Edited By Updated: 05 Apr, 2017 03:16 PM
रियासती शहर संगरूर में भिखारियों के रूप में पेट की आग बुझाने के लिए छोटे-छोटे बच्चे घुम रहे है जो सारा दिन पैसे व खाना मांगकर समाज का असली सच सामने ला रहे है। परंतु स्थानीय प्रशासन व समाज सेवी संस्थाएं इनका सहारा नहीं बन रही हैं।
संगरूर (विवेक सिंधवानी,यादविन्द्र):रियासती शहर संगरूर में भिखारियों के रूप में पेट की आग बुझाने के लिए छोटे-छोटे बच्चे घुम रहे है जो सारा दिन पैसे व खाना मांगकर समाज का असली सच सामने ला रहे है। परंतु स्थानीय प्रशासन व समाज सेवी संस्थाएं इनका सहारा नहीं बन रही हैं। जिससे इनका बचपन नर्क भरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर है। आज पंजाब केसरी ने शहर का दौरा किया तो देखा कि शहर के बस स्टैंड ,बाजार, रेलवे स्टेशन के पास व कई धार्मिक स्थानों के समीप छोटे-छोटे बच्चे भिखारी बनकर लोगों के पास से कुछ मिलने की आशा में भीख मांग रहे थे। सोने की चिडिय़ा कहलाने वाले पंजाब में भिखारी बच्चों की बढ़ती जा रही संख्या को यदि जल्दी ही रोका नहीं गया तो एक दिन यह समस्या विकराल रूप धारण कर लेंगी। स्कूल पढऩे वाली आयु मे इन बच्चों को भीख मांगने का काम करना पढ रहा है। समाज व सरकार को इनके लिए जरूर कुछ करना चाहिए ताकि यह बच्चे भी खुशहाल जीवन जी सकें।
1 रूपए देते है सौ- सौ बातें सुनाते है
जब पंजाब केसरी ने इन बच्चों से बात की तो 9 वर्षीय सकीना ने कहा कि मंगती वह शोक से नहीं बनी है। उसने कहा कि दो समय की रोटी के लिए उसे सैंकड़ों लोगों के आगे हाथ फैलाना पड़ता है।वहीं दूसरी तरफ बशीरे मंगते ने कहा कि कई लोग उनको 1 रूपए का सिक्का भीख में देते है परंतु सौ सौ बातें सुनाकर उनके मंगते होने का मजाक उड़ा जाते है।
सरकार व समाज सेवी संस्थाएं आगे आएं
शहर के कई व्यक्तियों ने इस सबंधी कहा कि सरकार व समाज सेवी संस्थाओं को आगे आकर इन बाल मंगतों की सार लेनी चाहिए व इनकी मदद करनी चाहिए।