजूद नहीं था और न ही उसने ऐसा कोई गवाह या तथ्य पेश किया है जिससे दोनों बादलों की संलिप्तता के बारे में पता चलता हो। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि वह सामाजिक जागृति फ्रंट का चेयरमैन है और वर्ष 2006 से लेकर 2016 तक प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री रहे, जबकि सुखबीर सिंह बादल उप-मुख्यमंत्री थे, जिनके पास बाकायदा गृह विभाग भी था। दोनों की कानूनी जिम्मेदारी थी कि वेे पंजाब में कानून व्यवस्था को बनाए रखें और इस संबंधी जो भी दिशा-निर्देश दिए जाते थे वे दोनों की ओर से दिए जाते थे।
उनके अनुसार 10 अक्तूबर, 2015 को बरगाड़ी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के रोष स्वरूप जब सिख संगत शांतिपूर्वक ढंग से रोष जाहिर कर रही थी और सतनाम वाहेगुरु का जाप कर रही थी तो बड़े स्तर पर पुलिस फोर्स वहां आ पहुंची तथा उसने सिख संगत को रास्ता खाली करने का निर्देश दिया, लेकिन जब संगत ने उसकी बात नहीं मानी तो पुलिस ने वहां मौजूद सिख संगत पर लाठीचार्ज व फायरिंग कर दी। इससे मौके पर 2 सिख नौजवान मारे गए और कुछेक चोटिल भी हुए। उनके अनुसार घटनास्थल पर कुछ और भी लोग मारे गए थे लेकिन यह रिकार्ड में नहीं आया। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों बादलों के निर्देशों पर ही 14 अक्तूबर को सिख संगत पर गोलीबारी करने के निर्देश दिए गए थे। उन्होंने अदालत से दोनों बादलों को उपरोक्त फौजदारी धाराओं के तहत तलब करके केस चलाने की मांग की थी, लेकिन सुश्री सुमित सभ्रवाल की अदालत में शिकायतकत्र्ता दोनों बादलों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा और अदालत ने उसकी शिकायत को खारिज कर दिया।