अमृतसर हादसा:जानिए कैसे बुलंदियों पर पहुंचा दशहरा समारोह का मुख्य आयोजक

Edited By swetha,Updated: 24 Oct, 2018 10:56 AM

amritsar rail accident

दशहरे वाले दिन जले रावण ने यहां कई घरों में अंधकार फैला दिया है, वहीं 96 घंटे बाद भी हादसे का जिम्मेदार कौन है, यह साफ नहीं हो सका है। जी.आर.पी. ने मामला अज्ञात लोगों पर दर्ज किया है। पंजाब पुलिस पल्ला झाड़ कर मजिस्ट्रेट जांच बता रही है। दूसरी तरफ...

अमृतसर(स.ह.): दशहरे वाले दिन जले रावण ने यहां कई घरों में अंधकार फैला दिया है, वहीं 96 घंटे बाद भी हादसे का जिम्मेदार कौन है, यह साफ नहीं हो सका है। जी.आर.पी. ने मामला अज्ञात लोगों पर दर्ज किया है। पंजाब पुलिस पल्ला झाड़ कर मजिस्ट्रेट जांच बता रही है। दूसरी तरफ इलाके में हादसे के बाद अभी भी मातम है। कई घरों के चूल्हे जहां ठंडे हैं । वहीं अब तक इन मौतों पर सियासत हो रही है। आयोजककर्ता मिट्ठू मदान की कोठी में पिछले 96 घंटे से ताला लटका है। कोई कुछ बोलने को तैयार ही नहीं है। पेश है ‘पंजाब केसरी’ की यह खास रिपोर्ट। 

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सियासत के मैदान में कैसे उतरा मिट्ठू मदान

मिट्ठू मदान का पेशा क्या है, कोई नहीं जानता। लोग कहते हैं कि पैसा कहां से आया यह नहीं पता, लेकिन कुछ ही सालों में शरीफपुरा से यह तहसीलपुरा की कोठी का सफर के पीछे सियासत से गठजोड़ रहा है। मिट्ठू किसी समय, ओम प्रकाश सोनी (शिक्षा मंत्री, पंजाब), डा. राजकुमार वेरका (विधायक), जसबीर सिंह डिंपा (पूर्व कांग्रेसी विधायक), कुलबीर सिंह जीरा, राजा वडिंग, दिनेश बस्सी जैसे कई नेताओं के साथ रहा है। पिछले कुछ समय से सिद्धू दंपति का भरोसेमंद बने मिट्ठू की मां को पार्षद की टिकट मिल गई।

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जगह-जगह सियासत मिट्ठू मदान की चमकने लगी। मां के सहारे आगे बढ़ रहा मिट्ठू को पता ही नहीं था कि एक चूक उनका कैरियर तबाह कर देगी। आज मिट्ठू रावण दहन का सबसे बड़ा विलेन बन गया है। सिद्धू परिवार भी अब मिट्ठू के बचाव से कतराने लगा है। बता दें, पिता बैंक से क्लर्क रिटायर हैं, मां गृहिणी हैं। ऐसे में कोठी, बैंक बैलेंस के साथ-साथ चुनाव में लाखों का खर्च और उसके बाद ठाठ-बाठ, आखिर इतना पैसा उसके पास कहां से आया, यह तो मिट्ठू जाने या फिर आयकर विभाग जांच करे। 

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मिट्ठू मदान के पार्क में लगी है इटली की घास
मिट्ठू मदान ने करीब 4 माह पहले तहसीलपुरा में कोठी बनाई थी। बगल में पार्क बनाया है।  जहां इटली की घास लगी है। पार्क के साथ-साथ मिट्ठू मदान ने अपने घर को जाने वाली हर गलियों की हालत सुधार दी है, लेकिन वहीं जौड़ा फाटक के आस पास उन गलियों में अभी भी लोग स्वच्छ व स्वस्थ वातावरण के लिए तरस रहे हैं, जिन गलियों के वोटों ने उनकी मां को विजय  दिलाई थी। संयोग है कि मरने वाले उनके ही इलाके के ज्यादा उन्हीं गलियों के लोग हैं जिन गलियों में मिट्ठू को राजनीति का ‘डॉन’ पुकारे जाने पर वो खुशी से ठहाके लगाया करता था। 

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इलाके में लगे पोस्टर, भरजाई नूं 100 खून माफ 
इलाके में पोस्टर लगे हैं कि भरजाई नूं 100 खून माफ ने, लेकिन ओ दस्सन ते सही कि नरसंहार दे बाद भज्जे क्यूं। यह पोस्टर खूब वायरल हो रहे हैं।

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