Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Aug, 2017 01:19 AM
महानगर में भीख मांगने वालों की दिन-प्रतिदिन बढ़़ती संख्या नगर वासियों के लिए बहुत....
अमृतसर(कक्कड़): महानगर में भीख मांगने वालों की दिन-प्रतिदिन बढ़़ती संख्या नगर वासियों के लिए बहुत बड़ी सिरदर्दी बन चुकी है। भिखारी अपने विभिन्न अंदाज से लोगों को भीख देने के लिए मजबूर करते हैं।
जानकारी के अनुसार नगर के हर कोने में भिखारी भारी संख्या में देखे जा सकते हैं, जिनमें 5 से 70-80 वर्ष के वृद्ध शामिल हैं। जानकारी के अनुसार एक नौकरी पेशा व्यक्ति की आमदन से ज्यादा भिखारी की आमदन है। इसमें वेे भिखारी आते हैं जो कि भीख मांगने का आर्ट जानते हैं। पता चला है कि नगर के चौराहों, धार्मिक स्थानों, बाजारों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, अस्पताल, पर्यटन स्थलों आदि में सुबह से रात्रि तक भीख मांगने वालों को देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि हजारों पर्यटक व श्रद्धालु गुरुनगरी में नतमस्तक होने के लिए आते हैं जिनका सबसे पहले सामना भिखारियों से होता है जो कि इनके कपड़े खींच-खींच कर उनसे भीख मांगते हैं तथा भीख मिलने तक वे उनका पीछा नहीं छोड़ते।
छोटे-छोटे बच्चों को चुनरी के झूले में सुलाकर हाथ में दूध की खाली बोतल लेकर, कोई अपने नकली घाव की दवाई हेतु, कोई भूख के नाम पर, कोई चप्पल-जूते के नाम पर भीख मांगता नजर आता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पता चला है कि ये भिखारी अपने-अपने बंटे क्षेत्रों में ही भीख मांगते हैं तथा इनके अलग-अलग ग्रुप नगर के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं। यह भी जानकारी मिली है कि नगर में हजारों की संख्या में हर आयु वर्ग से संबंधित भीख मांगने वाले सक्रिय हैं जिनमें से कई जेब काटने, छीना-झपटी की घटनाओं को भी अंजाम देते हैं।
इस नगर में भीख मांगना एक अच्छा-खासा व्यापार बन चुका है क्योंकि मौजूद समय में एक, दो, पांच रुपए आदि बहुत ही कम लोगों के पास मिलते हैं तथा कम से कम 10 रुपए या इससे ज्यादा राशि के नोट ही होते हैं जो कि भिखारियों की आमदन में वृद्धि का कारण बने हैं। सही मायने में इस समय भिखारी वर्ग के लिए भीख मांगने का व्यापार दिन भर की मेहनत, दिहाड़ी आदि से कहीं बेहतर है। भीख प्राप्त करने के आर्ट में ही उनको मेहनत से कमाई करने की अपेक्षा कई गुणा ज्यादा कमाई हो जाती है तथा अधिकांश भिखारियों के बैंक अकाऊंट भी हैं।