राष्ट्रीय प्रधान से कैप्टन की दूरी, कुछ तो गड़बड़ है

Edited By swetha,Updated: 11 Dec, 2018 08:31 AM

amarinder singh and rahul gandhi

कांग्रेस के मुखपत्र ‘नवजीवन’ को रि-लांच करने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को पंजाब में थे। यह प्रोग्राम कई दिन पहले का तय था जिस में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह भी पहुंचे, मगर अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की आगवानी करने...

जालंधर(रविंदर): कांग्रेस के मुखपत्र ‘नवजीवन’ को रि-लांच करने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी सोमवार को पंजाब में थे। यह प्रोग्राम कई दिन पहले का तय था जिस में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह भी पहुंचे, मगर अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की आगवानी करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह नदारद थे। कैप्टन ने इस प्रोग्राम में शिरकत नहीं की। वजह यह बताई गई कि अचानक कैप्टन साहिब की तबीयत नासाज हो गई है। इस कारण वह प्रोग्राम में नहीं पहुंच पाए। मगर कैप्टन के इस प्रोग्राम में न पहुंचते ही सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई।

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पंजाब में हर पल नई करवट ले रही है पंजाब की सियासत

पंजाब में हर पल नई करवट ले रही सियासत के साथ इसे भी जोड़कर देखा जाने लगा। हालांकि बाद में राहुल गांधी व डा. मनमोहन सिंह खुद कैप्टन का हालचाल जानने पहुंचे। मगर राहुल का पंजाब में यह दौरा और प्रदेश के मुख्यमंत्री का प्रोग्राम में न होना कई तरह के सवाल छोड़ गया। इससे राजनीति गलियारे में चर्चा जरूर छिड़ गई है कि कुछ तो गड़बड़ है। 

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करतारपुर कॉरीडोर को लेकर कैप्टन की हुई थी किरकिरी

कांग्रेस की राजनीति पिछले कुछ समय से खासे हिचकोले ले रही है। श्री करतारपुर कॉरीडोर को लेकर पनपी राजनीति के बाद जिस तरह से कैप्टन ने पाकिस्तान न जाने का कारण बताया, उसको लेकर उनकी पार्टी के भीतर ही खासी किरकिरी हुई। अपने ही मुख्यमंत्री की अनदेखी कर नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान पहुंच गए और खासी वाहवाही भी लूटी। प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ का भी सिद्धू को पूरा साथ मिला। उन्होंने सिद्धू के कदम को सही ठहराया। साथ ही जाखड़ ने कहा कि इस ऐतिहासिक स्थान के दर्शन के लिए अगर उन्हें भी न्यौता मिलता तो वह जरूर जाते। 

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अरूसा आलम को लेकर जनता के निशाने पर कैप्टन

दरअसल प्रदेश की जनता के निशाने पर कैप्टन अपनी पाकिस्तान दोस्त अरूसा आलम को लेकर रहे। इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस तरह से उन्हें मात्र आर्मी का कैप्टन बताते हुए अपना कैप्टन राहुल गांधी को बताया, उससे प्रदेश में नई चर्चा छिड़ गई। राजनीति में लगातार पटखनी के बाद डैमेज कंट्रोल के लिए जब कैप्टन ने पार्टी विधायकों के साथ लंच डिप्लोमेसी खेलने का प्रयास किया तो उसमें भी वह विफल रहे। 70 में से मात्र 25 विधायक ही लंच में पहुंचे और कैप्टन ने खुद लंच प्रोग्राम में जाना उचित नहीं समझा। 

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पर्दे के पीछे कहानी कुछ और

पर्दे के पीछे कहानी कुछ और ही चल रही थी। जिस तरह से सिद्धू ने पाकिस्तान जाने का निर्णय लिया और हाईकमान ने कोई एक्शन नहीं लिया उससे भी कैप्टन नाराज चल रहे थे। इसके बाद सिद्धू ने जिस तरह से राहुल गांधी को ही अपना कैप्टन बताया तो उस बयान पर भी हाईकमान से कोई सख्त संदेश न आने की वजह से कैप्टन खासे खफा थे। सियासी हलकों में इस बात की चर्चा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के मोहाली में पहुंचने और कैप्टन का इस प्रोग्राम में न होना इसी रणनीति का एक हिस्सा है। पार्टी नेता इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि वे कैप्टन के साथ जाएं या राहुल व सिद्धू के साथ। 

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कैप्टन की  खराब सेहत हो सकती है घाटे का सौदा साबित

वहीं सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि अगर कैप्टन की सेहत खराब होने की बात सौ फीसदी सही है तो यह भी कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि कुछ ही दिनों में कैप्टन की दो बार सेहत नासाज हो चुकी है और पहले ही प्रदेश के विकास को ग्रहण लगा हुआ है। कैबिनेट मीटिंग के अलावा कैप्टन खुद पार्टी के किसी प्रोग्राम में नहीं पहुंच रहे हैं। अगर ऐसे ही सेहत खराब रही तो आने वाले दिनों में यह कांग्रेस के लिए भी घाटे का सौदा साबित हो सकता है। 

 

 

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