अकाली दल मिशन 2022 की सफलता को लेकर गंभीर

Edited By swetha,Updated: 12 Jun, 2019 11:30 AM

akali dal mission 2022

लोकसभा चुनावों में केवल बठिंडा व फिरोजपुर सीट जीतने के उपरांत अकाली दल ने भी मिशन 2022 को सफल बनाने को लेकर गंभीरता से काम करना शुरू कर दिया है।  इसी कड़ी में अकाली सुप्रीमो सुखबीर बादल ने प्रदेश की अकाली दल से संबंधित सीटों पर मंथन शुरू कर दिया है।

जालंधर(चोपड़ा): लोकसभा चुनावों में केवल बठिंडा व फिरोजपुर सीट जीतने के उपरांत अकाली दल ने भी मिशन 2022 को सफल बनाने को लेकर गंभीरता से काम करना शुरू कर दिया है।  इसी कड़ी में अकाली सुप्रीमो सुखबीर बादल ने प्रदेश की अकाली दल से संबंधित सीटों पर मंथन शुरू कर दिया है। जालंधर लोकसभा हलका के अंतर्गत आते विधानसभा हलकों करतारपुर, शाहकोट, जालंधर कैंट, आदमपुर, नकोदर व फिल्लौर में पार्टी कैडर को मजबूत करने के लिए काम शुरू कर दिया है। अकाली दल के उच्च सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव के परिणामों में अकाली नेताओं के प्रदर्शन को देकर 6 हलकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया है। अब अकाली दल भाजपा की तर्ज पर संगठन को मजबूत करेगा एवं अगले विधानसभा चुनावों के लिए मजबूत व सशक्त उम्मीदवारों को ही चुनाव मैदान में उतारेगा। इसी कड़ी में सबसे पहला नंबर शाहकोट व करतारपुर का लगता दिख रहा है। 

शाहकोट में पूर्व कैबिनेट मंत्री अजीत सिंह कोहाड़ के निधन के बाद अकाली दल जीत नहीं पाया है। 2017 के विधानसभा चुनाव जीतने वाले कोहाड़ के निधन के उपरांत पार्टी वहां से पहले विधानसभा चुनाव बुरी तरह से हारी और अब केवल शाहकोट हलका में मिली लीड के बल पर ही कांग्रेस प्रत्याशी जीत हासिल कर गया। वहीं करतारपुर से विधायक व पूर्व मंत्री सरवन सिंह फिल्लौर वर्ष 2017 के चुनावों में अकाली दल को छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। उनके स्थान पर कांग्रेस नेता सेठ सतपाल मल को अकाली दल में शामिल करवाकर विधानसभा चुनाव लड़वाया गया। 

वहीं दूसरी तरफ पूर्व कैबिनेट मंत्री व कांग्रेस के दिग्गज दलित नेता चौधरी जगजीत सिंह के निधन के कारण उनके बेटे चौधरी सुरिन्द्र सिंह को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा। परंतु सेठ सतपाल को विधानसभा चुनावों में बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा। सेठ सतपाल मल का लोकसभा चुनावों में भी प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। बी.एस.पी. द्वारा कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने के बावजूद सेठ सतपाल मल अकाली प्रत्याशी चरणजीत सिंह अटवाल को लीड नहीं दिला पाए थे। सतपाल मल की लगातार पार्टी में निष्क्रियता के कारण अगले विधान सभा चुनावों में उनकी टिकट कटनी तय मानी जा रही है। वहीं अकाली दल ने लोकसभा चुनावों से ऐन पहले जालंधर कैंट में पनपी गुटबाजी को दूर करने के प्रयास तो किए परंतु उसमें सफल नहीं पाए, जिस कारण अकाली दल को 2422 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।

अब पार्टी ने इन तीनों सीटों से मजबूत उम्मीदवारों की खोज शुरू कर दी है। वहीं आदमपुर, नकोदर व फिल्लौर हलकों में हालात चिंताजनक हैं। 2012 व 2017 के विधानसभा चुनावों में पवन टीनू लगातार 2 बार इस सीट से जीत हासिल कर विधायक बने हैं, परंतु लोकसभा चुनावों में हलका से बसपा प्रत्याशी बलविन्द्र कुमार ने 39,472 वोट लेकर पहला स्थान हासिल किया जबकि अकाली दल को दूसरे नंबर पर संतुष्ट होना पड़ा। फिल्लौर हलका में बसपा कैडर ने अपना दमखम दिखाया और मौजूदा विधायक बलदेव खैहरा अपना कोई जलवा नहीं दिखा सके तथा कांग्रेस यहां से मात्र 1085 वोटों की लीड ले पाई। ऐसे ही नकोदर में हलका इंचार्ज जगबीर सिंह बराड़ ने पार्टी प्रत्याशी के लिए डटकर मेहनत की परंतु इसके बावजूद विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला अकाली दल को 2638 वोटों से बढ़त दिलाने में सफल हो गए। 
 

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