महंगा हो सकता प्याज, रास नहीं आ रहा तुर्की-अफगानिस्तान का स्वाद

Edited By Mohit,Updated: 25 Dec, 2019 10:54 PM

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प्याज खाने के शौकीन लोगों को किए खबर शायद खुशगवार न होगी कि प्याज की कीमतें और बढ़ सकती है l

अमृतसर (इन्द्रजीत): प्याज खाने के शौकीन लोगों को किए खबर शायद खुशगवार न होगी कि प्याज की कीमतें और बढ़ सकती है l क्योंकि तुर्की के प्याज का स्वाद खपतकारों को रास नहीं आ रहा l मार्किट में प्याज की कीमत 80 से 90 रुपए किलो है l वहीं तुर्की-अफगानिस्तान से आने वाले प्याज के कारण मार्केट में प्याज की कीमत 50 रुपए और अफगानी प्याज तुर्की से 10 रुपए किलोग्राम महंगा है l हालांकि सस्ता होने के कारण मार्किट में तुर्की का प्याज ही लोग खरीद रहे हैं l उधर रैस्टोरेंट ढाबा और पेशेवर सामान बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि भारतीय प्याज से खाने वाली चीज की जो क्वालिटी बनती है जब तुर्की का प्याज इस्तेमाल किया जाता है तो इसका स्वाद बदलने लगता है और खाद्य पदार्थों में वह जायका नहीं बनता l कुछ प्रतिशत लोग अफगानी प्याज को भारतीय प्याज का विकल्प बना लेते हैं जो चाइनीस फूड का काम करते हैं l लेकिन देसी खानों में भारतीय प्याज की ही आभा बरकरार है l

इस समय मार्केट में आने वाले प्याज में सबसे अधिक पसंद नासिक के प्याज की है दूसरी पसंद अफगानिस्तान की जबकि इसके बाद की क्वालिटी में तुर्की का प्याज आता है जो सबसे सस्ता है l लेकिन सबसे अधिक मार्केट में बिकने वाला प्याज तुर्की का आता है जो सबसे सस्ता है l इसका छिलका ऊपर से कत्था कलर का होता है l वैसे मार्केट में खुदरा बेचने वाले लोग तुर्की के प्याज को ही अफगानिस्तान का कहकर बेच रहे हैं और पहचान ना होने के कारण लोग खरीदते चले जाते है l वहीं अफगानिस्तान के प्याज का रंग भारतीय प्याज से मेलजोल खाने के कारण बाजार में लोग अफगानिस्तान के प्याज को भी आम खपत कार को इंडियन बताकर महंगे रेट पर बेच जाते हैं l

इसमें दूसरी बात यह भी है कि नासिक से आने वाला प्याज देश में पूरी सप्लाई नहीं दे रहा l इसलिए अन्य प्रदेशों से आने वाले माल में जो साइज आते हैं वह प्रोफेशनल खपतकार रेस्टोरेंट्स- ढाबा वालों को रास नहीं आ रहे l क्योंकि इनके साइज या तो बहुत छोटे होते हैं या बहुत बड़े l बताया जा रहा है कि ज्यादा बड़े प्याज से स्वाद नहीं बनता और छोटे प्याज को छीलने में समय बहुत अधिक लगता है और डिश की ग्रेस नहीं बनती l मध्यम साइज का प्याज ना उपलब्ध होने के कारण भी अफगानिस्तान का प्याज भारतीय प्याज का दूसरा विकल्प बन जाता है दूसरी और अफगानिस्तान के प्याज में भी कई बार बहुत बड़े  प्याज के साइज भी कई बार आ धमकते हैं l

प्याज के विकल्प फीके पड़ने लगे
प्याज की काफी समय से कीमतें बढ़ने के कारण अक्सर खाने-पीने की चीजें बेचने वाले लोगों ने इसके कई विकल्प बनाने शुरू कर दिए थे और रेहडी फड़ी वालों ने तो चटनी के साथ प्याज की जगह मूली परोसनी शुरू कर दी है l चटनी इत्यादि पदार्थों में हरे रंग के प्याज परोसने शुरू कर दिए थे l कुछ लोगों ने गाजर की भूर्ति को भी काटकर प्याज की तरह परोसना शुरू कर दिया था l लेकिन खपत कारों की सतर्कता और मुंह के जायके ने किसी भी विकल्प को नहीं स्वीकारा l वहीं प्याज के महंगे हो चुके रेटों को देखते हुए नतीजन अब प्याज में भी खपतकार क्वालिटी ढूंढने लगे हैं और क्वालिटी का प्याज ही बाजार में बिकेगा जिसके कारण कीमतें फिर आसमान को छू लेंगी l

देश में प्याज की खपत कितनी ?
प्रतिदिन देश में 40 से 42 हजार टन तक प्याज की खपत है लेकिन महंगा होने के कारण इसकी खपत 10% से 15% कम हो गई है l भारत से प्याज बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका सहित कई देशों को निर्यात होता है लेकिन संकट पड़ने पर भारत को अफगानिस्तान और तुर्की से प्याज मंगवाना पड़ता है l वर्षा और पानी की मार के कारण प्याज की आपूर्ति देश में कम हुई l भारत में सबसे बड़ा प्याज का गढ़ महाराष्ट्र का नासिक है इसके अतिरिक्त वेस्ट बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, स्थानों पर भी प्याज की पैदावार होती है l भारत में प्रति वर्ष औसत तौर पर 23.30 मिलियन टन प्याज की अपनी पैदावार है और अपने ही देश की वार्षिक खपत 15 मिलीयन टन है l

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