Edited By Updated: 26 Nov, 2016 02:16 AM
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व अमृतसर से सांसद कैप्टन अमरेंद्र सिंह के त्यागपत्र के बाद इस सीट पर दोबारा चुनाव की....
जालंधर(पाहवा): कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व अमृतसर से सांसद कैप्टन अमरेंद्र सिंह के त्यागपत्र के बाद इस सीट पर दोबारा चुनाव की दस्तक होने लगी है। इसी दस्तक में अमृतसर सीट पर भाजपा के दावेदारों को लेकर भी चर्चा का बाजार गर्म होने लगा है।
जानकारी के अनुसार अमृतसर में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी की लहर होने के बावजूद भाजपा के नेता व मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेतली को कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने करीब 1 लाख वोटों से हराया। इसके पीछे कई कारण हैं लेकिन इनमें एक प्रमुख कारण है अमृतसर सीट पर वोट बैंक। आंकड़ों के अनुसार 9 विधानसभा सीटों वाली अमृतसर की लोकसभा सीट पर सिख वोट बैंक अधिक है। करीब 63.87 प्रतिशत सिख वोट बैंक इस सीट पर बताया जाता है। इस सीट पर कैप्टन से पहले नवजोत सिंह सिद्धू, दया सिंह सोढी, किरपाल सिंह तथा आर.एल. भाटिया जैसे लोग जीत हासिल करते रहे हैं।
इस सीट पर एक बार फिर से भाजपा में जोड़-तोड़ आरंभ हो गया है। सीट पर ङ्क्षहदू चेहरों के तौर पर डा. बलदेव चावला तथा लक्ष्मीकांता चावला के नाम लिए जा रहे हैं, जबकि अगर पार्टी वोट बैंक के अनुसार सिख नेता पर दाव खेलती है तो राजिंद्र मोहन सिंह छीना पार्टी के प्रमुख दावेदार हो सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि सिख बहुल सीट पर ङ्क्षहदू कैंडीडेट के तौर पर अरुण जेतली को मैदान में उतार कर भाजपा पहले ही बड़ी भूल कर चुकी है। जेतली की हार के बाद पार्टी ने जब जांच करवाई तो एक बड़ा कारण यही सामने आया था। ऐसे में पार्टी दोबारा इस मसले पर कोई रिस्क न लेकर सिख नेता को मैदान में उतार सकती है।