पराली जलाने वाले 2923 किसानों के विरुद्ध की कार्रवाई: कैप्टन

Edited By Vatika,Updated: 04 Nov, 2019 11:32 AM

as punjab fines farmers for stubble burning

पंजाब सरकार द्वारा शुरू की गई मुहिम के अंतर्गत पंजाब में 1 नवम्बर तक पराली जलाने के सामने आए 20,729 मामलों में अब तक 2923 किसानों के विरुद्ध कार्रवाई की जा चुकी है।

चंडीगढ़(अश्वनी): पंजाब सरकार द्वारा शुरू की गई मुहिम के अंतर्गत पंजाब में 1 नवम्बर तक पराली जलाने के सामने आए 20,729 मामलों में अब तक 2923 किसानों के विरुद्ध कार्रवाई की जा चुकी है। वर्ष 2018 के मुकाबले इस वर्ष ऐसे मामलों में 10 से 20 प्रतिशत तक की कमी आने की आशा है। पिछले वर्ष पराली जलाने के 49,000 मामले सामने आए थे, जबकि इस वर्ष अब तक प्राप्त रिपोर्टों मुताबिक 20,729 मामले सामने आए हैं और 70 प्रतिशत धान की फसल काटी जा चुकी है।
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आज यहां जारी एक बयान में मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट की तरफ से किसानों को बीते वर्ष किए जुर्मानों की वसूली करने पर लगाई रोक के बावजूद राज्य सरकार ने पराली को आग लगाने के खतरनाक रुझान के विरुद्ध जोरदार मुहिम चलाई हुई है।इस मुहिम अंतर्गत गठित की टीमों ने 1 नवम्बर तक पराली को आग लगाने के 11286 घटनास्थलों का दौरा किया है और 1585 मामलों में वातावरण को प्रदूषित करने के मुआवजे के तौर पर 41.62 लाख रुपए का जुर्माना किसानों पर लगाया है, 1136 मामलों में खसरा गिरदावरी में रैड एंट्री की और कानून का उल्लंघन करने वाले 202 मामलों में एफ.आई.आर. /कानूनी कार्रवाई अमल में लाई गई।मुख्यमंत्री ने कहा कि आग लगाने की बाकी घटनाओं की तस्दीक करने और वातावरण प्रदूषित करने का मुआवजा वसूलने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बिना सुपर एस.एम.एस. के चलने वाली 31 कम्बाइनों को वातावरण प्रदूषित करने के मुआवजे के तौर पर 62 लाख रुपए जुर्माना किया है। हालांकि इस समस्या से निपटने के लिए यह कदम काफी नहीं हैं, क्योंकि पंजाब में बहुत से किसान पांच एकड़ से कम जमीन के मालिक हैं जिस कारणपराली का प्रबंधन करना उनको आर्थिक तौर पर वाजिब नहीं बैठता। बीते वर्ष किसानों पर लगाए जुर्माने को वसूलने की प्रक्रिया को रोकने के समय हाईकोर्ट ने कहा था कि सीमांत किसानों के बढ़ रहे कर्जे और किसान आत्महत्याओं के गंभीर मसले के मद्देनजर किसानों की वित्तीय मुश्किलों को और न बढ़ाया जाए। अदालत ने यह भी आदेश दिया था कि कानून के अनुसार वातावरण को नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए कार्रवाई को जारी रखा जा सकता है।

पत्र पर प्रधानमंत्री की सकारात्मक प्रतिक्रिया के प्रति आशावान
कै. अमरेंद्र ने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि उनकी तरफ से दिल्ली में वायु प्रदूषण से पैदा हुई अति गंभीर स्थिति बारे लिखे पत्र को प्रधानमंत्री विचारेंगे और सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने कहा कि रा’य सरकार इस समस्या से भलीभांति परिचित है और पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए वचनबद्धता के साथ काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन हालत में केंद्र सरकार की तरफ से मुआवजा देना ही एकमात्र हल है। उन्होंने कहा कि इस मसले को राजनीति के साथ नहीं जोड़ा जा सकता, बल्कि यह हमारे लोगों के भविष्य का सवाल है जिससे राजनीति बहुत परे है। कै. अमरेंद्र सिंह ने कहा कि गेंद अब केंद्र सरकार के पाले में है, क्योंकि बहुत से राज्यों की  आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और उनके अपने रा’य पर कर्जे का बोझ बहुत भारी है। उन्होंने कहा कि वित्तीय स्थिति को जी.एस.टी. के साथ जोड़ दिया गया जिससे आर्थिक समस्याओं ने और सिर उठा लिया।

सारा दोष पंजाब पर मढ़ देना गलत  
पाकिस्तान की तरफ से आती हवाओं समेत पश्चिमी चक्रवात से दिल्ली में धूम कोहरा (स्मोग) के लिए पंजाब के योगदान को कबूलते हुए कै. अमरेंद्र ने कहा कि सारा दोष सिर्फ उनके रा’य पर मढ़ देना पूरी तरह गलत है। आंकड़े बताते हैं कि प्रदूषण के कारणों पर मापदंड दिल्ली में अधिक हैं। इस समस्या को सुलझाने की बजाय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजनीतिक खेल, खेल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि धान अधीन क्षेत्रफल बढऩे के कारणहाल ही के वर्षों में यह स्थिति और भयानक हुई है और बीते दो वर्षों में पंजाब में धान की रिकार्ड पैदावार हुई है, हालांकि रा’य के लोग परंपरागत तौर पर चावल नहीं खाते। पंजाब में भी कुछ शहर धूम कोहरे की लपेट में हैं। किसानों को धान से वैकल्पिक फसलों की तरफ मोडऩे की जरूरत पर मुख्यमंत्री ने फसलीय विविधता को उत्साहित करने के लिए बाकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग को दोहराया। कै. अमरेंद्र ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मसले को अपने हाथ में लेकर संकट में से निकलने के लिए आम सहमति बनानी होगी।

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