Edited By Updated: 03 Aug, 2015 04:45 PM
1991 में पैदा हुईं जुड़वां बहनें ताशी और नुंग्शी मलिक इतने रिकॉर्ड बना चुकी हैं जिनकी बराबरी करने में किसी के भी हौसले पस्त हो जाएं।
चंडीगढः1991 में पैदा हुईं जुड़वां बहनें ताशी और नुंग्शी मलिक इतने रिकॉर्ड बना चुकी हैं जिनकी बराबरी करने में किसी के भी हौसले पस्त हो जाएं। नेहरू इंस्टीच्यूट ऑफ माऊंटेनियरिंग में उनकी ट्रेनिंग के दौरान यह किसी ने सोचा नहीं होगा कि एक दिन वे सारे रिकॉर्ड अपने कदमों में कर लेंगी।
19 मई, 2013 की तारीख थी जब उन्होंने माऊंट एवरैस्ट पर विजय पाई। इसके साथ ही वे यह कारनामा करने वाली दुनिया की पहली जुड़वां बहनें बन गईं। पिछले 3 जुलाई को उन्होंने अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो को फतह किया। वे ‘एक्सप्लोर्स ग्रैंड स्लैम’ सबसे तेज पूरा करने वाली दक्षिण एशियाई बन चुकी हैं। उन्होंने सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर विजय पाई। साथ ही उत्तर और दक्षिणी ध्रुवों तक पहुंचीं। उनके पहले एकमात्र दक्षिण एशियाई ने यह कारनामा दिखाया था।
देहरादून की रहने वाली ताशी और नुंग्शी की पढ़ाई अलग-अलग प्रदेशों के 9 स्कूलों में हुई है जिनमें एक प्रतिष्ठित लॉरेंस स्कूल भी है। इंटरमीडिएट की पढ़ाई उन्होंने गुरु नानक फिफ्थ सेन्टनेरी स्कूल मंसूरी से पूरी की। साथ ही सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से बैचलर इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की डिग्री ली है।
माऊंटेनियरिंग को जुनून की तरह अपना चुकीं ताशी और नुंग्शी को अफसोस है कि अब भी इसकी गिनती स्पोर्ट्स में नहीं है। इतनी कामयाबी के बाद भी सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली। ताशी और नुंग्शी बताती हैं, ‘एक वक्त ऐसा भी आया था, जब अपने अभियान पर टिके रहना बेहद मुश्किल था, पर हम डटे रहे। अभियान को रोकने की एक नहीं कई वजहें थीं, लेकिन इसे जारी रखने का एकमात्र कारण था - हमारा जुनून।’