Edited By Vatika,Updated: 04 Dec, 2018 10:13 AM
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल का बदल बनने के इरादों के साथ नई पार्टी के गठन का ऐलान करने वाले बागी टकसाली नेताओं की नजरें लुधियाना से विधायक और पूर्व अकाली रहे बैंस ब्रदर्स पर टिक गई हैं। इस नई पार्टी को एक जुझारू चेहरे की जरूरत है जबकि बैंस भाई समान...
जालंधर/लुधियाना (रमनदीप सोढी): पंजाब में शिरोमणि अकाली दल का बदल बनने के इरादों के साथ नई पार्टी के गठन का ऐलान करने वाले बागी टकसाली नेताओं की नजरें लुधियाना से विधायक और पूर्व अकाली रहे बैंस ब्रदर्स पर टिक गई हैं। इस नई पार्टी को एक जुझारू चेहरे की जरूरत है जबकि बैंस भाई समान विचारधारा वाला कोई मंच ढूंढ रहे हैं।
‘पंजाब केसरी’ को सूत्रों के हवाले से पता चला है कि टकसाली नेताओं की बैंस भाइयों के साथ मंगलवार को मीटिंग होने जा रही है। इस दौरान ही बैंस भाइयों को नई पार्टी के साथ जोडऩे की शर्तों और नियमों पर विचार होने की उम्मीद है। नई पार्टी के नाम का ऐलान 14 दिसम्बर को किया जाना है, इससे पहले बागी टकसाली नेता ज्यादा से ज्यादा नेताओं को अपने साथ जोडऩे की राजनीति कर रहे हैं। इससे पहले माना जा रहा था कि बैंस भाई सुखपाल खैहरा की तरफ से बनाए जा रहे तीसरे गठजोड़ के खेमे में जा सकते हैं परन्तु ‘पंजाब केसरी’ के प्रोग्राम ‘जनता की पंचायत’ के लिए बैंस भाइयों और सुखपाल खैहरा के एक मंच पर आने की तैयारी के बावजूद ऐन मौके पर बैंस भाइयों की तरफ से प्रोग्राम में न आने के बाद खैहरा और बैंस भाइयों के बीच राजनीतिक तालमेल की कमी झलक गई। ‘पंजाब केसरी’ की टीम मालवा में इस प्रोग्राम की रिकॉडिंग करने पहुुंची तो मेहमान के तौर पर अकेले सुखपाल सिंह खैहरा ही पहुंचे।
खास बात यह रही कि प्रोग्राम में पहुंचते ही खुद खैहरा यह सवाल पूछने लगे कि सिमरजीत सिंह बैंस कहां हैं? इस दौरान उन्होंने जनता के सामने सिमरजीत सिंह बैंस को फोन किया और प्रोग्राम में न आने का कारण पूछा। बैंस का जवाब था कि वह बरनाला में किसी समागम में मसरूफ हैं और उन्होंने उनके साथ प्रोग्राम में आने के लिए हामी नहीं भरी थी परन्तु सुखपाल खैहरा ने फोन काटने के बाद ‘पंजाब केसरी’ टीम और जनता से जहां बैंस की गैर-हाजिरी के लिए माफी मांगी, वहीं स्पष्ट किया कि बैंस की तरफ से मुझे, मेरे पी.ए. और अपने वर्करों को प्रोग्राम में शामिल होने बारे वायदा किया गया था। बावजूद इसके वह किसी काम में व्यस्त होने के कारण नहीं पहुंच रहे। यहां तक कि खैहरा ने बैंस को प्रोग्राम देरी के साथ शुरू करने की भी पेशकश की थी परन्तु फिर भी उन्होंने मना कर दिया। उधर, खैहरा भी टकसाली नेताओं के हर राजनीतिक दाव-पेंच पर नजर रख रहे हैं और 14 दिसम्बर के बाद ही अपने राजनीतिक पत्ते खोल सकते हैं। हालांकि खैहरा ने इससे पहले ही पंजाब के साथ जुड़े मुद्दों को लेकर इंसाफ मार्च का ऐलान किया हुआ है परन्तु यदि बागी टकसाली नेता और बैंस भाई एक अलग राजनीतिक पक्ष खड़ा करते हैं तो सुखपाल खैहरा के लिए तीसरे बदल का चेहरा बनना बड़ी चुनौती होगी।