अमृतसर ट्रेन हादसाः कांग्रेसी पार्षद की लापरवाही अाई सामने

Edited By Pardeep,Updated: 20 Oct, 2018 03:47 AM

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अमृतसर के धोबी घाट में करवाया जा रहा दशहरा कार्यक्रम किसी भी सरकारी विभाग की अनुमति के बिना करवाया जा रहा था। इस जगह पर हर वर्ष हजारों की संख्या में लोग रावण दहन देखने के लिए आते हैं और हर बार प्रबंधक पुलिस फोर्स के साथ अपने वॉलंटियर लगाकर लोगों की...

अमृतसर (रमन/बॉबी/अरुण/ममता/दलजीत/जशन/टोडरमल/अवधेश):  पंजाब के अमृतसर में रावण दहन के दौरान प्रशासनिक लापरवाही आम जनता पर इतनी भारी पड़ी कि 60 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। हादसे के बाद लोगों में प्रशासन को लेकर काफी नाराजगी है। हर बार प्रबंधक पुलिस फोर्स के साथ अपने वॉलंटियर लगाकर लोगों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहते थे, लेकिन इस बार वॉलंटियर नहीं थे और चंद पुलिस कर्मचारियों के जिम्मे ही हजारों लोगों की सुरक्षा की व्यवस्था थी। जानकारी के अनुसार, उक्त दशहरा कार्यक्रम कांग्रेसी नेता सौरव मदान मिट्ठू की अध्यक्षता में हो रहा था।
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प्रशासन की बड़ी लापरवाही
सभी लोग अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास स्थित मैदान में दशहरा का उत्सव देख रहे थे। उत्सव देखते-देखते ये सभी लोग रेलवे ट्रैक पर आ गए। तभी अमृतसर-दिल्ली रेलवे ट्रैक पर सौ से अधिक स्पीड में दो ट्रेनें आ गईं। हादसा अमृतसर के रेलवे फाटक नंबर 27c के पास हुआ। डीएमयू 74943 और हावड़ा एक्सप्रेस एक साथ विपरीत दिशा में गई। शासन की पहली लापरवाही ये थी कि आयोजन के लिए कोई इजाजत नहीं दी गई थी। वहीं, दूसरी सबसे बड़ी चूक थी मैदान में लगी एलईडी लाइटें को रेलवे ट्रैक की ओर लगा दिया जाना। इस वजह से लोग रेल ट्रैक नहीं देख पाए। वहीं, तीसरी सबसे बड़ी चूक पटाखों की आवाज को माना जा रहा है।

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पटाखों का शोर इतना था कि लोगों को ट्रेन की आवाज नहीं सुनाई दी और ये बड़ा हादसा हो गया। हादसे के बाद रेलवे प्रशासन के तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। वहीं, राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। दशहरा का आयोजन करने वाली कमेटी की सबसे बड़ी लापरवाही है। कार्यक्रम में नवजोत कौर सिद्धू मुख्य अतिथि थीं।

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याद आया जलियांवाला बाग घटना का मंजर 
दशहरा मनाए जाने के मौके पर इस दर्दनाक रेल हादसे के मंजर को देख कर मौके पर मौजूद बुजुर्गों को 100 वर्ष पहले जलियांवाला बाग की याद ताजा हो गई। रेल हादसे की लपेट में आए बच्चों, नौजवानों और महिलाओं की मौत का जिम्मेदार जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और रेल प्रशासन को ठहराया गया।

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अनुमति मांगी भी जाती तो नहीं मिलनी थीः भाटिया
नगर निगम एस्टेट अधिकारी सुशांत भाटिया ने बताया कि विभाग से किसी प्रकार की कार्यक्रम को लेकर अनुमति नहीं ली गई है। अगर कार्यक्रम को लेकर प्रबंधकों द्वारा अनुमति मांगी भी जाती तो नहीं मिलनी थी, बाकी घटना बहुत दुखदायी है। इस संबंध में रेलवे के स्टेशन डायरेक्टर अमृत सिंह ने बताया कि उक्त स्थान पर रेलवे लाइनों के पास दशहरा मनाने की कोई भी अनुमति रेलवे ने प्रदान नहीं की है और न ही परमिशन लेने के लिए किसी ने रेलवे को लिखित रूप से सूचित किया था।

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