भगवंत मान स्पष्ट करें कि वह पंजाब के साथ हैं या दिल्ली के : खैहरा

Edited By Vatika,Updated: 03 Sep, 2018 09:26 AM

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आम आदमी पार्टी के नेता तथा विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता सुखपाल सिंह खैहरा गुट ने आज मोगा शहर की अनाज मंडी में जिला स्तरीय कन्वैंशन करके दोबारा दोहराया है कि वह आम आदमी पार्टी का साथ नहीं छोड़ेंगे, बल्कि पार्टी में रहकर ही पंजाबियों की जरूरतों...

मोगा(गोपी): आम आदमी पार्टी के नेता तथा विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता सुखपाल सिंह खैहरा गुट ने आज मोगा शहर की अनाज मंडी में जिला स्तरीय कन्वैंशन करके दोबारा दोहराया है कि वह आम आदमी पार्टी का साथ नहीं छोड़ेंगे, बल्कि पार्टी में रहकर ही पंजाबियों की जरूरतों को पूरा करवाने के लिए आम आदमी पार्टी की पंजाब लीडरशिप की खुदमुख्तियारी के लिए शुरू किए संघर्ष को जारी रखेंगे।

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बठिंडा में की कन्वैंशन उपरांत जिला स्तरीय कन्वैंशनें शुरू करने की चलाई मुहिम के तहत आज यहां नौजवान नेता जगदीप सिंह जैमलवाला के नेतृत्व में हुई विशाल एकत्रिता को संबोधित करते विधायक तथा पूर्व विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने कहा कि पंजाब में जब अकाली दल अस्तित्व में आया था, तब पार्टी अध्यक्ष रहे मा. तारा सिंह, संत फतेह सिंह तथा हरचंद सिंह लौंगोवाल तक सारे पार्टी अध्यक्ष पंजाब व पंजाबियत के हितैषी के अलावा सिखी को भी प्यार करने वाले नेता थे, लेकिन पिछले 32 वर्षों दौरान पंजाब में अकाली दल तथा कांग्रेस के नेता रहे लीडरों की घटिया सोच के कारण पंजाब पर जहां 2.5 लाख करोड़ रुपए का कर्जा चढ़ गया है, वहीं पंजाब स्वास्थ्य, शिक्षा सहित हर क्षेत्र में पिछड़ गया है। सुखपाल सिंह खैहरा ने भगवंत मान से पूछा कि स्पष्ट करें कि वह पंजाब के साथ हैं या दिल्ली के साथ हैं।

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उन्होंने कहा कि पंजाब तथा विशेषकर आप्रवासी भारतीयों ने पंजाब को दोबारा से पैरों पर खड़ा करने के लिए 2014 के लोकसभा चुनाव दौरान देश में नए तीसरे पक्ष के उभार के लिए पंजाब से आम आदमी पार्टी के 4 लोकसभा मैंबरों को वोटें डालकर उस समय जिता दिया, जब पार्टी का संगठन ढांचा भी नहीं बना था। उन्होंने कहा कि पंजाबियों को उस पार्टी पर एक सुनहरे पंजाब की उम्मीद थी, लेकिन 2017 के चुनाव से पहले भगवंत मान तथा दिल्ली के नेताओं के अहंकार के कारण ही 100 सीट जिताने वाली पार्टी को महज 20 सीटों पर सिमटना पड़ा। उन्होंने कहा कि दिल्ली से चलते रिमोर्ट कंट्रोल के कारण ही विधानसभा चुनाव उपरांत पार्टी का ग्राफ इतना नीचे गिरता रहा कि शाहकोट उप चुनाव में पार्टी को महज 1900 वोट पड़े। 

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