Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Apr, 2018 01:29 PM
किसानों के धरने-प्रदर्शनों को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ...
चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): किसानों के धरने-प्रदर्शनों को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा है कि केस की अगली सुनवाई 8 अप्रैल तक बैंक छोटे किसानों से 2 लाख रुपए तक के ऋण वसूली को लेकर बलपूर्वक कदम न उठाएं। हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया है कि ऋण लेकर महंगे विवाह करने और महंगी गाड़ि लेने वालों के लिए कोई उदारता नहीं दिखाई जा सकती। हाईकोर्ट ने कहा कि किसानों से जुड़े मामलों में पीड़ितों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।
आत्महत्या कायराना कदम
बैंच ने ऋण तले दबे किसानों द्वारा आत्महत्याएं किए जाने पर भी ङ्क्षचता जताई। हाईकोर्ट ने साथ ही कहा कि आत्महत्या कायराना कदम है। मामले में एडीशनल चीफ सैक्रेटरी (विकास) विश्वजीत खन्ना ने निजी रूप से पेश होकर कोर्ट को बताया कि फार्मर लोन वेवर स्कीम के तहत वर्ष 2017-18 के वित्त वर्ष ऋण माफी के लिए 308 करोड़ रुपए दिए गए थे। वहीं 2018-19 के लिए 4250 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रखा गया है। हाईकोर्ट ने सरकार का जवाब रिकार्ड पर ले लिया है और साथ ही मामले में एमिकस क्यूरी आर.एस. बैंस व एक अन्य किसान यूनियन के सुझावों पर सरकार को गौर करने को कहा है। सुझावों में कहा गया था कि ऋण के बोझ तले दबे किसानों की जमीन अटैच न की जाए। वहीं हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर सरकारें किसानों के लिए ठोस नीतियां बनाएं तो धरने-प्रदर्शनों की जरूरत ही न पड़े।